नई दिल्ली: भारत में आपका स्वागत करते हुए मुझे अत्यंत खुशी हो रही है। आपकी यात्रा शीर्ष स्तर पर हमारे राजनीतिक आदान-प्रदान के लिहाज से काफी मायने रखती है।
आप एक ऐसे देश से हैं, जिससे हम काफी परिचित हैं।
भगवान राम की पौराणिक कथा से लेकर महात्मा बुद्ध के ज्ञान तक हमारे संबंध एक साझा सांस्कृतिक विरासत पर आधारित रहे हैं। हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच ऐतिहासिक संबंध हमारी भागीदारी को एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं।
थाइलैंड एक भरोसेमंद एवं मूल्यवान मित्र है और यह दक्षिण-पूर्व एशिया में हमारे सबसे करीबी भागीदारों में से एक है।
मित्रों,
आज, प्रधानमंत्री और मैंने अपनी द्विपक्षीय भागीदारी से जुड़े सभी पहलुओं की समीक्षा की।
संस्कृति से लेकर वाणिज्य तक;
दोनों देशों के लोगों के बीच घनिष्ठ संपर्कों से लेकर गहरी कनेक्टिविटी तक; और
आतंकवाद का मुकाबला करने से लेकर रक्षा एवं सुरक्षा तक
हम दोनों ही इस बात से अवगत हैं कि आतंकवाद और कट्टरपंथी विचारधारा के तेजी से फैलने के कारण हमारे दोनों ही समाज को एक साझा चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
और, हम इस बात से भी अवगत हैं कि हमारी घनिष्ठ सुरक्षा भागीदारी हमारे दोनों देशों के लोगों को इन खतरों से सुरक्षित रखने में हमारी मदद करेगी।
इन चुनौतियों का मुकाबला करने के हमारे साझा उद्देश्य के मद्देनजर भारत थाइलैंड की ओर से मिल रही सहायता एवं सहयोग के लिए विशेष रूप से उसका आभारी है।
आतंकवाद से परे, हमने साइबर सुरक्षा, नशीले पदार्थों, अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अपराधों एवं मानव तस्करी के क्षेत्र में अपनी सुरक्षा भागीदारी को और ज्यादा सुदृढ़ करने पर सहमति जताई है।
मित्रों,
हमारे दोनों देशों की भूमि संबंधी सीमाएं बहुत दूर नहीं हैं।
और, हम समुद्री पड़ोसी भी हैं।
अत:, प्रधानमंत्री और मैंने रक्षा एवं समुद्री सहयोग के क्षेत्र में अपनी भागीदारी को और ज्यादा मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की है।
हमारे द्विपक्षीय हितों को पूरा करने के लिए, और हमारे साझा क्षेत्रीय लक्ष्यों की पूर्ति के लिए साझेदारी
और एक ऐसी साझेदारी, जिसे निम्नलिखित के जरिये विशिष्ट आकार दिया जाएगा:
-विशेषज्ञता एवं अनुभवों को साझा करना
-कर्मचारियों का और ज्यादा आदान-प्रदान तथा और ज्यादा अभ्यास
-समुद्र में डकैती से मुकाबला करने के लिए सहयोग
-नौसैनिक गश्त में और ज्यादा भागीदारी- रक्षा संबंधी अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) और उत्पादन के क्षेत्र में आपसी संपर्कों को मजबूत बनाना
मित्रों,
व्यापार और वाणिज्य से संबंधित प्रवाह आज की परस्पर निर्भर दुनिया की जीवनरेखा है।
महामहिम और मैंने इस बात पर सहमति जताई है कि हमारे बीच होने वाली वाणिज्यिक भागीदारी में और ज्यादा विविधता होने से न केवल हमारे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं लाभान्वित होंगी, बल्कि इससे और ज्यादा क्षेत्रीय आर्थिक समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
इस संदर्भ में हम भारत-थाइलैंड संयुक्त बिजनेस फोरम की आज होने वाली बैठक का स्वागत करते हैं। हमारे दोनों देशों में उभरते कारोबारी अवसरों के दोहन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए हम उनके साथ-साथ बिजनेस क्षेत्र से जुड़े अन्य हितधारकों को भी प्रोत्साहित करते हैं।
