नई दिल्ली: करों की चोरी के कारण राष्ट्र महत्वपूर्ण संसाधनों से वंचित हो जाता है, जिनका उपयोग सरकार गरीबी उन्मूलन और विकास कार्यक्रमों को शुरू करने में कर सकती है। काले धन पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को वापस ले लिया है।
इस बात को लेकर चिंता जताई गई है कि काले धन को छिपाने के मकसद से आयकर अधिनियम, 1961 (अधिनियम) के कुछ मौजूदा प्रावधानों का संभवतः इस्तेमाल किया जा सकता है। अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के लिए कराधान कानून (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 को संसद में पेश कर दिया गया है, ताकि कर अदायगी में चूक करने वाले करदाताओं पर अपेक्षाकृत उच्च दर से टैक्स लगाने के साथ-साथ कठोर दंड का प्रावधान भी सुनिश्चित किया जा सके।
‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, 2016 (पीएमजीकेवाई) के लिए कराधान और निवेश व्यवस्था’ नामक एक वैकल्पिक योजना को इस विधेयक में प्रस्तावित किया गया है। इस व्यवस्था के तहत घोषणा करने वालों को अपनी अघोषित आय के 30 प्रतिशत की दर से कर का भुगतान करना होगा और अपनी अघोषित आय के 10 प्रतिशत की दर से पेनाल्टी देनी होगी। इसके अलावा ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण उपकर’ के नाम से एक अधिभार (सरचार्ज) भी कुल टैक्स राशि के 33 प्रतिशत की दर से लगाने का प्रस्ताव है। टैक्स, सरचार्ज और पेनाल्टी (कुल मिलाकर लगभग 50 प्रतिशत) के अतिरिक्त घोषणा करने वालों को अपनी अघोषित आय के 25 प्रतिशत को एक जमा योजना में जमा कराना होगा, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण जमा योजना, 2016’ के तहत अधिसूचित किया जाएगा। इस राशि को सिंचाई, आवास, शौचालयों, बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य, आजीविका, इत्यादि से जुड़ी योजनाओं में उपयोग किया जाना प्रस्तावित है, ताकि न्याय और समानता को सुनिश्चित किया जा सके।
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