केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पैरालंपिक खेलों के पदक विजेताओं सुमित अंतिल (भाला फेंक एफ64 स्वर्ण पदक), देवेंद्र झाझरिया (भाला फेंक एफ46 रजत पदक), योगेश कथूनिया (चक्का फेंक एफ56 रजत पदक) और शरद कुमार (ऊंची कूद टी63 कांस्य पदक) को आज नई दिल्ली में सम्मानित किया। इस अवसर पर युवा मामले और खेल राज्य मंत्री श्री निसिथ प्रामाणिक, युवा मामले और खेल मंत्रालय के खेल विभाग के सचिव श्री रवि मित्तल और मंत्रालय के अधिकारी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री ठाकुर ने कहा, “भारत हमारे पैरालंपिक खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन से खुश है; हमने पिछले सभी पैरालंपिक खेलों की तुलना में पहले ही पैरालंपिक पदक तालिका की बराबरी कर ली है! पैरालंपिक खिलाड़ी भारत का गौरव हैं। भारतीय पैरा-एथलीटों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने न केवल देश को गौरवान्वित किया है, बल्कि यह साहस भी दिया है कि हर सपना हासिल किया जा सकता है। टोक्यो पैरालिंपिक में भारत ने अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा था और यह टीम अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पदकों की संख्या को दोहरे अंकों में ले गयी है। ये पैरा-एथलीट आज सभी के लिए प्रेरणा हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह से खेलों में रुचि ली है और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया है, उससे हमारे खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित हुए हैं। मैं एक बार फिर सुमित अंतिल, देवेंद्र झाझरिया, योगेश कथूनिया और शरद कुमार को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई देता हूं।” उन्होंने कहा कि सुमित ने भाला फेंक स्पर्धा में न सिर्फ स्वर्ण पदक जीता बल्कि विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। वहीं देवेंद्र ने 64.35 के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ रजत पदक हासिल किया। पैरालंपिक खेलों में यह उनका तीसरा पदक था। योगेश कथूनिया ने चक्का फेंक स्पर्धा में रजत और शरद कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद में कांस्य पदक जीता। ये सभी लाखों लोगों के लिए आदर्श बन गए हैं।
खेल मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए खिलाड़ियों की मदद करने में सरकार के दृष्टिकोण में एक परिवर्तनकारी बदलाव आया है। सरकार भारत के पैरालंपिक खिलाड़ियों की सुविधाओं और वित्त पोषण के साथ मदद करना जारी रखेगी ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें। उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों की अधिक से अधिक मदद करने के लिए टार्गेट ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) को आगे बढ़ाया जाएगा और मजबूत किया जाएगा।
श्री ठाकुर ने कहा कि मेजर ध्यानचंद को इससे बड़ी कोई और श्रद्धांजलि नहीं हो सकती कि हमारे पैरा-एथलीटों ने राष्ट्रीय खेल दिवस पर चार पदक जीते। उन्होंने कहा कि भारत के असाधारण प्रदर्शन करते हुए 1983 का क्रिकेट विश्व कप जीतने से इस खेल के प्रति पूरा दृष्टिकोण बदल गया था और इसने विभिन्न खेलों के खिलाड़ियों के आत्मविश्वास और मनोबल को भी बढ़ाया। श्री ठाकुर ने निशानेबाज अवनि लेखरा के प्रदर्शन को लेकर कहा कि एक पैरालंपिक में दो पदक जीतना उल्लेखनीय है और पूरे देश को उन पर गर्व है। अवनि लेखरा ने शूटिंग में दो पदक (एक स्वर्ण, एक कांस्य) जीते हैं।
अपनी बातचीत के दौरान, पैरा-एथलीटों ने कहा कि यह अभूतपूर्व है कि देश के प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों के साथ बातचीत करने और उन्हें प्रोत्साहित करने में इस तरह की व्यक्तिगत रुचि ली है। खिलाड़ियों ने कहा कि प्रधानमंत्री से मिले प्रोत्साहन की वजह से ही इस बार खिलाड़ियों का आत्मविश्वास पूरी तरह से अलग स्तर पर था। खिलाड़ियों ने यह महसूस किया कि उन्हें प्रदान की गई वित्तीय सहायता और सुविधाओं के साथ सरकार ने उन्हें अपनत्व का एहसास कराया और उनका समर्थन किया जिससे उनके मनोबल को जबरदस्त बढ़ावा मिला।