नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह इस बात पर विचार करेगा कि क्या पटाखों के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने इस तथ्य पर गौर किया कि दीपावली के दौरान वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है.
न्यायालय ने कहा कि त्योहारों के दौरान प्रदूषण के असामान्य रूप से उच्च स्तर तक पहुंच जाने की वजह से शहर में तकरीबन 20-25 फीसदी बच्चे सांस से संबंधित समस्याओं से पीड़ित रहते हैं.
न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा, ‘क्या हमें समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और प्रदूषण में योगदान देने वाली हर चीज पर प्रतिबंध लगाना चाहिए या अस्थाई दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और केवल पटाखों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए?’ न्यायालय ने इस पर भी गौर किया कि वायु प्रदूषण शिशुओं के लिए बेहद खतरनाक है और जहरीले पटाखे जलाए जाने से हवा की विषाक्तता बढ़ जाती है.
एक पटाखा निर्माता की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता सी ए सुंदरम ने तर्क दिया कि अध्ययन के अनुसार, पटाखों पर प्रतिबंध से वायु प्रदूषण पर काफी कम असर पड़ता है और इस मुद्दे पर वैज्ञानिक अध्ययन होना चाहिए. न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 8 अगस्त को निर्धारित की.
शीर्ष अदालत ने पिछले साल अपने अभिभावक के माध्यम से तीन नाबालिगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीमित अवधि के लिए पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. दिवाली पर इस प्रतिबंध में ढील देने से भी इनकार कर दिया था. (इनपुट – भाषा)