भारतीय खाद्य निगम डिपो से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 63.67 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खाद्यान्न उठाया जा चुका है, जो कि मई और जून, 2021 के लिए कुल पीएमजीकेएवाई आवंटन का लगभग 80% है। 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मई 2021 में लगभग 55 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों को लगभग 28 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न वितरित किए गए हैं और जून 2021 में लगभग 2.6 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों को लगभग 1.3 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न वितरित किए गए हैं।
03.06.2021 तक, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत, एनएफएसए लाभार्थियों को मई और जून 2021 के लिए क्रमशः लगभग 90% और 12% खाद्यान्न वितरित किए गए हैं, जिसमें मई और जून 2021 के लिए 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खाद्य सब्सिडी पर खर्च हो रहा है। पीएमजीकेएवाई के अंतर्गत मई और जून 2021 के लिए अब तक मिलने वाली खाद्य सब्सिडी 9,200 करोड़ रुपये से अधिक है।
वर्तमान समय में ओएनओआरसी योजना (अंतर्राज्यीय ट्रांजैक्शन सहित) के अंतर्गत पोर्टेबिलिटी ट्रांजैक्शन का मासिक औसत लगभग 1.35 करोड़ दर्ज किया जा रहा है। इसके अलावा, अगस्त 2019 में ओएनओआरसी योजना की शुरुआत के बाद से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 27.8 करोड़ पोर्टेबिलिटी ट्रांजैक्शन हुए हैं, जिनमें से लगभग 19.8 करोड़ पोर्टेबिलिटी ट्रांजैक्शन कोविड-19 अवधि के दौरान दर्ज किए गए हैं, यानी अप्रैल 2020 से लेकर मई 2021 तक।
कोविड-19 संकट के दौरान प्रवासी एनएफएसए लाभार्थियों तक एनएफएसए खाद्यान्न तक पहुंच सुनिश्चित करने वाली वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) योजना की क्षमता को देखते हुए, यह विभाग प्रवासी लाभार्थियों तक सक्रिय रूप से पहुंचकर, इस कार्यक्रम को अपनी पूरी क्षमता के साथ लागू करने के लिए वीसी बैठकों/ परामर्श/ पत्रों आदि के माध्यम से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ लगातार आगे बढ़ रहा है।
इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से ओएनओआरसी योजना, 14445 टोल-फ्री नंबर और ‘मेरा राशन’ मोबाइल एप्लिकेशन के बारे में व्यापक प्रचार करने और जागरूकता फैलाने का अनुरोध किया गया है, जिसे हाल ही में एनएफएसए लाभार्थियों को फायदा पहुंचाने के लिए एनआईसी के सहयोग से विभाग द्वारा विकसित किया गया है, विशेष रूप से प्रवासी एनएफएसए लाभार्थियों के लिए, दस अलग-अलग भाषाओं में अर्थात अंग्रेजी, हिंदी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, गुजराती और मराठी। ‘मेरा राशन’ ऐप में ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करने की कोशिश की जा रही है।