थार: भारतीय सेना ने राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में तीसरी पीढ़ी के एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ‘नाग’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। इस मिसाइल के परीक्षणों की श्रृंखला 7-18 जुलाई के बीच चली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परीक्षण के सफल समापन के लिए डीआरडीओ को बधाई दी।
फायर एंड फोरगेट सिस्टम पर काम करने वाली इस मिसाइल के सात जुलाई से थार रेगिस्तान की समर ट्रायल किया गया। बारह दिन तक लगातार दिन-रात चले परीक्षण में यह मिसाइल अपने सभी मानकों पर एकदम खरी उतरी। यह मिसाइल दिन और रात समेत सभी मौसम परिस्थितियों में भी दुश्मन टैंकों पर निशाना लगाने में सक्षम है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्रायल के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ को बधाई दी।
#WATCH: NAG, the DRDO’s indigenously developed 3rd Generation Anti-Tank Guided Missile (ATGM) has successfully undergone a series of summer trials at Pokhran field firing ranges carried out by the Indian Army from 7-18 July 2019. pic.twitter.com/YITIjKnIhA
— ANI (@ANI) July 19, 2019
यह मिसाइल पांच सौ मीटर से लेकर चार किलोमीटर के दायरे में दुश्मन के टैंकों पर तोपों को उड़ा सकती है। फायर एंड फोरगेट सिस्टम पर काम करने वाली यह मिसाइल इंफ्रारेड सिस्टम पर काम करती है। दागने से पहले यह अपना लक्ष्य तय कर लेती है। दागते ही यह उसकी तरफ बढ़ चलती है। इस मिसाइल को नेमिका नाम के मिसाइल लॉन्चर से दागा जाता है। एक बार में यह लॉन्चर छह मिसाइल दाग सकता है।
साल 2018 में इस मिसाइल का विंटर यूजर ट्रायल (सर्दियों में प्रयोग) किया गया था। भारतीय सेना 8 हजार नाग मिसाइल खरीद सकती है जिसमें शुरुआती दौर में 500 मिसाइलों के आर्डर दिए जाने की संभावना है। नाग का निर्माण भारत में मिसाइल बनाने वाली अकेली सरकारी कंपनी भारत डायनामिक्स लिमिटेड (हैदराबाद) कर रही है। सतह से सतह पर मार करने वाली नाग मिसाइल का एक हवा से जमीन पर मार करने वाला हेलिना संस्करण भी है। न्यूज़ सोर्स OneIndia