उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट में लाए जाने को लेकर कोलेजियम की बैठक शुक्रवार को भोजनावकाश के दौरान दोपहर एक बजे हो सकती है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता क्रम में दूसरे नंबर के जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर ने एक और चिठ्ठी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लिखी है. चिट्ठी में उन्होंने चीफ जस्टिस से आग्रह किया है कि सरकार की ओर से कोलेजियम की सिफारिश ठुकराए जाने और ऐसे न्यायोचित ठहराने के लिए दी गई दलीलों पर चर्चा के लिए कोलेजियम की बैठक बुलाई जाए.
बात दें, कोलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के पांच शीर्ष जज होते हैं. यानी चीफ जस्टिस और वरीयता क्रम में चार जज. बुधवार को कोलेजियम की बैठक होने की चर्चा थी. लेकिन असिस्टेंट रजिस्ट्रार पद के लिए इंटरव्यू की वजह से वरिष्ठता क्रम में दो, तीन और चार नम्बर जजों के इंटरव्यू में व्यस्त होने की वजह से इसे टाल दिया गया.
जस्टिस चेलमेश्वर ने ये चिट्ठी चीफ जस्टिस के नाम लिखी है. उन्होंने उत्तराखंड के मौजूदा मुख्य जस्टिस के एम जोसफ को शीर्ष कोर्ट के जज के तौर पर प्रोन्नत किये जाने के लिये कोलेजियम की मीटिंग बुलाने को कहा है.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की दलीलों को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस के नाम लिखे पत्र में उन्होंने फिर ज़ोर दिया है कि कोलेजियम अपनी सिफारिश पर कायम रहे. साथा ही दोबारा जस्टिस जोसफ का नाम सरकार को भेजा जाए.
इसके अलावा कॉलेजियम में आंध्र एवं तेलंगाना हाईकोर्ट, कलकत्ता और राजस्थान हाईकोर्ट के जजों को सुप्रीम कोर्ट में फेयर रिप्रेजेंटेशन के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश पर भी चर्चा होगी. ताकि सीनियरिटी और क्षेत्रीय संतुलन की सरकार की दलीलों का असर भी कम हो जाए.
अब सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम हाईकार्ट के जज और चीफ जस्टिस के तौर पर नियुक्ति से पहले उनके केंडेंसियल की पड़ताल के साथ साथ उनको निजी तौर पर कोलेजियम के सामने बुलाया भी जाता है. उनसे सवाल जवाब किए जाते हैं. यानी प्रॉपर इंटरव्यू होता है.
हाईकोर्ट में जज और चीफ जस्टिस की नियुक्ति प्रक्रिया को और ज़्यादा पारदर्शी बनाने के लिए कोलेजियम ने पिछले महीने ये नई परंपरा शुरू की है.
2 मई को कोलेजियम ने जस्टिस के. एम. जोसेफ पर फैसला टाला
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय के कोलेजियम ने 2 मई को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस जस्टिस के. एम. जोसेफ पर अपना फैसला टाल दिया. सरकार ने पिछले सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस के पद पर जस्टिस जोसेफ के नाम को पुनर्विचार के लिए कोलेजियम को वापस लौटा दिया था.
केंद्र सरकार ने कहा है कि जस्टिस जोसेफ के नाम को खारिज करने के फैसले का पिछले वर्ष उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन रद्द करने के उनके फैसले से कुछ लेना-देना नहीं है. इस फैसले को टालने का निर्णय चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन.बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के कोलेजियम ने 45 मिनट की बैठक में लिया.
केंद्र ने 26 अप्रैल को जस्टिस जोसेफ को सर्वोच्च न्यायालय का जस्टिस बनाने के कोलेजियम की अनुशंसा को लौटा दिया था. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में कहा था, “के.एम. जोसेफ के मामले पर पुनर्विचार करने के प्रस्ताव को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मंजूरी है.
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