देहरादून: प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के शव को आठ घंटे के भीतर एम्स ऋषिकेश से मातृ सदन हरिद्वार लाने और उनके पार्थिव शरीर को 72 घंटों तक आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए रखने के हाईकोर्ट के आदेश पर अभी अमल भी नहीं हुआ था कि सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को स्थगित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि हाईकोर्ट का आदेश माना गया तो स्वामी सानंद के अंग प्रत्यारोपण के लिए अनफिट हो जाएंगे।
शुक्रवार को हाईकोर्ट उत्तराखंड के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने हरिद्वार निवासी डॉक्टर विजय वर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) के पार्थिव शरीर को सम्मानपूर्वक लाने और ले जाने के आदेश एसएसपी हरिद्वार और एसएसपी देहरादून को दिए। कोर्ट ने कहा कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की इच्छानुसार ही उनका पार्थिव शरीर एम्स ऋषिकेश में वापस भेजा जाए।
कोर्ट ने कहा कि स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर के दर्शन का अनुयायियों को पूरा अधिकार है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश के आधार पर कोई दल राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश न करे। हाईकोर्ट के इस आदेश पर इससे पहले कि अमल होता सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्थगित कर दिया। एम्स ऋषिकेश ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने शुक्रवार को चैंबर में इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया गया तो एम्स में सुरक्षित रखे गए स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर के अंग दूसरे मानव शरीर में प्रत्यारोपण के लिए अनफिट हो जाएंगे।
हाईकोर्ट में याची का कहना था कि गंगा की रक्षा के लिए प्रभावी कानून बनाने और गंगा की धारा को अविरल रखने को लेकर प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने 113 दिन तक अनशन किया । प्रोफेसर जीडी अग्रवाल को मातृ सदन ने स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का नाम दिया था। उनकी 11 अक्तूबर को मौत हो गई थी। उन्होंने मरने से पहले कहा था की उनकी मृत्यु के बाद उनके पार्थिव शरीर को ऋषिकेश एम्स में रखा जाए।
उनकी मौत के बाद एम्स प्रशासन ने जीडी अग्रवाल के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन की किसी को अनुमति नहीं दी थी। याची का यह भी कहना था कि अंतिम दर्शन भी नहीं करने दिए जा रहे हैं। याची ने प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का हिंदू रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करने की अनुमति भी मांगी है। कहा गया कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने संन्यास लिया था।