नई दिल्ली: देश के 91 महत्वपूर्ण जलाशयों में 21 मई, 2015 को 44.92 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया था। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 28 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 100 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 135 प्रतिशत है। चालू वर्ष में संग्रहण की वर्तमान स्थिति पिछले वर्ष की संग्रहण स्थिति से बेहतर है।
केन्द्रीय जल आयोग साप्ताहिक आधार पर जलाशयों की संग्रहण क्षमता पर नजर रखता है। इन जलाशयों में 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली पैदा करते हैं। इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है जो देश की अनुमानित संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है।
क्षेत्रवार संग्रहण स्थिति
उत्तरी क्षेत्र
उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 7.63 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 42 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 39 प्रतिशत थी। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों का पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 28 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।
पूर्वी क्षेत्र
पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 6.76 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 36 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 41 प्रतिशत थी। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों में पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 20 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम रहा, लेकिन यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से बेहतर है।
पश्चिमी क्षेत्र
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 7.21 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल क्षमता का 27 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 32 प्रतिशत थी। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों में पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 27 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण के बराबर है।
मध्य क्षेत्र
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 14.42 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 34 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 34 प्रतिशत थी। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों में पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 17 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बराबर रहा, लेकिन यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से बेहतर रहा है।
दक्षिणी क्षेत्र
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 8.78 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 17 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 15 प्रतिशत थी। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों में पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 19 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर रहा और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।
पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में संग्रहण स्थिति अच्छी रही उनमें हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल है। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण कम है उनमें राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं।