स्वीडन: भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने स्वीडन के उप्पसला विश्वविद्यालय में ”टैगोर एवं गांधी : क्या वैश्विक शांति के लिए उनका समसामयिक महत्व है?” विषय पर सार्वजनिक भाषण दिया।
अपने भाषण में राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि टैगोर और गांधीजी द्वारा अपनाए गए सच्चाई, उदारता, संवाद और अहिंसा के विचार असहिष्णुता, कट्टरपन एवं आतंकवाद से जूझ रहे विश्व को सर्वश्रेष्ठ मार्ग प्रदान करते हैं। उनके मूल्य और उनकी दृष्टि ऐसे विश्व में आज ज्यादा प्रासंगिक है, जो बहुत मायूसी के साथ संघर्ष एवं तनाव का स्थायी समाधान ढूंढ रहा है। इसलिए ऐसे आदर्शें को खासकर युवाओं के बीच, ज्यादा प्रचारित-प्रसारित किये जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि 1.25 अरब की अपनी आबादी के साथ भारत सदियों से जातीय और धार्मिक भावनाओं का सामंजस्यपूर्ण मेलजोल का देश रहा है। हम अच्छी तरह जानते हैं कि स्थायी शांति का निर्माण केवल आपसी सम्मान की नींव पर ही हो सकता है, जिसकी टैगोर और गांधीजी दोनों ने ही लगातार तथा अर्थपूर्ण ढंग से वकालत की थी। उन्होंने कहा कि स्थायी शांति केवल मानवता के नैतिक और बौद्धिक एकजुटता के आधार पर स्थापित की जा सकती है। राजनीतिक और आर्थिक समझौते केवल अपने दम पर एक स्थायी शांति का निर्माण नहीं कर सकते। शांति की प्राप्ति मात्र इसी विश्वास पर हो सकती है कि दुनिया में केवल एक ही मानवता है।