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देश में दवा नियामक प्रणाली को सशक्‍त बनाना

देश-विदेश

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता वाली आर्थिक मामलों की संसदीय समिति ने केंद्र और राज्‍य, दोनों स्‍तरों पर दवा नियामक प्रणाली को 1750 करोड़ रूपये की कुल लागत से सशक्‍त बनाने के प्रस्‍ताव को मंजूरी प्रदान की है। इस प्रणाली को सशक्‍त बनाने/सुधार करने का कार्य तीन वर्ष की अवधि में किया जायेगा। सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर होने के बाद 1750 करोड़ रूपये की कुल राशि में से 900 करोड़ रूपये केंद्रीय संरचनाओं को सशक्‍त बनाने पर खर्च किये जायेंगे और 850 करोड़ रूपये राज्‍य सरकारों को उपलब्‍ध कराये जायेंगे।

सुधार कार्य के अंतर्गत वर्तमान औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं में अतिरिक्‍त उपकरण और कर्मचारी, दवाओं के परीक्षण के लिए नई प्रयोगशालाओं की स्‍थापना, चिकित्‍सीय उपकरणों और कॉस्‍मेटिक्‍स, सचल दवा परीक्षण प्रयोगशालाएं उपलब्‍ध कराने, स्‍तंभ कोशिका, पुनरूत्‍पादक दवा, जैविक और चिकित्‍सीय उपकरणों जैसे नये और उभरते क्षेत्रों सहित नियामक ढांचों के लिए अतिरिक्‍त कर्मचारियों को तैयार कराने का प्रावधान शामिल होगा।

राज्‍यों को अपने दवा विनियामक ढांचों को सशक्‍त बनाने के लिए सहायता उपलब्‍ध कराई जायेगी। इस उपाय से देश में दवा और अन्‍य चिकित्‍सा उत्‍पादों की गुणवत्‍ता, सुरक्षा और प्रभाव में वृद्धि करने में सहायता मिलेगी, और इस प्रकार बीमारियों का बोझ कम होगा। साथ ही भारत से औषधीय उत्‍पादों का निर्यात भी बढ़ेगा। इसके अलावा इससे घरेलू चिकित्‍सा उपकरण क्षेत्र की वृद्धि में भी सहायता मिलेगी।

भारत सबसे बड़े दवा निर्माताओं में से एक है और 200 से ज्‍यादा देशों/अर्थव्‍यवस्‍थाओं को औषधीय उत्‍पादों का निर्यात करता है। सूचना के कार्यान्‍वयन से अच्‍छे चिकित्‍सा उत्‍पादों के घरेलू निर्माण में सुगमता होगी और चिकित्‍सा उपकरणों, जैविक और अन्‍य क्षेत्रों में सुदृढ़ उद्योग की स्‍थापना में सहायता मिलेगी। विनियामक और प्रयोगशाला के कर्मचारियों के लिए समान प्रशिक्षण कार्यक्रमों से देशभर में समान पद्धतियां विकसित करने में मदद मिलेगी।

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