नई दिल्ली: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है जिसका उद्देश्य आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) (viib) के तहत स्टार्ट-अप्स के लिए रियायतों की प्रक्रिया को सरल बनाना है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) इस आशय की राजपत्र अधिसूचना आज जारी करेगा।
समाज के सभी वर्गों और अर्थव्यस्था के सभी सेक्टरों में अन्वेषकों के लिए एंजल निवेश सुनिश्चित करने हेतु उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 11 अप्रैल, 2018 को जारी राजपत्र अधिसूचना संख्या जीएसआर 364(ई) में आंशिक संशोधन के लिए एक राजपत्र अधिसूचना 16 फरवरी, 2019 को जारी की गई थी। हालांकि, एंजल निवेश पर कर लगाने के संबंध में चिंताएं जताई गई थीं। इसके अलावा अन्य मुद्दों को भी सुलझाने की जरूरत थी, ताकि स्टार्ट-अप्स को पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
श्री सुरेश प्रभु ने संबंधित अधिकारियों के समक्ष ये मुद्दे उठाए और स्टार्ट-अप्स, एंजल निवेशकों एवं अन्य हितधारकों के साथ डीपीआईआईटी में सचिव की अध्यक्षता में 4 फरवरी, 2019 को एक गोलमेज बैठक आयोजित की गई, ताकि एंजल टैक्स से जुड़े मुद्दे को सुलझाने और संस्थागत रूप से इससे निपटने की व्यवस्था को समझने के लिए विभाग द्वारा शुरू किये गये नये उपायों पर विचार-विमर्श किया जा सके।
इस अधिसूचना के साथ ही स्टार्ट-अप्स की परिभाषा का विस्तार किया जाएगा। अब किसी भी निकाय को निगमन एवं पंजीकरण की तिथि से लेकर अगले 10 वर्षों तक एक स्टार्ट-अप के रूप में माना जाएगा, जबकि पहले इसके लिए 7 वर्षों की अवधि तय की गई थी। इसी तरह किसी निकाय को आगे भी निरंतर एक स्टार्ट-अप माना जाएगा, यदि निगमन एवं पंजीकरण के बाद किसी भी वित्त वर्ष में इसका कारोबार या टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं हुआ हो, जबकि पहले यह आंकड़ा 25 करोड़ रुपये तय किया गया था।
किसी भी स्टार्ट-अप को आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) (viib) के तहत रियायत के लिए पात्र माना जाएगा, यदि वह डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हो और वह निम्नलिखित में से किसी भी परिसंपत्ति में निवेश न कर रहा हो :
- ऐसे भवन या जमीन का स्वामित्व, जो एक आवासीय मकान हो और जो स्टार्ट-अप्स द्वारा अपने सामान्य कारोबार के तहत किराये पर देने या सौदा करने के लिए उपयोग में लाए जा रहे भवन या भूमि के अलावा हो।
- ऐसी भूमि या भवन अथवा दोनों, जो कोई आवासीय मकान न हो और जो स्टार्ट-अप द्वारा अपने सामान्य कारोबार के तहत अपने बिजनेस के लिए अथवा किराये पर देने या सौदा करने के लिए उपयोग में लाए जा रहे भवन या भूमि के अलावा हो।
- ऐसे ऋण अथवा अग्रिम राशियां जो उन स्टार्ट-अप्स द्वारा अपने सामान्य कारोबार के तहत दिए जाने वाले ऋणों अथवा अग्रिम राशियों के अलावा हों, जिनके द्वारा धनराशि उधार पर देना उनके कारोबार का अभिन्न हिस्सा हो।
- किसी अन्य निकाय को किया गया पूंजीगत योगदान
- शेयर एवं प्रतिभूतियां
- कोई ऐसा मोटर वाहन, विमान, नौका या परिवहन का कोई अन्य साधन, जिसकी वास्तविक लागत 10 लाख रुपये से अधिक हो और जो स्टार्ट-अप्स द्वारा अपने सामान्य कारोबार के तहत किराये, लीज इत्यादि पर देने के लिए उपयोग में लाए जा रहे इस तरह के वाहन के अलावा हो।
- ऐसा कोई आभूषण जो स्टार्ट-अप्स द्वारा अपने सामान्य कारोबार के तहत सौदा करने के लिए उपयोग में लाए जा रहे आभूषण के अलावा हो।
- ऐसी कोई अन्य परिसंपत्ति जो या तो पूंजीगत परिसंपत्ति अथवा किसी अन्य रूप में हो और जिसके बारे में स्पष्टीकरण के अनुच्छेद (डी) के उप-अनुच्छों (iv) से लेकर (ix) में और अधिनियम की धारा 56 की उप-धारा (2) के अनुच्छेद (vii) में निर्दिष्ट किया गया हो।
जारी किए गए शेयरों अथवा प्रस्तावित शेयरों के लिए पात्र स्टार्ट-अप्स को प्राप्त धनराशि के मामले में 25 करोड़ रुपये की समग्र सीमा तक छूट रहेगी।
इसके अलावा, किसी ऐसी सूचीबद्ध कंपनी को जारी किये गए शेयरों अथवा प्रस्तावित शेयरों के लिए पात्र स्टार्ट-अप्स को प्राप्त धनराशि पर भी छूट रहेगी, जिसकी शुद्ध संपत्ति (नेटवर्थ) 100 करोड़ रुपये हो अथवा कारोबार कम से कम 250 करोड़ रुपये हो।
25 करोड़ रुपये की समग्र सीमा में निम्नलिखित व्यक्तियों से पात्र स्टार्ट-अप्स को प्राप्त धनराशि शामिल नहीं होगी :
- अनिवासी
- सेबी में पंजीकृत श्रेणी-I के वैकल्पिक निवेश फंड
- 100 करोड़ रुपये की शुद्ध संपत्ति अथवा कम से कम 250 करोड़ रुपये के कारोबार वाली सूचीबद्ध कंपनी, बशर्ते कि सेबी (शेयरों की व्यापक खरीद और अधिग्रहण) नियमन, 2011 के अनुसार उसके शेयरों की अक्सर ट्रेडिंग होती हो।
रियायत पाने के लिए स्टार्ट-अप्स को डीपीआईआईटी में विधिवत हस्ताक्षरित घोषणा पत्र दाखिल करना होगा। यह घोषणा डीपीआईआईटी द्वारा केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को भेज दिया जाएगा।