केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज मुंबई में आयोजित अखिल भारतीय स्थानीय स्वशासन संस्थान के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि नवोन्मेषण, उद्यमशीलता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अनुसंधान कौशल और अच्छी प्रथाएं ज्ञान का निर्माण करती हैं और ज्ञान को संपदा में बदलना ही देश का भविष्य है।
अखिल भारतीय स्थानीय स्वशासन संस्थान के अध्यक्ष रंजीत चव्हाण, महानिदेशक डॉ. जयराज फाटक, उपाध्यक्ष राजकिशोर मोदी, संस्थान के शासी निकाय के सदस्य विजय साने, गोविंद स्वरूप, रवि गुरु, उत्कर्ष कवाली, स्नेहा पलनिटकर इस अवसर पर उपस्थित थे।
श्री गडकरी ने विश्वास जताया कि आज स्नातक करने वाले छात्र अपने-अपने क्षेत्रों में प्राप्त ज्ञान का उपयोग करके देश और समाज के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और शिक्षा को जोड़ना आवश्यक है क्योंकि पूरी दुनिया में प्रौद्योगिकी में लगातार बदलाव आ रहा है।
श्री गडकरी ने कहा कि स्थानीय स्वशासन निकायों की परियोजनाओं को गुणात्मक रूप से बेहतर बनाने के लिए यह उपयुक्त समय है कि हम विश्व स्तरीय मानक के परियोजना प्रबंधन परामर्श संगठनों को शामिल करें और इसके लिए तकनीकी मापदंडों को वित्तीय योग्यता से अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने राय व्यक्त की कि जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक नगर निकायों के प्रशासन में अधिक सुधार नहीं आएगा। श्री गडकरी ने कहा कि नगर पालिकाओं के प्रदर्शन में सुधार के लिए वित्तीय लेखा परीक्षा के साथ-साथ निष्पादन लेखा परीक्षा करना भी उतना ही आवश्यक है।
श्री गडकरी ने कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग करके स्थानीय स्वशासी निकायों, विशेष रूप से, नगर निगमों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाये जाने की आवश्यकता है। प्रौद्योगिकी का उपयोग सड़क निर्माण, अपशिष्ट प्रबंधन, जल उपचार और 24 घंटे पानी की आपूर्ति जैसी सेवाओं को सर्वोत्तम तरीके से प्रदान करने के लिए किया जा सकता है। इससे न केवल धन की बचत होगी बल्कि इससे राजस्व भी प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर सार्वजनिक परिवहन को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक बनाने से बहुत सारा धन बचाया जा सकेगा।
उन्होंने कहा, “स्थानीय स्व-शासी निकायों को परियोजनाओं के लिए केवल सरकारी अनुदान पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि सार्वजनिक निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से काम करने का विकल्प भी अपनाना चाहिए। इसके लिए हर क्षेत्र में प्रचुर संभावनाएं हैं। ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में सार्वजनिक निजी क्षेत्र की भागीदारी से 5 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था पैदा हो सकती है।” इस संदर्भ में, श्री गडकरी ने सीवेज प्रबंधन के लिए मथुरा और नागपुर नगर निगम में कार्यान्वित परियोजनाओं का उदाहरण दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि फसल अवशेषों से बायो-एथेनॉल बनाने से न केवल ईंधन का उत्पादन होगा, बल्कि फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण पर भी अंकुश लगेगा।