नई दिल्ली: कई लोग भूकंप के बाद मलबे के अंदर दो से ज्यादा दिनों तक जिंदा रह जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे वाकए भी सामने आए हैं, जब भूकंप पीड़ितों को मलबे से 13-14 दिन बाद भी जिंदा निकाला गया है। यह जानकारी एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन से सामने आई है।
1984 से 2004 के बीच आए भूकंप की घटनाओं के अध्ययन से यह बात सामने आई है कि अब तक सर्वाधिक 14 दिनों तक मलबे के नीचे दबे व्यक्ति को जीवित बाहर निकाला जा सका है। इसके बाद की अवधि 13 दिन रही है। यह जानकारी ‘सरवाइविंग कोलैप्स्ड स्ट्रक्चर एनट्रैपमेंट ऑफ्टर अर्थक्वैक: ए टाइम टू रिस्क्यू एनालिसिस’ से सामने आई है।
इस शोध में 34 भूकंपों का अध्ययन किया गया है। यह नेपाल के उन लोगों के लिए आशा की किरण है जो 25 अप्रैल को आए भूकंप के बाद अपनों की तलाश कर रहे हैं। इस घटना में 7,000 लोगों की मौत हो चुकी है। मलबे में फंसे होने की अवधि से जुड़े 48 मेडिकल आलेखों में इनकी पुष्टि हुई है। द जॉर्ज वाशिंगटन युनिवर्सिटी के आपात चिकित्सा विभाग के ए.जी.मैसिनटायर के नेतृत्व में एक अध्ययन में कहा गया है कि अब तक सर्वाधिक 13-19 दिनों तक मलबे में फंसे व्यक्ति को बचाया जा सका है। दूसरी अवधि 8.7 दिन (209 घंटे) का है, जबकि 25 चिकित्सा आलेख ऐसे हैं, जिसके मुताबिक लोगों को मलबे से 48 घंटे बाद बचाया जा सका है।
मीडिया रपट में 18 से 34 भूकंपों में दो से अधिक दिनों तक मलबे में फंसे लोगों को बचाए जाने की बात कही गई है। सर्वाधिक विश्वसनीय रपट के मुताबिक, सर्वाधिक 14 दिनों तक मलबे में फंसे लोगों को बचाया गया है, जिसके बाद की अवधि 13 दिन है। नेपाल के अधिकारियों ने शनिवार को मलबे से किसी और के बचे होने की संभावना से इंकार किया है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी धकाल ने कहा कि अगर कोई जिंदा है तो यह करिश्मा होगा। लेकिन हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है और लगातार तलाशी की जा रही है। नेपाल में यूरोपीय संघ के राजदूत रेंसजे तीरिंक ने एक मई को बताया था कि 1,000 नागरिक अभी भी लापता हैं।