New Delhi: मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे काशी में अनेक विविध प्रकल्पों का शिलान्यास कहो, लोकार्पण कहो, प्रोत्साहन कहो, ये अवसर मिला है। आज एक दिन में ही करीब-करीब 2100 करोड़ रुपयों के भिन्न भिन्न प्रोजेक्ट काशी को मिल रहे हैं। आज विशेष रूप से आरोग्य की दृष्टि से गरीब से गरीब परिवार को अस्पताल में सही सारवार मिले उसके Health के लिए आधुनिक संसाधनों का उसे लाभ मिले। आज ESIC के अस्पताल का आधुनीकरण करना पहले जितनी क्षमता थी उसके करीब दोगुना से भी ज्यादा बढ़ाना, आधुनिकता के साथ गरीब से गरीब सामान्य मजदूरी करने वाला व्यक्ति कल कारखाने में जिंदगी गुजारने वाला व्यक्ति ऐसे लोगों को आरोग्य सेवाएं प्राप्त हो। इसलिये भारत सरकार ने इस पूरे प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लेकर के यहां के गरीब, मजदूर की सुविधा बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। और मुझे विश्वास है ये जो व्यवस्था में बदलाव हो रहा है। विस्तार हो रहा। आधुनिक विज्ञान और टेक्नॉलॉजी के उसके साथ जोड़ने का प्रयास हो रहा है। वो इस क्षेत्र के आरोग्य के दृष्टि से एक नया नजराना बनेगा।
अभी मैं काशी विश्वविद्यालय में गया था। वहां एक कैंसर रीसर्च इंस्टिट्यूट का शिलान्यास किया। इस पूरे क्षेत्र में कैंसर की बीमारी है तो मुंबई जाना पड़ता है। और हम जानते हैं कि मुंबई के अंदर अस्पताल में इतनी देर के बाद नंबर लगता है। क्यों न मुंबई में जो कैंसर अस्पताल है। वैसा ही वैसी ही सुविधाओं वाला उत्तम से उत्तम सारवार करने वाला अस्पताल उत्तर प्रदेश में हो। खासकर के पूर्वी उत्तर प्रदेश में हो। जिसका लाभ पड़ोस में झारखंड और बिहार के लोगों को भी मिले। एक बहुत बड़ा प्रकल्प जिसका शिलान्यास आज मैंने काशी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में किया है। उस पूरे क्षेत्र को इससे बहुत बड़ा लाभ हने वाला है। हम ये जानते हैं कि आरोग्य के क्षेत्र में Public Private Partnership का Model भी उतना ही महत्व रखता है। Private अस्पताल भी इस क्षेत्र में बहुत बड़ी मात्रा में काम करते हैं। भारत के ही संतान श्रीमान सेट्टी जी है तो कर्नाटक के बस गए हैं गल्फ Countries में। लेकिन उन्होंने Health के क्षेत्र में आरोग्य के क्षेत्र में बहुत विस्तारपूर्व अपना काम किया हुआ है। अनेक स्थानों पर उनके अस्पताल चलते हैं। वे भी काशी से आकर्षित हो कर के अपना एक Private अस्पताल काशी में आरंभ करने जा रहे हैं। आज मुझे उसका भी शिलान्यास करने का अवसर मिला है। 500 बेड का इतना बड़ा अस्पताल काशी में बनना ये काशी को बहुत बड़ा नजराना है। गरीब बीमार लोगों के लिए 500 में से 200 बेड वो पूरी तरह गरीबों के लिए समर्पित होंगे। बाकि जो 300 बेड हैं। super speciality सेवाओं के लिए होंगे। तो एक प्रकार से गरीबों का भला करने वाली। और इस क्षेत्र में इतना बड़ा अस्पताल बनने के कारण हजारों नौजवानों को नए रोजगार की संभावनाएं पैदा होंगी। हैल्थ सैक्टर में काम करने वाली वीधा Develop होगी। Paramedical का स्टाफ हो, Nursing का स्टाफ हो, अस्पताल का रखरखाव हो। तो एक बहुत बड़ा इस Investment के कारण इस क्षेत्र को लाभ होने वाला है।
आज जिस प्रकल्प का मैंने शिलान्यास किया था। और वर्तमान में हमारी मंत्री महोदया स्मृति ईरानी जी बड़ा परीश्रम कर के बहुत बारीकी से इस प्रोजैक्ट को आगे बढ़ाने के लिए जी जान से लगी रहती हैं। और उनके इस निरंतर प्रयासों का परिणाम है। इतने कम समय में उसका फेस-1 का आज मुझे उद्घाटन करने का सौभाग्य मिला है। मैं स्मृति जी को और उनकी पूरी टीम को और इससे पहले इस विभाग के मंत्री थे गंग्वार जी उन सबको हृदय से बहुत-बहुत अभिनन्दन करता हूं कि जिस उत्तम प्रकार का काम हुआ है, जिस तेजी से काम हुआ है। आज निर्धारित समय में फर्स्ट फेस आज ये सिर्फ काशी के लोगों के लिए नहीं है। ये पूरे क्षेत्र के। इस प्रकार से काम करने वाले लोग इनको इसका लाभ मिलने वाला है। काशी एक यात्रा धाम है Tourist Destination भी है। वहां इस प्रकार की व्यवस्था। काशी की एक वैश्विक पहचान बनाने का एक बहुत बड़ा आधार बन सकता है। अब काशी में जो भी लोग आए उनको वहां ले जाना चाहिए। यहां के रिक्शा वाले होंगे, यहां के टैक्सी वाले