स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा है, “देशभर में होम-आइसोलेशन में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की बड़ी संख्या के मद्देनजर टेली-परामर्श तक पहुंच बढ़ाने पर ध्यान देना जरूरी हो गया है, ताकि लोगों को समय पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके।” डॉ. मनसुख मंडाविया ने आज नौ राज्यों (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, लद्दाख और उत्तरप्रदेश) के स्वास्थ्य मंत्रियों, प्रमुख सचिवों/अतिरिक्त मुख्य सचिवों और प्रशासकों से बातचीत के दौरान यह कहा। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल भी उपस्थित थे।उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह किया कि वे मुख्य केंद्र और उपकेंद्रों वाले मॉडल को अपनायें तथा यह सुनिश्चित करें कि ज्यादा से ज्यादा टेली-परामर्श के केंद्र खुल जायें। इससे लोगों को जिला केंद्रों में बैठे विशेषज्ञों से सलाह मिल जायेगी। उन्होंने कहा कि ई-संजीवनी 2.6 करोड़ से अधिक लोगों को सेवायें प्रदान कर रही है, जिसके जरिये लोग अपने घरों में बैठकर मेडिकल सलाह ले सकते हैं।उन्होंने कहा, “यह कदम गेम-चेंजर साबित होगा और दुर्गम तथा दूर-दराज के इलाकों के लिये इसकी बेहद अहमियत होगी, खासतौर से इन सर्दियों में उत्तरी इलाकों के लिये। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ये केंद्र 24X7 काम करें तथा आम लोगों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुविधा को यकीनी बनाया जाये। अड़चनों और यात्रा की जरूरत को कम करने के लिये विशेषज्ञों की सलाह को संभाग स्तर पर, माध्यमिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के जरिये प्रदान किया जा सकता है।” उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी कि वे होम-आइसोलेशन वालों की निगरानी राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप करते रहें। इससे यह सुनिश्चित हो जायेगा कि होम-आइसोलेशन के गंभीर मामलों को समय पर आवश्यक मेडिकल सहायता मिल जायेगी।
वर्चुअल बैठक का आयोजन कोविड-19 के प्रबंधन और उसकी रोकथाम के लिये जन स्वास्थ्य तैयारियों तथा राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण अभियान की प्रगति की समीक्षा करने के लिये किया गया था। उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में शामिल होने वाले राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज (हरियाणा) और डॉ. धन सिंह रावत (उत्तराखंड) थे। इन स्वास्थ्य मंत्रियों ने केंद्र द्वारा कोविड-19 महामारी से लड़ने में निरंतर समर्थन देने पर कृतज्ञता व्यक्त की।
डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि केंद्र कोविड-19 की रोकथाम और प्रबंधन को समर्थन देने के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह किया कि वे स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत बनाने के लिये ईसीआरपी-II के तहत गतिविधियों के क्रियान्वयन में तेजी लायें और उनकी समीक्षा करें। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रियों और राज्यों के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे विभिन्न अवसंरचना परियोजनाओं के लिये स्वीकृत धनराशि के कारगर इस्तेमाल के जरिये खामियों को दूर करें। उन्होंने कहा, “मजबूत स्वास्थ्य अवसंरचना के जरिये हम स्वास्थ्य आपदा तथा जन स्वास्थ्य संकट का सामना करने की बेहतर तैयारी कर सकते हैं।” राज्यों को सलाह दी गई कि वे अस्पतालों में बिस्तरों, पीएसए संयंत्रों, ऑक्सीजन उपकरणों जैसी सुविधाओं तथा उपलब्धता की जानकारियां नियमित रूप से https://covid19.nhp.gov.in/ पोर्टल पर अपडेट करते रहें। इस अपडेट से स्थिति की बड़ी तस्वीर नजर आयेगी तथा जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से हरकत में आने के लिये फैसला करने में आसानी होगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर दोबारा जोर दिया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जांच में तेजी लाई जाये। जिन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में आरटीपीसीआर की जांच कम हो रही है, उनसे आग्रह किया गया कि वे इसमें तेजी लायें। उन्हें यह भी याद दिलाया गया कि वे कोविड इलाकों और हॉटस्पॉट पर नजर रखें तथा मृत्यु की घटनाओं सहित अस्पताल में आने वाले मामलों की निगरानी करें।
डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा, “कोविड-19 से लड़ाई में टीकाकरण ही एकमात्र कारगर हथियार है। भारत और पूरी दुनिया में देखा गया है कि टीका लगवाने वालों को रोग की तीव्रता नहीं होती और उन्हें अस्पताल में भरती होने की नौबत भी कम आती है। अस्पताल में भरती होने वालों में ज्यादातर वही लोग हैं, जिन्हें टीका नहीं लगा है। इसलिये जरूरी है कि जिन लोगों को टीका नहीं लगा है, उन्हें फौरन टीके लगाये जायें।” उन्होंने राज्यों से यह आग्रह भी किया कि वे 15-18 आयुवर्ग के लोगों को टीका लगाने को प्रोत्साहित करें और यह सुनिश्चित करें कि उन जिले में पूर्ण टीकाकरण हो गया है, जहां पहली और दूसरी खुराक लगवाने वालों की संख्या कम है।
डॉ. मंडाविया ने कहा कि हमारा पिछला अनुभव, ‘जांच-निगरानी-उपचार-टीका और कोविड उयुक्त व्यवहार’ यह बताता है कि इन सबके साथ मामलों पर नजर रखना कोविड प्रबंधन के लिये कितना जरूरी है।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने तीसरी लहर के दौरान सतर्कता और सजगता पर जोर दिया। उन्होंने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह किया कि जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये, ताकि किसी भी परिस्थिति में वे मिल जायें। दवाओं की कमी न होने पाये, इसके लिये भी समय पर उन्हें खरीदकर रखा जाये।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने कोविड-19 के प्रबंधन और कारगर तरीकों का ब्योरा दिया। साथ ही कोविड की स्थिति, अस्पतालों में भरती लोगों की स्थिति, बिस्तरों की स्थिति, जांच और टीकाकरण का ब्योरा भी पेश किया। उत्तरप्रदेश ने बताया कि होम-आइसोलेशन में रहने वालों की घर-घर जाकर निगरानी की जा रही है, जिसके लिये निगरानी समितियां बनाई गई हैं। लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश दवा, पोषण पूरक दवाओं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं को होम-आइसोलेशन वाले मरीजों को उपलब्ध करा रहा है।
बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण, डीजी, आईसीएमआर डॉ बलराम भार्गव, अपर सचिव (स्वास्थ्य मंत्रालय) डॉ. मनोहर अगनानी, अपर सचिव (स्वास्थ्य मंत्रालय) श्रीमती आरती आहूजा, संयुक्त सचिव (स्वास्थ्य मंत्रालय) श्री लव अग्रवाल, निदेशक (एनसीडीसी) डॉ. सुजित कुमार सिंह, एम्स, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।