नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता दिए जाने के लिए स्वीडन और बेलारुस ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि स्वीडन ने मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण प्रणाली में भारत की सदस्यता को समर्थन देने की सहमति भी दी है। वे स्वीडन और बेलारुस के दौरे (31 मई से 04 जून, 2015 तक) के बाद मिंस्क से देश वापस लौटते समय विशेष विमान में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि स्वीडन और बेलारुस की किसी भी भारतीय राष्ट्रपति की यह पहली यात्रा थी। इस यात्रा से यह साबित होता है कि भारत इन दोनों देशों के साथ अपने संबंध और भागीदारी बढ़ाने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि स्वीडन की यात्रा के दौरान मैंने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंध बढ़ाने पर जोर दिया।
श्री मुखर्जी ने बताया कि स्वीडन स्मार्ट सिटी निर्माण, यातायात, कचरा प्रबंधन, हरित प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी स्थान रखता है तथा इस क्षेत्र में हम सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 6 समझौते हुए जिनमें शहरी विकास, मध्यम एवं लघु उद्योग, ध्रुवीय अनुसंधान, नागरिक परमाणु अनुसंधान और औषधि के क्षेत्र शामिल हैं। इसी प्रकार दोनों देशों के शिक्षा संस्थानों, थिंक टैंकों और वाणिज्यिक परिसंघों के बीच 7 समझौता दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए।
श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि स्वीडन की अग्रणी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में संभावनाएं देख रही हैं और वे यहां अपनी गतिविधियां और निवेश बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने बताया कि वे स्वीडन के प्रतिष्ठित कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में चिकित्सा वैज्ञानिकों के समारोह में उपस्थित हुए और स्वीडन के व्यापारिक समुदाय तथा वहां रहने वाले भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने यूरोप के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से एक उप्पसला यूनिवर्सिटी में रवीन्द्र नाथ टैगोर और महात्मा गांधी के विचारों को अपने व्याखान में प्रस्तुत किया कि विश्व शांति के लिए वे कितने समीचीन और प्रासंगिक हैं।