नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने किर्गिस्तान गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम श्री अलमाज्बेक शरशेनोविच अतामबेव एवं उनकी पत्नी श्रीमती राइसा अतामबेव की कल (20 दिसंबर,2016 को) राष्ट्रपति भवन में आगवानी की। उन्होंने उनके सम्मान में एक भोज का भी आयोजन किया।
भारत में किर्गिज राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने अक्टूबर,2015 में देश में संसदीय चुनाव कराने तथा इस महीने के पहले सांवैधानिक संशोधनों के लिए सफलता पूर्वक जनमत संग्रह कराने के लिए उनकी सराहना की।
इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत , किर्गिस्तान के साथ लंबे समय के अपने दोस्ताना संबंधों को महत्व देता है। उन्होंने कहा कि मध्य एशिया के देशों के साथ भारत के संबंध सभ्यतामूलक हैं ,खासकर प्राचीन रेशम मार्ग कहे जाने वाले देशों से, और किर्गिस्तान इन देशों में एक है। किर्गिस्तान के साथ हमारा राजनैतिक संबंध पारंपरिक रूप से गर्मजोशी से भरा और दोस्ताना है। अगले साल भारत और किर्गिस्तान राजनयिक संबंधों की स्थापना के 25 वीं वर्षगांठ मनाने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि उग्रवाद और मादक द्रव्यों की तस्करी के खतरे की चिंता भारत और किर्गिस्तान के लिए एक समान है। राष्ट्रपति महोदय ने विश्वास जताया कि किर्गिस्तान के राष्ट्रपति की भारत यात्रा से दोनों देशों के बहुआयामी संबंधों को बढ़ावा देने के प्रयासों को प्रोत्साहन मिलेगा।
अपने प्रीतिभोज भाषण में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत हमेशा ही किर्गिस्तान को अपना विस्तारित पड़ोसी का ही हिस्सा मानता रहा है। बिशकेक, भारत के कई बड़े शहरों की तुलना में नई दिल्ली से नजदीक है। नई दिल्ली दुनिया के किसी भी राजधानी की तुलना में बिशकेक से सबसे करीब है। हम न सिर्फ भौगोलिक रूप से करीब हैं बल्कि हम इतिहास और सभ्यता के अनुसार भी एक दूसरे के काफी नजदीक हैं। हमारा इतिहास साझा है जिसकी झलक हमें हमारी सभ्यता के तत्वों में मिलती है। हमारी दोस्ती सोवियत संघ के जमाने से प्रगाढ़ होती आ रही है। दोनों देशों के सांसद और नेता के बीच आपसी संबंध तब से नियमित रूप से कायम है। किर्गिस्तान के स्वतंत्र देश बनने के बाद, भारत के लिए यह स्वाभाविक था कि वह किर्गिस्तान के साथ अपने वर्षों के सहयोगात्मक संबंधों को और प्रगाढ़ करे।