16 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

टेली-मेडिसिन भारत के लिए हर वर्ष 4-5 अरब अमेरिकी डॉलर बचा सकती है: डॉ जितेंद्र सिंह

देश-विदेश

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय  पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय एवं  प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि टेली-मेडिसिन प्रौद्योगिकी  भारत में  भविष्य की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का मुख्य स्तंभ बनने जा रही है ।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी में टेली-डिजिटल स्वास्थ्य देखरेख प्रायोगिक कार्यक्रम (हेल्थकेयर पायलट प्रोग्राम)  का शुभारंभ करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, टेली-मेडिसिन जैसे अभिनव स्वास्थ्य समाधान भारत के लिए हर वर्ष 4-5 अरब अमेरिकी डॉलर बचा सकते हैं और आधे व्यक्तिगत रूप से बहिरंग रोगियों ( इन-पर्सन आउट पेशेंट) के परामर्श की जगह ले सकते हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का डिजिटल स्वास्थ्य मिशन यह सुनिश्चित करने के लिए अगली सीमा है कि स्वास्थ्य सेवा सभी के लिए विशेष रूप से ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में रहने वाले गरीबों के लिए सुलभ, उपलब्ध और सस्ती हो। उन्होंने कहा कि देश में टेलीमेडिसिन समान रूप से व्यक्तिगत रूप से चिकित्सक के पास जाने की तुलना में लगभग 30% कम लागत प्रभावी सिद्ध  हुई है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यद्यपि देश में टेलीमेडिसिन प्रौद्योगिकी का बहुत लम्बे समय से प्रयोग किया जा रहा है लेकिन कोविड  काल  के बाद और भारत में डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पीएम मोदी द्वारा दी गए बल के कारण इसे और बढ़ावा मिला है।

भारत के कुछ हिस्सों में टीकों को ड्रोन से पहुंचाए जाने (ड्रोन डिलीवरी)  का उल्लेख  करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि  प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति के साथ ही  रोबोटिक सर्जरी भी बहुत जल्द एक वास्तविकता बन जाएगी और भविष्य के चिकित्सक ही टेली-चिकित्सकों के रूप में सामने आएँगे।

भारत में प्रति 1,457 भारतीय नागरिकों में से एक, बहुत ही कम चिकित्सक-रोगी अनुपात की ओर संकेत करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि  टेली-मेडिसिन अब एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता बन रहा है। उन्होंने कहा, “भारत की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण गांवों में रहती है, जहां चिकित्सक-रोगी अनुपात का अनुपात प्रति 25,000 नागरिकों पर एक  चिकित्सक (डॉक्टर) जितना कम है और इसलिए उन्हें कस्बों और महानगरों में स्थित डॉक्टरों से सर्वोत्तम चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए।“ उन्होंने कहा कि  टेलीमेडिसिन न केवल रोगियों को अपना समय और पैसा बचाने में मदद करेगा, बल्कि ऐसे डॉक्टर भी हैं जो टेलीफोन कॉल पर अपने रोगियों की तुरंत सहायता कर सकते हैं और सक्रिय रूप से गम्भीर बीमारियों के रोगियों के उपचार में सक्रिय रूप से शामिल हो सकते हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश के तीन जिलों,  उत्तरप्रदेश में वाराणसी, गोरखपुर और मणिपुर में कामजोंग में शुरू होने वाली इस परियोजना के  प्रारंभिक चरण में 60,000 रोगियों को शामिल किया जाएगा और आने वाले वर्षों में इसे धीरे-धीरे पूरे देश में लागू किया  जाएगा। केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त निकाय, प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (टेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन फोरकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल – टीआईएफएसी) निकाय ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी  मद्रास-प्रवर्तक फाउंडेशन टेक्नोलॉजीज और सीडीएसी-सीडैक  मोहाली के सहयोग से एक प्रायोगिक टेली-निदान (पायलट टेली-डायग्नोस्टिक्स) परियोजना तैयार की है। यह भारतीय जनसंख्या के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (ईएचआर) भी तैयार करेगा।

मंत्री महोदय ने बताया कि यह परियोजना एक मापन योग्य (स्केलेबल)  प्रायोगिक प्लग और प्ले मॉडल है जो दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाली स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित महिलाओं और बच्चों को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए तैयार किया गया  है। इसकी प्रमुख गतिविधियों में पहनने योग्य उपकरणों के साथ महिलाओं/बाल –रोगियों की जांच , ई-संजीवनी क्लाउड के माध्यम से स्वास्थ्य डेटा रिकॉर्ड को विश्लेषण के लिए डॉक्टरों के एक पूल में स्थानांतरित करना, और समवर्ती रूप से ईएचआर के विकास के लिए कार्य शामिल है। जिन मापदंडों का विश्लेषण किया जाएगा उनमें शामिल हैं: ईसीजी, हृदय गति, रक्तचाप, लिपिड प्रोफाइल, हीमोग्लोबिन और भ्रूण डॉपलर।

यह उल्लेखनीय है कि डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने लोकसभा क्षेत्र उधमपुर-कठुआ-डोडा में अपने एमपी-एलएडी फंड से जिला अस्पताल उधमपुर में इससे जुड़ी सभी पंचायतों के साथ टेली-परामर्श सुविधा स्थापित की है और इसकी नियमित आधार पर निगरानी की जा रही है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य क्षेत्र को बहुत उच्च प्राथमिकता दी है और इस वर्ष के बजट में स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले व्यय में 137% की वृद्धि हुई है, जो कि उद्योग के सकल घरेलू उत्पाद  (जीडीपी)  के 2.5% -3% की संभावनाओं के अनुरूप है। मंत्री महोदय ने बताया कि भारत इस वित्त वर्ष में स्वास्थ्य पर 2.23 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगा, जिसमें 35,000 करोड़ रुपये कोविड-19 के टीकों पर खर्च होंगे।

मंत्री महोदय ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री (पीएम) आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना (हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर) मिशन, आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना, आयुष्मान स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र, प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने देश के लाखों गरीब लोगों के लिए सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाया है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More