नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में सुधारों पर लंबे समय से चल रही सुनवाई पर सोमवार को फैसला सुनाया और बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर व सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया.
जानिए क्या है पूरा मामला…
दरअसल बीसीसीआई के लिए मुश्किलों का दौर साल 2013 में शुरू हुआ था, जब आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और मैच फिक्सिंग मामले में दिल्ली पुलिस ने आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल के तीन खिलाड़ियों को गिरफ्तार कर लिया. इन पर मैच के दौरान स्पॉट फ़िक्सिंग में लिप्त होने का आरोप था. इसके कुछ ही दिन बाद उस समय के बीसीसीआई प्रमुख एन श्रीनिवासन के दामाद और उनकी आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स के सीईओ गुरुनाथ मयप्पन भी हिरासत में ले लिए गए. इस मामले ने तूल पकड़ा और वह सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इसकी जांच के लिए जस्टिस मुकुल मुद्गल के अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी, जिसने साल 2014 में अपनी रिपोर्ट सौंपी.
मुद्गल कमेटी की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में सुधारों की जरूरत महसूस करते हुए कुछ सख्त निर्देश दिए और इसके लिए जनवरी, 2015 को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढा के नेतृत्व में तीन सदस्यों की कमेटी गठित कर दी. फिर जस्टिस लोढ़ा कमेटी ने 4 जनवरी, 2016 को बीसीसीआई में सुधारों के लिए कई्हम सिफारिशें रखीं. बीसीसीआई ने इनमें से कई सिफारिशों पर तो हां कह दिया, लेकिन कुछ को लेकर अड़ियल रुख अपना लिया. बस तब से इस पर कई दौर की सुनवाई हो चुकी थी और बीसीसीआई अपने रुख से डिगने को तैयार नहीं था. सुप्रीम कोर्ट ने उसे कई बार चेतावनी भी दी, उसका फंड भी रोका, लेकिन बोर्ड अपनी समस्याओं का रोना रोता रहा.
बोर्ड को इन सुझावों पर है आपत्ति
बीसीसीआई ने लोढा पैनल की अधिकारियों की उम्र और कार्यकाल के मुद्दे, अधिकारियों के कूलिंग ऑफ़ पीरियड और एक राज्य, एक वोट की सिफ़ारिश पर बेरुखी दिखाई थी और इन्हें लागू करने में असमर्थता जताई थी. हालांकि कोर्ट ने उसके तर्कों को नकार दिया.
लोढा पैनल की कुछ मुख्य सिफारिशें
- लोढा पैनल ने यह सिफारिश की थी कि बीसीसीआई की 14 सदस्यों वाली कार्यकारिणी कमेटी की जगह 9 सदस्यों वाली शीर्ष परिषद बनाई जाए.
- एक अहम सिफारिश यह थी कि 70 साल से अधिक की उम्र का कोई भी व्यक्ति बीसीसीआई या राज्य बोर्ड की किसी भी कमेटी का सदस्य न बने.
- पैनल ने यह सुझाव दिया कि पूरे राज्य में सिर्फ एक संघ होना चाहिए और एक राज्य सिर्फ एक वोट कर सकता है. अगर एक राज्य में एक से ज्यादा क्रिकेट संघ है तो वह रोटेशन के तहत वोट दें.
- पैनल ने कहा कि एक पदाधिकारी एक बार में केवल तीन साल के लिए ही बीसीसीआई की कार्यकारिणी का सदस्य रहे और ज्यादा से ज्यादा तीन बार बीसीसीआई का चुनाव लड़े. लगातार दो बार कोई भी पदाधिकारी किसी भी पद पर नहीं रह सकता.
- बीसीसीआई की कार्यकारिणी कमेटी में कोई मंत्री या सरकारी अधिकारी न हो.
- टीम चयन के लिए पांच सदस्यों की जगह तीन सदस्य वाली चयन समिति बने.
- बीसीसीआई के धन संबंधी पारदर्शिता के लिए एक सीएजी को नियुक्ति किया जाए.
- आईपीएल और बीसीसीआई की अलग-अलग संचालन संस्था हो.
- आईपीएल और राष्ट्रीय कैलेंडर के बीच 15 दिन का अंतर होना चाहिए यानी आईपीएल ख़त्म होने के 15 दिन के बाद खिलाड़ी कोई भी अंतरराष्ट्रीय मैच खेल सकता है.
- लोढा पैनल ने सट्टेबाज़ी को वैध करने की सिफारिश की थी, लेकिन यह भी कहा था कि कोई खिलाड़ी, प्रबंधक और पदाधिकारी सट्टेबाज़ी का हिस्सा न हो. पैनल ने यह भी सिफारिश की कि मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग को अपराध माना जाए.
- एक सदस्य सिर्फ एक पद पर रहे चाहे वह राज्य क्रिकेट बोर्ड के किसी समिति का हो या बीसीसीाई की मूल समिति का.
- बीसीसीआई के आंतरिक मामले सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज को नियुक्त किया जाए और हाई कोर्ट के एक पूर्व जज को एथिक्स अफ़सर नियुक्त किया जाए.
- बीसीसीआई को आरटीआई एक्ट के दायरे में लाया जाए.
- खिलाड़ियों के हित के लिए एक खिलाड़ियों का एक संघ बनाए जाए और बीसीसीआई फंडिंग करे.
साभार एनडीटीवी इंडिया
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