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प्याज की कीमतों पर नियंत्रण और उपलब्धता बढ़ाने के लिेए उठाए गए कदम

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सितंबर माह के दूसरे हफ्ते से प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई जिसके चलते इसे काबू करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत थी। कीमतों में आई बढ़ोतरी पर उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग की खास नजर थी जिसने इस पर काबू पाने के लिए तत्कालप्रभाव से कदम उठाए।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 में ये प्रावधान है कि कुछ खास परिस्थितियों में जब कीमतें सामान्य से ज्यादा बढ़ जाएं तो सरकार स्टॉक लिमिट लगा सकती है। देश में प्याज की औसत खुदरा कीमतों में 21.10.2020 तक आई विविधता देखी गई है जो कि पिछले साल की तुलना में 22.12 प्रतिशत (45.33 रूपए से 55.60 रूपए प्रति किलो) और पिछले पांच सालों की तुलना में 114.16 प्रतिशत (25.87 से 55.60 रूपए प्रति किलो) रही है। इस तरह पिछले पांच साल की कीमतों से तुलना में प्याज की कीमतों में 100प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है और आवश्यक वस्तु अधिनियम के मुताबिक ये कीमतों में बृद्धि को छू गई है। इसलिए प्याज पर आज से स्टॉक लिमिट लगाई गई है। इस सीमा के मुताबिक 31 दिसंबर तक थोक विक्रेता 25 मीट्रिक टन और खुदरा विक्रेता 2 मीट्रिक टन प्याज से ज्यादा स्टॉक नहीं रख पाएंगे।

प्याज की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार प्याज के निर्यात पर 14.09.2020 को ही प्रतिबंध लगा चुकी है। ये कदम इसलिए उठाया गया है ताकि देश में खरीफ फसल से आने वाले प्याज से पहले तक घरेलू उपभोक्ताओं को उचित दरों पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। इस तरह प्याज की खुदरा मूल्य वृद्धि पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है मगर हाल ही में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई प्याज उत्पादक जिलों में भारी वर्षा के चलते प्याज की खरीफ फसल के प्रति चिंता बढ़ गई है।

खराब मौसम की खबरों के चलते देश में प्याज की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इन परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने 2020 की रबी की फसल से प्याज के बफर स्टॉक को वितरित करने के लिए कमर कस ली है। ये स्टॉक दोगुना हो चुका है। सितंबर के दूसरे हफ्ते से प्याज को देश की बड़ी मंडियों के साथ-साथ खुदरा वितरण केंद्रों जैसे सफल, केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ, टीएएनएचओडीए एवं टीएएनएफईडी (तमिलनाडु सरकार), और बड़े शहरों में और राज्यों में एनएएफईडी केंद्रों तक तेजी से पहुंचाया जा रहा है। मौजूदा वक्त में असम सरकार और केरल सरकार को खुदरा विक्रय यंत्र में से प्याज की आपूर्ति की जा रही है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और लक्षद्वीप ने भी प्याज की मांग जाहिर की थी जहां इसे पहुंचाया जा रहा है।

साथ ही खुले बाजार में भी प्याज की बिक्री की जा रही है और आने वाले वक्त में इसे और तेज किया जाएगा ताकि इस आवश्यक वस्तु की कीमतें नियंत्रण में आ सकें।

एक अनुमान के मुताबिक देश की मंडियों में खरीफ फसल से प्याज की करीब 37 लाख मीट्रिक टन आवक से भी प्याज की उपलब्धता बढ़ेगी।

इसके अलावा देश में प्याज की अतिरिक्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने 21.10.2020 को आयात के नियमों में 15 दिसंबर 2020 तक की ढील दी है।

विभिन्न देशों में भारतीय उच्चायुक्त पहले से ही वहां प्याज के व्यापारियों से संपर्क में हैं ताकि भारत पर्याप्त मात्रा में आयात कर सके। आयातित प्याज की ऐसी खेप, जो भारत में जल या थल मार्ग से पहुंचती है, उसे आधिकारिक और वैध आयातकों के जरिए देश में पहुंचाया जाएगा। इस आयात पर अतिरिक्त निरीक्षण शुल्क नहीं लगाया जाएगा और इन आयातकों से यह शपथ पत्र भी लिया जाएगा कि वे इस प्याज का इस्तेमाल उपभोक्ताओं में वितरण के लिए करेंगे न कि इसके उत्पादन। अगर आयात की इन शर्तों का पालन (पीक्यू, आदेश 2003) के अनुरूप नहीं हुआ तो सरकार इन पर चार गुणा अतिरिक्त निरीक्षण शुल्क लगा सकती है।

निजी आयातकों में प्याज के आयात को बढ़ावा देने के लिए ये भी तय किया गया है कि एमएमटीसी लाल प्याज का आयात करेगा ताकि आपूर्ति में आ रही कमी को पूरा किया जा सके।

कालाबाजारी निवारण और आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम, 1980 के तहत देश में असामाजिक तत्वों द्वारा प्याज की कालाबाजारी को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

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