नई दिल्ली: मोरक्को के माराकेच में चल रहे सीओपी-22 में 14 दिसम्बर को बाल दिवस के अवसर पर देश के बच्चों के लिए भेजे संदेश में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अनिल माधव दवे ने बच्चों से दृढ़तापूर्वक अनुरोध किया कि की वे ‘खाने की प्लेट में उतना ही खाना लें जितना खा सकें, खाने को बर्बाद करना एक कार्बन अपराधी होने जैसा है’। उन्होंने कहा कि गांधी जी, नेल्सन मंडेला, बुद्ध और महावीर ने न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट की जिस जीवन शैली को अपनाया था उसमें जलवायु परिवर्तन से लड़ने की कुंजी विद्यमान है। मोरक्को के माराकेच में आयोजित सीओपी-22 में ‘लो कार्बन लाईफ स्टाइल्स – राइट च्वाइस फॉर ऑवर प्लेनेट’ नामक पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्होंने कहा कि हमें भविष्य के आंदोलन के रूप में न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट की जीवन शैली अपनानी चाहिए। हमें संसाधनों के संरक्षण का विचार आगे बढ़ाने की जरूरत है। परिवर्तन की हवा खुद से और अपने भीतर से शुरू होती है। उन्होंने उपस्थित लोगों को बताया कि उन्होंने इस उद्देश्य की दिशा में कुछ कदमों की शुरुआत की है लेकिन वे दुनिया के लिए इनकी घोषणा कम-से-कम दो महीने तक लागू करने के बाद ही करेंगे।
इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन सचिव श्री अजय नारायण झा ने कहा कि पेरिस समझौता की सफलता की कुंजी प्रि-2020 कार्रवाई में निहित है।
कम कार्बन जीवन शैलियां पर आधारित यह पुस्तक व्यवहारिक गाइड है जिन्हें अपना कर जीवन शैली में थोड़े परिवर्तन करके ग्रह और स्वयं की जेब पर भी अनुकूल प्रभाव डाला जा सकता है। यह पुस्तक 7 अध्यायों में हैं जिनमें पूरी दुनिया की सफलता की कहानियों का वर्णन किया गया है जो यह दर्शाती हैं कि परिवर्तन केवल संभव ही नहीं है बल्कि लाभदायक है। यह पुस्तक पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा तैयार की गई है जिसमें जलवायु परिवर्तन के बारे में वैश्विक प्रतिक्रिया की जिम्मेदारी लेने के लिए आम आदमी को बढ़ावा और प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।
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