हरिद्वार: मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि देश में लंबे समय से राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर राजनीति हो रही है, लेकिन गंगा की चिंता किसी को नहीं है। उन्होंने कहा कि गंगा के लिए अनशनरत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की सुध कोई नहीं ले रहा है। उन्होंने मोदी सरकार पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती को गंगा के लिए कार्य न करने देने का आरोप लगाया।
स्वामी शिवानंद सरस्वती बुधवार को मातृसदन में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गंगा भारतीय संस्कृति का प्रतीक होने के साथ ही लोगों की आस्था का मुख्य केंद्र है, लेकिन सरकारों ने गंगा को हास्य पर रख दिया है। उन्होंने भाजपा सरकार को मंदिर तोड़ने वालों से ज्यादा खतरनाक और भारतीय संपदा व संस्कृति को नष्ट करने वाला बताया।
उन्होंने कहा कि गंगा के समर्पण, श्रद्धा, ज्ञान, इच्छा शक्ति, अध्ययन के अभाव के कारण ही केंद्र सरकार ने गंगा को धन अर्जित करने का हथियार बना लिया है। शिवानंद सरस्वती ने कहा कि पहले अविरल और निर्मल गंगा की बात की जाती थी, लेकिन अब अविरल शब्द ही सरकार ने हटा दिया है। जिस कारण आज गंगा की अविरलता पर कोई बात नहीं करता है।
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने गंगा के लिए कार्य करने का प्रयास किया तो केंद्र सरकार ने उन्हें कार्य नहीं करने दिया और केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को गंगा की निर्मलता का कार्य सौंप दिया गया, जबकि नितिन गडकरी से बेहतर कार्य उमा भारती कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि बुधवार को गंगा की अविरलता और निर्मलता को बनाए रखने के लिए स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद को अनशन 104 दिन हो गए हैं, लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा है। यदि स्वामी सानंद के प्राण जाते हैं तो वह नवरात्रों के बाद वह अनशन पर स्वयं बैठेंगे।
हाईकोर्ट के आदेश पर पिछले एक माह से चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान पर भी स्वामी शिवानंद ने प्रश्नचिह्न लगाया है। उन्होंने कहा कि जिस अधिकारी के कार्यकाल के दौरान अतिक्रमण हुआ है उस पर भी कार्रवाई की जानी है, लेकिन प्रशासन केवल जनता को ही परेशान कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रशासन अधिग्रहण और अतिक्रमण में फर्क नहीं कर पा रही है। यदि लक्सर रोड पर अधिग्रहण किया गया है तो प्रशासन मुआवजा दिए जाने के कागजात भी लोगों को दिखाए। साभार अमर उजाला