नई दिल्ली: केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने आज वित्त वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही के लिए जीडीपी के अनुमान जारी किए। अर्थव्यवस्था में बने तेजी के माहौल को प्रतिबिंबित करते हुए जीडीपी वृद्धि दर वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में वास्तविक अर्थों में 8.2 प्रतिशत के आंकड़े को छू गई जो वित्त वर्ष 2017-18 की अंतिम तिमाही में दर्ज की गई 7.7 प्रतिशत के मुकाबले और ज्यादा बेहतरी को दर्शाता है। इस विकास का आधार काफी व्यापक है और यह उपभोग व्यय में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि और नियत (फिक्स्ड) निवेश में 10.0 प्रतिशत की उल्लेखनीय बढ़ोतरी की बदौलत संभव हो पाया है। विशेषकर फिक्स्ड निवेश में वृद्धि अत्यंत उत्साहवर्द्धक है क्योंकि यह वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में दर्ज की गई 14.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि के मुकाबले आंकी गई बढ़त को दर्शाती है। यही नहीं, यह आंकड़ा भावी विकास की दृष्टि से भी अच्छे संकेत दे रहा है।
आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव श्री सुभाष चंद्र गर्ग ने अपने ट्वीट में कहा है, ‘प्रथम तिमाही में उल्लेखनीय वृद्धि। 8.2 प्रतिशत की समग्र वृद्धि दर, विनिर्माण क्षेत्र में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि और पूंजी सृजन में 10 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि। भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में निरंतर बेहतरी का क्रम अब पूरा हो चुका है। 2018-19 में देश की विकास दर और भी तेज होनी चाहिए जिससे भारत दुनिया में सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था आगे भी बना रहेगा।’
वित्त सचिव डॉ. हसमुख अधिया ने अपने ट्वीट में कहा है, ‘वित्त वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में 8.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि देश में लागू किए गए ढांचागत सुधार जैसे कि जीएसटी के अच्छे परिणाम अब मिलने शुरू हो गए हैं। विनिर्माण क्षेत्र में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से भी मांग में व्यापक सुधार होने के संकेत मिलते हैं। यह पिछली चार तिमाहियों में आर्थिक विकास की उल्लेखनीय गति को दर्शाती है जो क्रमशः 6.3, 7, 7.7 प्रतिशत और अब 8.2 प्रतिशत आंकी गई है।’