केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आज आयोजित किए गए ‘भारत टीबी सम्मेलन’ को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया।24 मार्च,2021 को ‘विश्व टीबी दिवस’ से पहले आयोजित किए गए सम्मेलन का उद्देश्य विश्व और राष्ट्रीय स्तर पर तपेदिक के प्रसार को रेखांकित करना था।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने टीबी को खत्म करने की सरकार की राजनीतिक प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में हमने 2025 से पहले संपूर्ण भारत से टीबी को जड़ से खत्म करने को उच्च प्राथमिकता दी है, जोकि ‘टिकाऊ विकास लक्ष्य’(एसडीजी)2030 से5 वर्ष पहले है। भारत सरकार रैपिड मॉलिक्यूलर टेस्ट के माध्यम से निःशुल्क परीक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही टीबी मरीजों को निःशुल्क उपचार, उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं, वित्तीय और पोषण संबंधी सहायता तथा गैर सरकारी एजेंसियों और निजी क्षेत्र की सहभागिता से इस प्रयास को और तेज करने के लिए अधिसूचना संबंधित कार्यवाही के लिए डिजिटल तकनीकी के इस्तेमाल को लेकर भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि यह प्रयास टीबी मुक्त विश्व के इस अभियान में भारत को नेतृत्वकर्ता की भूमिका में खड़ा करता है।
टीबी उन्मूलन का लक्ष्य 2025 से पहले हासिल करने के लिए ‘राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम’ (एनटीईपी) के तहत महत्वकांक्षी रणनीति ‘राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा एनएसपी के चलते ठोस रणनीति तैयार करने और संसाधनों का सुव्यवस्थित इस्तेमाल में मदद मिली जिसके चलते टीबी के मामलों में लगातार कमी आ रही है। साथ ही टीबी प्रभावित मरीजों की मृत्यु दर भी कम हो रही है।एनटीईपी ने निजी क्षेत्र के साथ संबंध मजबूत करने, राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर टीबी फ़ोरम के माध्यम से सामुदायिक जुड़ाव को मजबूत करने और स्वास्थ्य प्रणाली में सभी स्तरों पर टीबी सेवाओं को एकीकृत करने के लिए रोगी प्रदाता सहायता एजेंसियों (पीपीएसए) के अनुबंध जैसे कई नवाचारों की शुरुआत की है। इसमें आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र शामिल हैं जो टीबी को व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का एक अनिवार्य हिस्सा बना रहे हैं।’
उन्होंने सामुदायिक स्तर पर साझेदारी को सशक्त करने और समग्र प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का हिस्सा बनाने के लिए किए गए नए सुधारों और उपायों के बारे में भी चर्चा की:
I. सीबीएनएएटीऔर ट्रूनैट सेवाओं को विकेंद्रीकृत कर मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक तक पहुंच बढ़ाई गई है। इससे भारत, औषधि प्रतिरोधातमक्ता के बारे में समय रहते पता लगाने में सक्षम हुआ।
II. सक्रिय मामलों का पता लगाने के साथ-साथ भारत ऐसे लोगों और समूह तक भी पहुंच रहा है जो ज्यादा जोखिम वाले हैं और जो अब पहुँच से दूर थे। टीबी की उप-राष्ट्रीय निगरानी और बीमारी मुक्त प्रमाणन की व्यवस्था शुरू की गई जिसके अंतर्गत राज्यों और जिलों में टीबी के मरीजों की संख्या में 2015 के बाद से आई गिरावट का आकलन किया गया और उनकी उपलब्धियों के आधार पर उन्हें कांस्य, रजत और स्वर्ण पदक तथा टीबी मुक्त प्रमाण पत्र दिए गए।
III. भारत ने टीबी फोरम की स्थापना की जो सरकारी अधिकारियों,चिकित्सा विशेषज्ञों,नागरिक संस्थाओं और पेशेंट समूहों के प्रतिनिधियों के लिए एक ऐसा मंच है जहां सेवा उपलब्ध कराने और मरीज की देखभाल से संबंधित सभी बिंदुओं पर विचार विमर्श किया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि इन व्यवस्थाओं को किस तरह से सख्त कदमों नीतियों और संसाधनों से सरकार द्वारा सहायता मिल रही है। हाल के वर्षों में टीबीउन्मूलन के लिए संसाधनों का आवंटन व्यापक रूप में बढ़ाया गया है। पिछले वर्ष सरकार ने ‘निक्षय पोषण योजना’ के अंतर्गत 11.10 लाख मरीजों की पोषण मदद के लिए 249.43 करोड रुपए जारी किए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के हस्तक्षेप ने महामारी के दौरान भी टीबी को अपने पैर पसारने का मौका नहीं मिला।
डॉ हर्षवर्धन ने देश के सभी नागरिकों का आह्वान किया कि समग्रता में टीबी के खिलाफ लड़ाई लादेन और यह सोचें कि टीबी मात्र एक शारीरिक रोग नहीं बल्कि यह एक सामाजिक बीमारी भी है। उन्होंने कहा कि टीबी को एक अभिशाप और एक चुनौती मानते हुए हम सभी को इस बात के लिए सहमत होना पड़ेगा कि इसके समूल खात्मे के लिए सभी पक्षों की मदद की आवश्यकता है।टीबी को खत्म करने के लिए हमारा सबसे पहला कदम यह होना चाहिए कि हम इसे मात्र शारीरिक रोग मानना बंद करें क्योंकि यह एक सामाजिक बीमारी भी है।टीबी का नियंत्रण इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि यह हम सभी के विकास में से जुड़ा एक मुद्दा भी है।टीबी के खिलाफ हमें एक जन आंदोलन खड़ा करने की आवश्यकता है और बहुपक्षीय तथा एकीकृत कदम उठाए जाने की जरूरत है।
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत की सफलता को दुनिया ने देखा है और इसे मान्यता देते हुए भारत को ‘स्टॉप टीबी पार्टनरशिप’ की अध्यक्षता का दायित्व सौंपा है। उन्होंने आगे कहा कि इसके चलते सबसे पक्षों को अपनी विशिष्ट शैली और कार्यप्रणाली को एक दूसरे से साझा करने का अवसर मिलेगा और इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या से उबरने में हमें तभी मदद मिलेगी जब हम इसे जन आंदोलन बना देंगे।
डॉ हर्षवर्धन ने अपने संबोधन के आखिर में आशा व्यक्त की कि 2025 तक भारत से टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए सभी पक्षी साथ आएंगे और सभी का सहयोग मिलेगा, तभी हमारा यह नारा सफल होगा ‘टीबी हारेगा देश जीतेगा’। उन्होंने इंडिया टीबी सम्मेलन को बड़ी सफलता के लिए शुभकामनाएं दी।
इस बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन, पीडी हिंदुजा अस्पताल के डॉ जरीर उदवादिया, मेदांता मेडिसिटी के डॉक्टर नरेश त्रेहान, मैकगिल यूनिवर्सिटी के डॉ मधुकर पाई, ग्लोबल पब्लिक हेल्थ और इन्फेक्शस डिस्कवरी रिसर्च, जॉनसन एंड जॉनसन के वाइस प्रेसिडेंट और प्रमुख डॉक्टर अनिल कौल भी उपस्थित रहे।इनके अलावा एमडीआर टीबी ठीक बीमारी से उबर चुके लोग,मरीजों के संबंध में बात करने वाले भी उपस्थित रहे।