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विज्ञान भवन में आयोजित भारतीय श्रम सम्मेलन के 46वें अधिवेशन कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री श्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल ने प्रतिभाग किया।

उत्तराखंड
नई दिल्ली/देहरादून: नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित भारतीय श्रम सम्मेलन के 46वें अधिवेशन कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री श्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल ने प्रतिभाग किया।

सम्मेलन के 46वें सत्र के एजेण्डा बिन्दु के रूप में विगत तीन श्रम सम्मेलनों की संस्तृतियों के कार्यान्वयन, संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा, बोनस एक्ट में संशोधन, श्रम कानूनों में संशोधन एवं रोजगार के सृजन जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल करने पर चर्चा हुई।
श्रम मंत्री श्री दुर्गापाल ने सम्मेलन में अपने विचार रखते हुए कहा कि विगत तीन श्रम सम्मेलनों में मुख्यता न्यूनतम मजदूरी, संविदा श्रम, भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत कार्यरत आशा वर्कर, आंगनबाड़ी वर्कर, मध्यान्ह भोजन के लिये नियोजित भोजन माताओं के सम्बन्ध में विस्तृत विचार-विमर्श हुआ था और उत्तराखण्ड सरकार इन श्रमिकों के हित के लिए प्रतिबद्व है। उत्तराखण्ड राज्य में न्यूनतम वेतन अधिनियम के अन्र्तगत 58 अनूसूचित नियोजन है। इन नियोजनों में वर्तमान में सबसे न्यूनतम मजदूरी रूपये 202 प्रतिदिन निर्धारित है, जो वर्तमान राष्ट्रीय फ्लोर लेविल न्यूतनम मजदूरी वेतन 160 प्रतिदिन से अधिक है। केवल कृषि नियोजन की दैनिक दर 157.72 प्रतिदिन है और उन्होंने इसका पुनरीक्षण की कार्यवाही सरकार द्वारा किये जाने की भी जानकारी दी। इस प्रकार राज्य में श्रमिकों को राष्ट्रीय फ्लोर लेविल न्यूनतम वेतन से अधिक न्यूतनम मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है। सभी अनुसूचित नियोजनों में नियोजित श्रमिकों को अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार परिवर्तनीय महुगांई भत्ता भी अनुमन्य किया गया है। उन्होेंने कहा कि अनुसूचित नियोजनों के अतिरिक्त अनके गैर अनुसूचित नियोजनों में नियोजित श्रमिकांे को न्यूतनम वेतन का लाभ नहीं मिल पाता है। अतः न्यूनतम वेतन अधिनियम में संशोधन करते हुये यह व्यवस्था की जाय, जिससे प्रत्येक नियोजन में नियोजित श्रमिक के लिये न्यूनतम वेतन का निर्धारण हो सके।
 उत्तराखण्ड में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा हेतु अधिनियम, 2008 के अन्र्तगत उत्तराखण्ड में राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड का गठन की बात भी केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखी। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के पंजीयन के लिए राज्य के समस्त जिलाधिकारियों को नोडल अधिकारी नामित किया गया है तथा श्रमिकों को स्मार्ट कार्ड जारी किये जाने हेतु एजंेसी का चयन किये जाने की प्रक्रिया के आदेश राज्य में हो गये हैं। निर्माण श्रमिकों के लिए कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1996 के अन्तर्गत राज्य में 93.06 करोड़ उपकर की धनराशि संग्रहित किये जाने की भी बात कही। राज्य में 32233 निर्माण श्रमिकों का पंजीकरण किया गया है तथा 3634 श्रमिकों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित किया गया है। निर्माण श्रमिकों की पेंशन हेतु पंेशन फण्ड भी विनिर्मित किया गया है।
