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जीवन में सफलता के लिए समर्पण, कड़ी मेहनत और अनुशासन दें विद्यार्थी: उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज युवा पीढ़ी के बीच हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत के प्रति गर्व की भावना विकसित करने के उद्देश्य से भारतीय परिप्रेक्ष्य के साथ हमारी इतिहास की पुस्तकों को फिर से देखने की जरूरत पर जोर दिया है।

आज आंध्र प्रदेश के एलुरु स्थित सर सी आर रेड्डी एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस के 75वें वर्षगांठ समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को याद दिलाया कि भारत को एक समय ‘विश्व गुरु’ के रूप में जाना जाता था और उन्होंने उनसे अपनी जड़ों की ओर फिर से देखने और हमारी परंपरा व संस्कृति के संरक्षण का आह्वान किया।

खुद को पुनः स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने हर किसी से भारत को एक शक्तिशाली भारत के रूप में विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत करने का अनुरोध किया, जो भूख, भ्रष्टाचार से मुक्त हो और जहां किसी से कोई भेदभाव न हो। उन्होंने कहा, “सब कुछ सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता, वांछित बदलाव के लिए लोगों, उद्योग, परोपकारियों और सिविल सोसायटी सभी को एक साथ आना चाहिए।”

मूल्य आधारित शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा को राष्ट्र के संवर्धन के एक मिशन के रूप में लिया जाना चाहिए। भारतीय परम्परा में ‘गुरु’ की भूमिका को रेखांकित करते हुए, उन्होंने विद्यार्थियों से हमेशा अपने जीवन में अपने शिक्षकों के योगदान को हमेशा याद करने के लिए कहा।

राजनीति में नैतिकता के बारे में बात करते हुए श्री नायडु ने लोगों से 4 सी – कैरेक्टर (चरित्र), कैलिबर (योग्यता), कंडक्ट (आचरण) और कैपेसिटी (क्षमता) के आधार पर अपने जनप्रतिनिधियों को चुनने और निर्वाचित करने और 4 सी – कास्ट (जाति), कैश (नकदी), कम्युनिटी (समुदाय) और क्रिमिनैलिटी (आपराधिकता) को हतोत्साहित करने का अनुरोध किया।

मातृ भाषा में शिक्षा पर जोर के लिए एनईपी- 2020 की तारीफ करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को जहां तक संभव हो ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखनी चाहिए, लेकिन पहले अपनी मातृ भाषा में मजबूत नींव तैयार करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालयों को ज्ञान और नवाचार का केंद्र बनाने के लिए शिक्षा के तौर-तरीकों में बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित किया और सभी राज्यों व शैक्षणिक संस्थानों से एनईपी-2020 को पूरी तरह लागू करने की अपील की।

विद्यार्थियों के साथ अपना सफलता का मंत्र साझा करते हुए, श्री नायडु ने उत्कृष्टता हासिल करने और एक लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समर्पण, दृढ़ता, कड़ी मेहनत, अनुशासन, आत्मविश्वास और एक मजबूत इच्छा शक्ति की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “कृपया याद रखें कि अध्ययन हो या खेल, कोई भी एक दिन में चैंपियन नहीं बनता है।”

उप राष्ट्रपति ने शैक्षणिक संस्थानों से पढ़ाई, खेल, सह-पाठ्यक्रम और मनोरंजन गतिविधियों को समान महत्व देने का अनुरोध किया। उन्होंने सदियों पुराने ‘शेयर और केयर’ के भारतीय दर्शन की तर्ज पर युवा विद्यार्थियों में सेवा की भावना पैदा करने का आह्वान किया।

प्रतिष्ठित शिक्षाविद और आंध्र प्रदेश विश्वविद्यालय के तत्कालीन वाइस चांसलर श्री कट्टामंची रामलिंगा रेड्डी के योगदान को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आंध्र प्रदेश में शिक्षा को बढ़ावा देने में उनके कार्यों के प्रति लोग हमेशा आभारी रहेंगे। उन्होंने समाज के हर तबके की शिक्षा सुनिश्चित करने में श्री सी आर रेड्डी द्वारा किए गए प्रयासों के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने युवाओं से उनके जीवन से प्रेरणा लेने और भारत को विकसित बनाने का अनुरोध किया, ऐसा भारत जो हर तरह के भेदभाव से मुक्त हो।

इस अवसर पर, उप राष्ट्रपति ने श्री मगंति रविंद्रनाथ चौधरी की मूर्ति का अनावरण किया और सर सी आर रेड्डी कॉलेज के 75 साल के इतिहास पर एक पुस्तिका का विमोचन किया।

इस कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री अल्ला काली कृष्णा श्रीनिवास, एलुरु कॉरपोरेशन की मेयर श्रीमती शाइक नूरजहां, एलुरु से सासंद श्री कोटागिरि श्रीधर, सर सीआरआर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के प्रेसिडेंट श्री अल्लुरी इंद्र कुमार, प्राचार्य डॉ. के. ए. रामा राजू, सर सीआरआर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के सेक्रेटरी डॉ. एम. बी. एस. वी. प्रसाद, शिक्षक विद्यार्थी और अन्य शामिल रहे।

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