आजमगढ़: उत्तर प्रदेश जंग-ए-आजादी के नायक और आजाद हिन्द फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी गुत्थियां और रहस्य आज भी अनसुलझी हैं और ये रहस्य समय-समय पर उजागर होते रहते हैं और सुर्खियां बनते रहे है। इसी बीच भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी दारा नेताजी की जासूसी कराए जाने का कथित रहस्य उजागर होने से आजमगढ़ एक बार फिर सुर्खियों में है। कारण जासूसी के रहस्य पर जंग-ए-आजादी में नेताजी के ड्राइवर रहे आजमगढ़ के निवासी कर्नल निजामुद्दीन और उनके परिजनों ने भी मुहर लगा दी है।
आजमगढ़ जनपद के मुबारकपुर कस्बे के ढकवा गांव निवासी 115 वर्षीय कर्नल निजामुद्दीन जंगे आजादी की लड़ाई में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ड्राइवर रहे हैं और उन दिनों में ल्यूकन जापान नामक नेताजी की 12 सिलेंडर वाली गाड़ी चलाते थे। हिन्दुस्तान समेत बर्मा की राजधानी रंगून कई देशो में जंग-ए-आजादी की लड़ाई में नेताजी के रणनीति के अन्य सहयोगी भी रहे हैं।
अंतिम समय में भाग कर रंगून में छिपे और फौज के सारे अभिलेख और रिकॉर्ड जला दिए गए क्योंकि फौजियों को खोजकर मारा जा रहा था। फिर भी नेताजी से जुड़े तमाम दस्तावेज कर्नल निजामुद्दीन के पास मौजूद हैं। कर्नल निजामुद्दीन ने नेताजी के लिए पिछले वर्ष भारत रत्न की भी मांग उठाई थी, लेकिन उस पर कोई अमल नहीं हो सका।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निजी गनर वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी जगराम ने खुलासा किया है कि नेता जी की विमान दुर्घटना में मौत नहीं हुई थी, उनकी हत्या कराई गई होगी। इस खुलासे के बाद आजमगढ़ में अपने पैतृक गांव ढकवा में नेताजी के ड्राइवर रहे कर्नल निजामुद्दीन और उनके परिजनों ने भी जासूसी प्रकरण को सही करार देते हुए इस पर मुहर लगा दी है।
115 वर्षीय निजामुद्दीन स्वास्थ्य कारणों से बातचीत करने में असमर्थ होने के कारण अपने पुत्र के माध्यम से अपने दिल की बात कही। कर्नल निजामुद्दीन के पुत्र शेख अकरम ने भी कहा कि बाबूजी ने बताया कि नेहरू जी नेताजी की जासूसी करवा रहे थे।
फिलहाल नेताजी की जासूसी प्रकरण से जुड़े रहस्य की सच्चाई क्या है, यह तो पता नहीं। लेकिन इस तरीके का संवेदनशील रहस्य उजागर होने से जहां सियासी हल्के में भूचाल मचा हुआ है, वहीं नेताजी के समर्थक और प्रशंसक हतप्रभ हैं।
9 comments