 श्रम मंत्री ने कहा कि संगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा के सम्बन्ध मंे कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, आनुतोषिक भुगतान अधिनियम, कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम में प्रावधान निहित है। उक्त अधिनियमों के अन्र्तगत संगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। उत्तराखण्ड राज्य की कर्मचारी राज्य बीमा योजना के अन्र्तगत बीमित व्यक्तियों तथा उनके आश्रितों सहित आच्छादितों की संख्या 15 लाख है। राज्य में कर्मचारी राज्य बीमा योजना का कोई मेडिकल कालेज स्वीेकृति नहीं किया है। जनपद ऊधमसिंहनगर के रूद्रपुर में तथा जनपद हरिद्वार के सिडकुल, रोशनाबाद में कर्मचारी राज्य बीमा योजना के 100-100 बेड के चिकित्सालयों के स्थापना के सम्बंध में राज्य सरकार द्वारा सभी औपचारिकतायें पूर्ण कराकर 5-5 एकड़ भूमि कर्मचारी राज्य बीमा निगम, भारत सरकार को उपलब्ध करा दी गई है। चिकित्सालय निर्माण सम्बंधी अग्रेतर कार्यवाही राज्य बीमा निगम भारत सरकार के स्तर से की जानी है, इसके अतिरिक्त जनपद देहरादून के सेलाकुई क्षेत्र में एक औषधालय एवं कर्मचारी राज्य बीमा निगम के शाखा कार्यालय हेतु एक एकड़ भूमि सिडकुल से प्राप्त कर तथा जनपद देहरादून के ही तरलानाॅगल में एक 10 बेड के डाॅइग्नोस्टिक सेन्टर हेतु 1.154 हेक्टेयर भूमि राज्य सरकार सभी औपाचारिकतायें पूर्ण कराकर कर्मचारी राज्य बीमा निगम, भारत सरकार को उपलब्ध करा दी गई है, जिस पर अग्रेतर कार्यवाही राज्य बीमा निगम भारत सरकार के स्तर से की जानी है। एजेण्डे के अनुसार बोनस भुगताान अधिनियम में संशोधन भी एक विचारणीय विषय है। वर्तमान में 10 हजार रूपया मासिक तक का वेतन पाने वाले कर्मचारी बोनस की पात्रता मंे आते हैं जिन्हें अधिकतम 3500 रूपया प्रतिमाह के वेतन के आधार पर बोनस देय होता है। वर्तमान समय में यह सीमा मूल्य सूचकांक के अनुरूप बढ़ाया जाना उचित है।
श्री दुर्गापाल ने श्रम कानूनों  में संशोधन को अत्यन्त महत्वपूर्ण संवेदनशील विषय बताया। श्रम कानूनों के सरलीकरण के लिये श्रम कानूनों की संख्या को कम करने तथा श्रम सुधार जैसे महत्वपूर्ण विषयों को सम्मेलन में चर्चा हेतु सम्मिलित किये जाने को अच्छी पहल बताया।
बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियम) अधिनियम, 1986 के अन्र्तगत 14 वर्ष तक के बच्चों  का प्रत्येक नियोजन में प्रतिषेध विषयक प्रस्तावित संशोधन उचित है एवं शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि बढ़ती हुई श्रम शक्ति को रोजगार के पर्याप्त एवं समुचित अवसर उपलब्ध कराना भी वर्तमान समय की एक गम्भीर चुनौती है। उद्योगों की स्थापना तथा उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप श्रम शक्ति के कौशल विकाास द्वारा राज्य सरकार इस दिशा में प्रयासरत है। केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में एक (01) माॅडल  कैरियर सेन्टर (Model Career centre) स्थापित किये जाने हेतु सहमति प्रदान की गई है। राज्य सरकार द्वारा उक्त सेन्टर को देहरादून में स्थापित किये जाने हेतु प्रस्ताव केन्द्र सरकार को पे्रषित किया गया है।
उत्तराखण्ड राज्य के द्वारा सेवायोजन कार्यालयों में आॅन-लाईन पंजीयन तथा National Employment Service Portal जो केन्द्र सरकार के समन्वय से तैयार किया गया है। इन दोनों ही प्रयासों से युवाओं को काफी सहायता मिलेगी। प्रदेश के सभी 13 जनपदों में आॅन-लाईन पंजीयन की सेवा आरम्भ कर दी गई है। इस सेवा को ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना से integrate किये जाने का कार्य गतिमान है, जिससे अभ्यार्थी  सेवायोजन विभाग से सम्बन्धित सेवाओं को सेवायोजन कार्यालय (कैरियर सेन्टर), काॅमन सर्विस सेन्टर(CSCs) के माध्यम से प्राप्त कर सकें।

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