होंगे उनको भी पता होना चाहिए। वहां वो देख भी सकता है कि इस क्षेत्र के लोगों के हाथों में कैसा हुनर है। कैसी कैसी चीजें निर्माण करते हैं। और उसका एक ग्लोबल पहचान बने प्रोडक्ट की भी पहचान बने, प्रोसेस की भी पहचान बने। और भारत की इस महान विरासत काशी के लोगों ने कैसे संभाल कर के रखी है। इसका दुनिया को परिचय हो वैसा एक उत्तम काम ये ट्रेड सेन्टर, म्यूजियम जिसके कारण बना है। कल रात की कुछ तस्वीरें मुझे यहां के लोगों ने भेजी थीं। इतना अद्भुत नजारा लग रहा था। कि काशी की धरती पर ऐसा भी निर्माण कार्य हो सकता है और इतने कम समय में हो सकता है। इस प्राचीन शहर के साथ इस आधुनिक इमारत प्राचीन कलाकारी के साथ आधुनिक पहचान। ऐसा एक शुभ योग के साथ आज टैक्टाइल की दुनिया जो काशी की विशेष पहचान है। हस्तकला जो काशी की विशेष पहचान है। उंगलियों के बल पर नजाकत के साथ एक पूरी नई चीज निर्माण करने का जो सामर्थ इस धरती में है इसे दुनिया भली भांति देखेगी, पहचानेगी।
हमारे पास पुराने परम्परा के साधन रहे हैं उसमें बदलाव जरूरी होता है। Technological Intervention आवश्यक होता है Invention आवश्यक होता है। आज कुछ साथियों को मुझे हथकर्घा उसकी सहायता देने का अवसर मिला। अलग-अलग निर्माण कार्य में हथकर्घे का जो उपयोग होता है। उसमें से आधुनिक टैक्नॉलॉजी के कारण आधुनिक व्यवस्था के कारण उनकी सरलता भी बढ़ेगी, आमदनी भी बढ़ेगी। उन चीजों में उसमें बल देने का प्रयास किया है। पूरे देश में इस क्षेत्र में काम करने वालों को एक पहचान कार्ड देने का अभियान चला है। हमारे देश के पास इतना बड़ा सामर्थ है। लेकिन बिखरा पड़ा हुआ है। न कभी उसके रिकॉर्ड उपलब्ध होती है न कभी उसकी पहचान होती है। एक गमुशुदा हमारा सामर्थ। ये भी हमारे लिये कभी-कभी बहुत बड़ा नुकसान का कारण होता है। और जिसकी पहचान बन जाती है उसकी एक ब्रांड बन जाती है। तो उसकी Value अपने आप बढ़ जाती है। क्यूं न भारत का गरीब से गरीब व्यक्ति जिसके पास कौशल्य है, हुनर है, काम कनरे का जज़्बा है उसकी एक अपनी पहचान हो उसकी एक Identity हो। वो स्वयं एक ब्रांड है। हमारे देश में ऐसा काम करने वाले कोटी कोटी जन स्वयं में अपने आप में एक ब्रांड है। ये ब्रांड दुनिया को अभी तक हम परिचित नहीं करवा पाए हैं। इस पहचान के माध्यम से उनके सामर्थ को जानना उनके सामर्थ को बल देना इसी क्षेत्र में विकास करना है तो तुरंत कर सकते हैं कि चलो भई ये पहचान में इतने लोग हैं। इनके लिए योजना बनाइए। उनके लिए अवसर दीजिये। एकदम से उस काम को बढ़ावा मिल सकता है। तो आधुनिक टैक्नॉलॉजी के द्वारा व्यक्तियों की पहचान करते हुए उनके सामर्थ को टटोलते हुए उसका ब्रांडिंग करते हुए। ये जो पहचान कार्ड देने की योजना है उस का भी मुझे आज अवसर मिला है। जो लोग कार्पेट बनाने वाले हैं, उनको आधुनिक नई लूम जिसके साथ कारण क्वालीटी प्रोडक्शन एक इंटनेशनेल लेवल का प्रोडक्शन जिसके कारण हमारी कालीन को एक्सपोर्ट करने की सुविधा बढ़ेगी। और उपयोग में हम बेस्ट में से भी बेस्ट बना सकते हैं इस प्रकार का लूम उपयोग करते हुए। और उत्तम से उत्तम चीजें बना कर के हम दुनिया को दे सकते हैं। उसको भी आज मुझे वितृत करने का अवसर मिला है।
यहां कुछ नौजवान जिनको मुझे खेल के किट देने का अवसर मिला है। वैसे तो ये पहलवानों की धरती है। लेकिन आवश्यक है कि खेल हमारे देश में नौजवानों के जीवन का हिस्सा बनना चाहिए। हमारे समाज जीवन का चरित्र बनना चाहिए। खेल है तभी तो हमारे यहां एक अलग सा वातावरण पैदा होता है। स्पोर्ट्समैन स्प्रिट सबको पसंद आता है। लेकिन बिना स्पोर्ट्स, स्पोर्ट्समैन स्प्रिट संभव नहीं होता है। और इसलिये खेल को बढ़ावा देना नौजवानों को अवसर देना और भारत के अंदर जो सामर्थ है और विविधता भरा एक ही खेल के साथ नहीं अनेक प्रकार के खेल हैं अनेक प्रकार के कौशल्य है उसको बढ़ाने की दिशा में हमलोग प्रयास कर रहे हैं। आज मुझे खुशी है कि आप सबके बीच ऐसे अनेक विविध प्रकल्प समर्पित करने का मुझे अवसर मिला है। मुझे विश्वास है कि जिस प्रकल्प का शिलान्यास हुआ है। वे प्रकल्प समय सीमा में और हो सके तो समय से पहले हम उसको पूर्ण करेंगे। और यहां की जनता जनार्दन की सेवा में उसको समर्पित करेंगे। मैं आप सबका बहुत बहुत आभारी हूं। धन्यवाद!