नई दिल्ली: इस्पात मंत्रालय ने अपने नियंत्रण वाले विभिन्न सीपीएसई से पेंशन योजना लागू करने के प्रस्ताव पर सहमति जता दी है जो कार्यकारियों के मामले में 1 जनवरी, 2007 से तथा गैर-कार्यकारियों के मामले में 1 जनवरी, 2012 से या जैसा कि कंपनी द्वारा फैसला किया जाएगा, बाद की किसी तारीख से प्रभावी होगी। कर्मचारी यूनियनों तथा एसएआईएल, आरआईएनएल, एमएसटीसी, एफएसएनएल, एमईसीओएन एवं केआईओसीएल से संबंधित अधिकारी संगठनों से विस्तृत परामर्श के बाद इस समझौते पर सहमति हुई। केन्द्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेन्दर सिंह ने आज नई दिल्ली में इसकी घोषणा की।
मंत्री महोदय के साथ बैठक के दौरान कर्मचारी यूनियनों तथा अधिकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने सेवानिवृत्ति लाभों, भविष्य निधि, ग्रेच्युटी एवं चिकित्सा लाभ के एक हिस्से के रूप में पेंशन योजना लागू करने सहित उनसे संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। मंत्री महोदय ने सूचित किया कि इस्पात मंत्रालय के तहत सीपीएसई के कर्मचारियों को पहले ही चिकित्सा लाभ उपलब्ध कराए जा चुके हैं। एनएमडीसी एवं एमओआईएल ने भी द्वितीय वेतन संशोधन समिति की अनुशंसाओं के अनुसार अपने कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना लागू की है। उन्होंने कहा कि अन्य सीपीएसई के कर्मचारियों द्वारा पेंशन योजना लागू किए जाने की लंबे समय से मांग की जाती रही है।
चौधरी बीरेन्दर सिंह ने कहा कि पेंशन योजना से इस्पात मंत्रालय के तहत सीपीएसई के 94,000 सेवारत तथा 56,000 सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लाभ पहुंचेगा तथा 45 करोड़ रुपये प्रति महीने का अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि पेंशन योजना सीपीएसई द्वारा सुलभता, भुगतान करने की क्षमता एवं निर्वहनीयता जैसे कारकों पर निर्भर करेगी। इन योजनाओं को संचालित करने के लिए सरकारी बजटीय सहायता उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। योगदान की दर का निर्णय प्रत्येक वर्ष सीपीएसई के संबंधित बोर्डों द्वारा किया जाएगा जो अर्जित किए गए लाभ एवं सेवानिवृत्ति लाभों के 30 प्रतिशत की अधिकतम ऊपरी सीमा (मूल वेतन +महंगाई भत्ता) के अनुसार कंपनी द्वारा कर्मचारी को दिए भुगतान पर निर्भर करेगा। पेंशन योजना के वास्तविक विवरण एवं कार्यान्वयन की रूपरेखा का निर्माण प्रत्येक सीपीएसई के प्रबंधन द्वारा किया जाएगा।