उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस ‘कोविड 19’ को लेकर जारी पूर्णबंदी के कारण विदेश में फंसे भारतीयों को सोमवार को सलाह दी कि ”जो जहां है, वहीं रहें। शीर्ष अदालत ने विदेशों में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एम. एम. शांतनागौदर की पीठ ने विदेश में रुके भारतीयों से अपील की कि वे ”जहां हैं वहीं रहें। न्यायालय ने कहा कि उन्हें अभी वापस लाना संभव नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने सात याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई की, जिसमें ब्रिटेन, अमेरिका, ईरान और अन्य खाड़ी देशों में छात्रों, कामकाजी पेशेवरों, अकुशल श्रमिकों और मछुआरों एवम् भारतीय नागरिकों को वहां से निकालने का अनुरोध किया है।
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा कि इस संकट के दौरान लोगों को भारत वापस लाना असंभव है और उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से पहले से दायर हलफनामे में इस रुख को दोहराया है। मेहता ने कहा कि पूरी दुनिया में लोगों को वीजा एक्सटेंशन मिल रहे हैं। मेरे हलफनामे में मैंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि अभी यह संभव नहीं है। Source पंजाब केसरी