देहरादून: प्रदेश के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उत्तराखण्ड सरकार मंत्री प्रसाद नैथानी ने आज विधान सभा स्थित सभागार में पेयजल विभाग की समीक्षा बैठक ली।
बैठक में उन्होंने पेयजल निगम के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि नमामि गंगा कार्यक्रम के अन्तर्गत जो हमारी केन्द्र पोषित योजनाएॅं हैं, उन पर फोकस करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने समीक्षा करते हुए जोशीमठ, गोपेश्वर, श्रीनगर, कीर्तिनगर, सिरकोट-गंगनाली, बद्रीनाथ, कर्णप्रयाग, रूद्रप्रयाग, हरिद्वार(बी.एच.ई.एल), मुनी की रेती, ढालवाला की कुल नमामिगंगा कार्यक्रम की योजनाएॅं जिनकी लागत 50284.22 लाख रू0 है। इनके शीघ्र ही डी0पी0आर0 लागत जो एस0पी0एम0जी0 को प्रेषित किये गये हंै। उन्हें शीघ्रताशीघ्र केन्द्र सरकार को भेजा जाये जिसमें धन का आबंटन सुनिश्चित हो।
बैठक में उन्होंने जगजीत पुर, हरिद्वार की 40 एम.एल.डी.ए.डी.पी. योजना जिसकी अनुमानित लागत 74.10 करोड़ है जिस पर वित्तिय स्वीकृति प्राप्त हो गयी है। इस पर तुरन्त कार्य प्रारम्भ करने के निर्देश मंत्री जी द्वारा दिये गये। बैठक में अवगत कराया गया कि श्रीनगर, गोेपेश्वर-चमोली, जोशीमठ तथा कीर्तिनगर शहर की जलोत्सारण आई.एण्ड.डी. एवं एस.टी.पी. योजनाओं के प्राक्लन एम.पी.एन.जी. देहरादून द्वारा माह अगस्त में एम.एन.सी.जी. नई दिल्ली को भेजे जा चुके हैं।
बैठक में ग्रामीण क्षेत्र में बस्तियों को पेयजल सम्पूर्ति की समीक्षा करते हुए मंत्री जी ने कहा कि गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों को धन राशि शीघ्र अवमुक्त की जाय। जिसमें अधिकारियों ने अवगत कराया कि 40 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की दर से जलापूर्ति कुल 39309 बस्तियाॅं हैं। जिसमें पूर्ण रूप से आच्छादित बस्तियाॅं 21323 हैं। व आंशिक रूप से आच्छादित बस्तियाॅं 17959 हैं। तथा गुणवत्ता प्रभावित बस्तियाॅं 27 हैं। इसके साथ ही 55 लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन की दर से पूर्ण रूप से आच्छादित बस्तियाॅं 5034 तथा आंशिक रूप से आच्छादित बस्तियाॅं 34248 हैं तथा गुणवत्ता प्रभावित बस्तियाॅं 27 हैं। वित्तिय वर्ष 2015-16 में 957 बस्तियों को आच्छादित करने का लक्ष्य रखा है। जिसमें अगस्त 2015 तक 187 बस्तियों को आच्छादित किया जा चुका है।
बैठक में देहरादून, हरिद्वार एव उद्यमसिंह नगर जनपदों में अधिष्ठापित हैण्ड पम्पों की भी समीक्षा की गयी, जिसमें अधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि 38852 हैण्ड पम्प अधिष्ठाापित हैं। जिसमें वर्तमान में 33533 हैण्ड पम्प चालू अवस्था में हैं तथा 1319 हैण्ड पम्प खराब दशा में हैं व 183 हैण्ड पम्पों पर मरम्मत का कार्य चल रहा है। मंत्री जी ने अवशेष हैण्ड पम्पों का यथाशीघ्र मरम्मत करवाने के निर्देश देते हुए कहा कि उक्त खराब हैण्ड पम्पों को ठीक करवाया जाय। जिससे उक्त पम्पों से भी पानी लिया जा सके। बैठक में कोटेश्वर सिल्का खाल(चुन्नी खाल) ग्राम समूह पम्पिंग योजना जनपद टिहरी के विकास खण्ड कीर्तिनगर की 65 बस्तियों को पेयजल उपलब्ध कराया जाना है। उक्त योजना राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम के अन्तर्गत स्वीकृत है। योजना की स्वीकृत लागत 3217.44 लाख है जिसमें से 831.037 लाख रूपये अवमुक्त हो चुका हैं। इस योजना का स्रोत अलकनन्दा नदी से है। ग्राम नैथाणा के समीप इन फिल्ट्रेशन वैल बनाकर ट्रैप किये जाने का प्राविधान है। बैठक में अवगत कराया गया कि वर्तमान तक 1307.84 लाख रूपये व्यय हो चुका है। मंत्री जी ने इस योजना को शीघ्र पूरा करने के निर्देश अधिकारियों को दिये।
बैठक में लक्षमोली हडि़म की धार योजना की भी समीक्षा करते हुए उक्त योजना को बनाकर 2015 तक पूर्ण करने के निर्देश दिये। उक्त योजना का प्राक्लन हिण्डोला खाल पंम्पिक योजना के अतिंम छोर पर स्थित 93(एन.सी.03 पी.सी.67 एफ.सी.23) बस्तियों में नियमित जलापूर्ति न होने के कारण इन बस्तियों हेतु विचारित किया गया है। इन बस्तियों में कोई गुरूत्व स्रोत न होने के कारण अलकनन्दा नदी से 4 स्टेज पम्पिंग हेतु यह योजना विचारित की गयी है। जिसकी अनुमानित लागत 2374.32 लाख है जिसमें 2180.75 लाख रूपये स्वीकृत हो चुके हैं, तथा जिस पर अबतक 1440.32 लाख रूपये अवमुक्त हो चुका है।
बैठक में बताया गया कि अभी तक उक्त योजना पर 1109.361 लाख रूपये लग चुका है। वर्तमान में कार्य प्रगति पर है। जिसे 26 जनवरी 2016 तक बस्तियों में पानी पहुचा दिया जायेगा। वैसे 9 नवम्बर को राज्य स्थापना दिवस पर प्रारम्भिक चरण में इसे खोल दिया जायेगा।
बैठक में मंत्री जी ने अवगत कराया कि नाबार्ड से भी 300 करोड़ के ऋण की बात चल रही है। जिससे रूकी हुई परियोनाओं को पूर्ण किया जा सके। उन्होंने बैठक में केन्दीय मंत्री भारत सरकार उमा भारती को भी धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि अन्य योजनाओं पर भी पैंसा निर्गत करते हुए उचित दिशा निर्देश देगी। उन्होंने बताया कि जो हमारे पेयजल के प्रोजैक्ट लगभग 700 करोड़ के तैयार हैं। उन पर पैंसा भारत सरकार द्वारा दिया जाना है। समाधान केन्द्र सरकार से करने का है। इस विषय में हमारे प्रदेश को भरपूर सहायता प्रदान की जाय।