देहरादून: प्रदेश के सिंचाई मंत्री उत्तराखण्ड सरकार यशपाल आर्य ने आज विधान सभा स्थित अपने कक्ष में सिंचाई विभाग की कार्यों की समीक्षा बैठक ली।
बैठक में उन्होंने शासन एवं सिंचाई विभाग के उच्च अधिकारियों से कहा कि केन्द्र पोषित बाढ़ सुरक्षा कार्यक्रमों में हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। जमरानी बांध हमारी शीर्ष प्राथमिकता में है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड राज्य के मध्य सम्पन्न बैठक में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा परियोजना के निर्माण हेतु अपनी सैद्धान्तिक सहमति व्यक्त की गयी है। तथा इस आशय की सहमति भी व्यक्त की गयी कि जमरानी बांध परियोजना राष्ट्रीय परियोजना घोषित की जाय। बैठक में सचिव सिंचाई ने अवगत कराते हुए बताया कि जमरानी बांध पर वन विभाग द्वारा कुछ आपत्तियाॅं लगायी गयी हैं। उन्होंने बताया कि 351 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है। इसके लिये जिला अधिकारी एवं आयुक्त स्तर पर पैरवी की जा रही है। इसके निर्माण हेतु दो हजार 350 करोड़ की लागत आ रही है, तथा 400 एकड़ भूमि पुनर्वास के लिये भी अपेक्षित है।
बैठक में मंत्री जी द्वारा निर्देश दिये गये कि एस.ई. स्तर का अधिकारी अपने साथ अन्य अधिकारियों को हरदोई ले जाकर प्रकरण पर 15 दिन में अपनी रिर्पोट प्रस्तुत करें। पहले फारेस्ट किल्यरेन्स करवाई जाय। तथा जमरानी बांध की पुनरक्षित डी.पी.आर का अनुमोदन केन्द्रीय जल आयोग से लिया जाये। वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार से वन भूमि प्रत्यावत्र्तन प्रस्ताव पर स्वीकृति शीघ्र लेने के निर्देश दिये।
बैठक में सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने अवगत कराया कि वित्तिय वर्ष 2014-15 में शासन द्वारा जारी बजट नाबार्ड, राज्य सेक्टर सामान्य, ए.आई.बी.पी. तथा केन्द्र पोषित बाढ नियन्त्रण योजना के अन्तर्गत 674 करोड़ 68 लाख 117 हजार रू0 प्राप्त हुआ था। जिसमें से 632 करोड़ 60 लाख 13 हजार रू0 व्यय हो चुका है। स्वीकृत के विरूद्ध प्रगति 94 प्रतिशत रही।
बैठक में केन्द्र पोषित बाढ नियंत्रण सुरक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत 17 योजनाएॅं जिनकी लागत 265.83 करोड़ रू0 है। जिसमें 216.42 करोड़ केन्द्राश एवं रू0 49.41 करोड़ रू0 राज्यांश की स्वीकृति है, एवं सभी कार्य प्रगति पर है। सचिव सिंचाई ने अवगत कराया कि भारत सरकार द्वारा उक्त योजनाओं पर केन्द्रांश की धन राशि 74.44 करोड़ अवमुक्त की गयी है। जिसके सापेक्ष 16 संख्या योजनाओं में 70.24 करोड़ के उपयोगिता प्रमाण पत्र गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग पटना को प्रेषित किये जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि योजनाओं पर केन्द्रांश की अवशेष धन राशि रू0 141.98 करोड़ अवमुक्त होनी है। इसके अतिरिक्त 19 संख्या बाढ़ सुरक्षा योजनाऐं जिनकी अनुमानित लागत रू0 638.10 करोड़ है। तथा जो जी.एफ.सी.सी./सी.डब्ल्यू.सी. की टी.ए.सी. से अनुमोदित है। उक्त योजनाओं को बाढ़ नियंत्रण कार्यक्रम में सम्मालित किया जाना है। उन्होंने बैठक में अवगत कराया कि उक्त के अतिरिक्त 18 संख्या बाढ़ सुरक्षा योजनाऐं जिनकी अनुमानित लागत रू0 450.40 करोड़ है। जो जी.एफ.सी.सी./सी.डब्ल्यू.सी. की टी.ए.सी. से अनुमोदन होना लम्बित है।
केन्द्र पोषित पुनर्निर्माण के अन्तर्गत राज्य के आपदा प्रभावित क्षेत्रों मे विशेष पैकेज के अन्तर्गत सी.सी.एस. में माढ़ सुरक्षा योजनाओं हेतु रू0 879.50 करोड़ की स्वीकृति के सापेक्ष कुल 52 संख्या बाढ़ सुरक्षा योजनाओं लागत रू0 532.27 करोड़ (रू0 372.59 करोड़ केन्द्रांश एवं रू0 159.68 करोड़ राज्यांश) की निर्माणाधीन है भारत सरकार द्वारा उक्त योजनाओं पर केन्द्रांश की धनराशि रू0 43.81 करोड़ अवमुक्त की गई है। जिसके सापेक्ष 52 संख्या योजनाओं में रू0 43.81 करोड़ के उपयोगिता प्रमाण, प्रमाण पत्र गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग, पटना को प्रेषित किये जा चुके हैं। वर्ष 2015-16 तक उक्त योजनाओं के कार्य सम्पादन हेतु समयावधि निर्धारित की गई है। उक्त योजनाओं पर केन्द्रांश की अवशेष धनराशि रू0 328.77 करोड़ अवमुक्त होनी है।
त्वरित सिंचाई लाभ कार्य(ए.आई.बी.पी.) मद के अन्तर्गत निर्माणधीन 33 संख्या योजनायें, कुल लागत रू0 111.88 करोड़(रू0 77.57 करोड़ केन्द्रांश एवं रू0 34.34 करोड़ राज्यांश) पर केन्द्रांश की धनराशि रू0 77.57 करोड़ अवमुक्त होनी है।
बैठक में सचिव सिंचाई आनन्द बर्धन, उप सचिव सिंचाई पी.एस.बिष्ट, मुख्य अभियन्ता/विभागाध्यक्ष सिंचाई वी.के.टम्टा, मुख्य अभियन्ता कुमायूॅ सिंचाई, डी.सी.सिंह, मुख्य अभियन्ता गढ़वाल डी.पी.जुगरान, एस.ई. श्री आर. चालीस गाॅंवकर, एस.ई.बजट सिंचाई, डी.के.पचैरी, एवं समस्त अधीक्षण अभियन्ता एवं जमरानी बाॅधं से सम्बन्धित सिंचाई विभाग के अधिकारी मौजूद थे।