नई दिल्ली/देहरादून: नई दिल्ली स्थित ताज पेलैस में चल रहे दैनिक जागरण कानक्लेव में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रतिभाग किया। पैनल द्वारा पूछे गये प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि
उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना जिस मकसद से की गयी थी, उसी के अनुरूप पिछले 15 वर्षों में उत्तराखण्ड राज्य ने राज्य निर्माण से लेकर अभी तक काफी प्रगति व उन्नति की है। हम उत्तराखण्ड के विकास के लिये सकारात्मक एवं योजनाबद्व तरीके से काम कर रहे है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यों की विकास दर के आकलन मापने के मोटे-मोटे पैरामीटर जैसे प्रति व्यक्ति आय, इंफ्रसस्ट्रक्चर डेवलपमेंट के तौर पर उत्तराखण्ड ने अन्य राज्यों से बेहतर विकास किया है, उत्तराखण्ड राज्य इस समय सबसे तेजी से विकसित हो रहे राज्यों में से एक है। राज्य निर्माण के बाद उत्तराखण्ड के प्रति व्यक्ति की औसत आय में तेजी से वृद्धि हुयी है। लेकिन मेरा मानना है कि अभी-भी उत्तराखण्ड के दूर-दराज के क्षेत्रों में लोगो की समस्याओं को बेहतर तरीके से समाधान करने के लिये बहुत कुछ काम करने की जरूरत है। हम उत्तराखण्ड राज्य को एक संतुलित समावेशी विकास की दिशा में आगे बढ़ाने के लिये प्रयासरत है। मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य स्किल डेवलपमेंट, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्रोें में अन्य छोटे राज्यों से बेहतर है। उत्तराखण्ड में 6 मेडिकल काॅलेज, 8 नर्सिंग काॅलेज एवं 19 नये पाॅलिटैक्निक खोले गये है।
अन्य प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के पूर्ण भू-भाग का 70 प्रतिशत वन-क्षेत्र है। जिसके कारण राज्य के पास आमदनी के संसाधन बहुत कम है। जिससे रोजगार के अवसर बहंुत कम होने से पहाडी क्षेत्र में पलायन की गति तेजी से बड़ी है। मुख्यमंत्री ने प्रश्न उठाया कि यदि पलायन से पहाडी क्षेत्र खाली हो जायेगे तो राज्य से लगी हिमालयी सीमा की रक्षा कौन करेगा। हालांकि हमारी सरकार पलायन रोकथाम के लिये एवं आजिविका विकास के लिये साधनों को विकसित कर रही है। इस के लिये केन्द्र से राज्य को ग्रीन बोनस मिलना चाहिये, क्योंकि हिमालयी क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक सुरक्षा का राष्ट्र का दायित्व होना चाहिये।