व्यापार के साथ-साथ विनिर्माण एवं निवेश के क्षेत्र में भी आपसी संबंधों को और ज्यादा बढ़ाने के असीम अवसर हैं।
हम बुनियादी ढांचागत क्षेत्र, विशेषकर पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढांचे में थाइलैंड को हासिल विशेष बढ़त और इस क्षेत्र में भारत की प्राथमिकताओं के बीच एक खास तालमेल देखते हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटो-कलपुर्जा और मशीनरी के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की काफी गुंजाइश है।
हम अपनी साझा प्राथमिकता के रूप में एक संतुलित व्यापक आर्थिक एवं भागीदारी समझौता भी शीघ्र होने की उम्मीद कर रहे हैं।
मित्रों,
प्रधानमंत्री और मुझे इस बात की पूरी जानकारी है कि हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी और मानव संसाधन के सुचारू प्रवाह के लिए हवाई, भूमि एवं समुद्री संपर्कों का एक मजबूत नेटवर्क होना अत्यंत जरूरी है।
यही कारण है कि हमने भारत-म्यांमार-थाइलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग को पूरा करने के साथ-साथ हमारे तीनों देशों के बीच मोटर वाहन समझौते पर शीघ्र हस्ताक्षर किए जाने को प्राथमिकता दी है।
कनेक्टिविटी भी भारत के विकास के लिहाज से एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है।
हमारे पूर्वोत्तर राज्यों से दक्षिण-पूर्व एशिया तक पहुंच को बेहतर करने से हमारे दोनों ही देशों के लोग लाभान्वित होंगे।
मित्रों,
मजबूत कनेक्टिविटी केवल द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए ही आवश्यक नहीं है, बल्कि इससे हमारे दोनों देशों के लोग और ज्यादा करीब आएंगे तथा आपसी वैज्ञानिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं पर्यटन सहयोग को बढ़ाने में भी सुविधा होगी।
अगले वर्ष हमारे राजनयिक रिश्तों के 70 साल पूरे होने के अवसर पर हम थाइलैंड में ‘भारत महोत्सव’ और भारत में ‘थाइलैंड महोत्सव’आयोजित करेंगे।
भारत इस साल भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बी.आर.अम्बेडकर की 125वीं जयंती भी मना रहा है।
मुझे यह जानकर अत्यंत खुशी हुई है कि भारतीय संविधान का अनुवाद शीघ्र ही थाई भाषा में किया जाएगा।
मुझे यह घोषणा करते हुए भी अत्यंत हर्ष हो रहा है कि भारत में थाइलैंड के और ज्यादा पर्यटकों का स्वागत करने एवं भारत में बौद्ध स्थलों की उनकी यात्रा को आनंदमय बनाने में मदद के लिए हम शीघ्र ही थाइलैंड के नागरिकों को दोहरे प्रवेश वाले ई-पर्यटक वीजा की सुविधा प्रदान करेंगे।
महामहिम,
भारत ने सदा ही थाइलैंड के शाही परिवार के गर्मजोशी भरे स्नेह की तहेदिल से सराहना की है।
रॉयल हाइनेस राजकुमारी महा चक्री श्रीनधॉर्न का भारत में निरंतर आगमन होता रहा है, जिसका हम स्वागत करते हैं।
हम इस साल के उत्तरार्द्ध में एक बार फिर भारत में उनका स्वागत करने को लेकर आशान्वित हैं।
हम भारत में रॉयल हाइनेस युवराज वजीरालांगकोर्न का स्वागत भी उनकी सुविधा के अनुसार ही करने को लेकर तत्पर हैं।
अंत में, मैं यही कहना चाहता हूं कि थाइलैंड की ‘लुक वेस्ट’ नीति और भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के बीच समुचित तालमेल हमारी भागीदारी का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने वाले मार्ग को रोशन करता है।
महामहिम, मैं एक बार फिर भारत में आपका और आपके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करता हूं।