टाटा स्काई के लाखों कस्टमर्स पिछले 15 दिनों से सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया (एसपीएन) के चैनलों के इस डायरेक्ट-टू-होम प्लैटफॉर्म पर लौटने का इंतजार कर रहे हैं। टाटा स्काई ने 1 अक्टूबर को दोनों कंपनियों के बीच कमर्शल बातचीत टूटने के बाद सोनी के चैनल अपने प्लैटफॉर्म से हटा दिए थे। कंपनी के सब्सक्राइबर्स फेसबुक और ट्विटर पर टाटा स्काई के इस कदम की लगातार आलोचना कर रहे हैं।
दोनों कंपनियों के बीच बातचीत तब टूटी, जब एसपीएन ने 3 साल के कॉन्ट्रैक्ट के लिए टाटा स्काई से 1700 करोड़ रुपये की मांग की। इससे पहले दोनों कंपनियों में इसी अवधि के लिए 800 करोड़ रुपये में करार हुआ था, जो इस साल 31 जुलाई को खत्म हो गया था। टाटा स्काई ने रेफरेंस इंटरकनेक्ट अग्रीमेंट (आरआईओ) के तहत एसपीएन के सिर्फ 10 चैनल अपने कस्टमर्स को ऑफर करने का फैसला किया है, जिसके बाद एसपीएन ने इस मामले में राहत के लिए टेलिकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट ऐंड अपीलेट ट्राइब्यूनल (टीडीसैट) का दरवाजा खटखटाया। हालांकि ट्राइब्यूनल ने 11 अक्टूबर के अंतरिम आदेश में दोनों कंपनियों को चार हफ्तों के अंदर आमने-सामने बैठकर बातचीत करने और दोनों पक्षों को स्वीकार्य एक समझौते पर काम करने का निर्देश दिया है।
टीडीसैट में टाटा स्काई का पक्ष रखते हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि पुराने समझौते के तहत एसपीएन को 800 करोड़ रुपये मिल रहे थे, जबकि वह नए समझौते के तहत 1,000 करोड़ रुपये मांग रही है। सिब्बल ने कहा कि एसपीएन के पास अब इंडियन प्रीमियर लीग के राइट्स भी नहीं हैं। ऐसे में वह नए समझौते के लिए काफी ज्यादा रकम की मांग कर रही है।
एसपीएन सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है कि कंपनी ने 1,700 करोड़ रुपये की मांग की थी। हालांकि उन्होंने कहा कि यह मांग टाटा स्काई के सब्सक्राइबर्स की ग्रोथ, प्रॉजेक्टेड ग्रोथ, एसपीएन चैनलों की व्यूअरशिप के आधार पर की गई थी। टाटा स्काई के पास 3 साल पहले 1 करोड़ सब्सक्राइबर्स थे। अब उसके पास 1.6 करोड़ ग्राहक हो गए हैं। अगले तीन साल में कंपनी के 40 से 60 लाख और सब्सक्राइबर्स जोडऩे का अनुमान है। वहीं, तीन साल पहले एसपीएन के पास 14 चैनल थे, जो अब बढ़कर 32 हो गए हैं। इसके कई चैनल अपने जोन में टॉप थ्री में शामिल हैं।