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सफलता की कहानी -22, बंदरों और बेसहारा पशुओं को खाना खिला रहे युवा

उत्तर प्रदेश

कोरोना के चलते आज भारत  के कई राज्यों में लॉकडाउन है, लोगों को घरों से निकलने की मनाही है। ऐसे में बाहर आवारा जानवरों को खाने की किल्लत हो गई है।लॉकडाउन में न केवल इंसान बल्कि आवारा जानवरों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन जानवरों को पेट भरने के लिए एक जगह से दूसरी जगह भागना पड़ रहा है। बदायूँ में जानवरों  को भूख से बचाने के लिए युवा मंच संगठन आगे आया और इन बेजुबान भूखे जानवरों के लिये सहारा बना। जब से लॉकडाउन लगा है तब से लगातार जनपद के हर कोने में रह रहे भूखे जानवरों के लिये रोटी भोजन उपलब्ध करा रहा है। प्रतिदिन संगठन के सदस्य भूखे जानवरों के लिये 3000 से 4000 तक रोटी बनाकर खिला रहे हैं। उनकी इस मुहिम में अब जनसहयोग भी मिलता दिख रहा है और लोग इस मुहिम की सराहना कर रहे हैं। संग़ठन के अध्यक्ष ध्रुव देव गुप्ता और पुष्पेंद्र मिश्रा का कहना है कि उनकी यह मुहिम जब तक लॉकडाउन है तब तक लगातार जारी रहेगी। वहीं जिलाधिकारी दीपा रंजन ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी इस मुहिम में प्रशासन का पूरा सहयोग रहेगा।
बातचीत में ध्रुव देव गुप्ता ने बताया कि उन्होंने कुछ दिन पहले अपने घर के बाहर देखा कि एक गाय बहुत देर से खड़ी थी और शायद वो भूखी थी।उस गाय को देखकर उनके मन में अन्य जानवरों के प्रति चिंता जागी और उन्होंने जानवरों को खाना खिलाने की ठान ली।उन्होंने कहा कि मानव का कर्तव्य है कि वो सिर्फ इंसान की नहीं बल्कि जानवरों की भी मदद करें। ध्रुव देव गुप्ता औऱ उनकी टीम सुबह सात बजे से काम करने में लग जाती है,और शाम 8 बजे तक जानवरों को खाना खिलाती है।शहर में आवारा पशु जैसे गाय,बंदरो और कुत्तो को चौराहों पर या जहां उनका झुंड पाया जाता है जाकर खाना खिलाया जाता है।मानवता की इस मिशाल से बंदायू का प्रशासन भी काफी खुश नजर आ रहा है।जिलाधिकारी दीपा रंजन ने बताया कि जिस तरह से नागरिक करोना की इस आपदा की घड़ी में अपने सामाजिक कर्तव्य निभा रहे है उससे निश्चय ही हमे करोना को हराने में मदद मिलेगी।

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