विश्व स्वास्थ्य संगठन की परंपरागत औषधि रणनीति 2014-23 में कहा गया है कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य आच्छादन केवल पूरक एवं वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों जिसमे होम्योपैथी भी शामिल है को स्वास्थ्य सेवाओं में सम्मलित कर के ही प्राप्त किया जा सकता है। इसका उद्देश्य यह है कि सभी नागरिकों को प्रोत्साहक, निवारक, रोगनिवारक एवं पुर्नवास की गुणात्मक स्वास्थ्य सेवायें वहन करने योग्य लागत में स्वास्थ्य के उन उच्च मानकों को प्राप्त करने में सफल हो सके। जैसा की विश्व स्वास्थ्य संगठन के संविधान एवं सबके लिए स्वास्थ्य की अवधारणा में निहित वर्तमान में होम्योपैथी दुनिया के 110 से अधिक देशों में विभिन्न रुपों में अपनाई जा रही है।
होम्योपैथी मध्य एवं दक्षिणी अमेरिका (ब्राजील, चीलि, कोलम्बिया, कोस्टारिका, क्यूबा, मैक्सिको) एवं एशिया, (भारत, पाकिस्तान, श्री लंका बांगलादेश) एवं यूरोप (जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, बुल्गारिया, हंगरी, रोमानिया, रुस, यू.के.) में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। होम्योपैथी की लोकप्रियता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 2017 तक होम्योपैथिक दवाओं का बाजार 52 हजार करोड तक पहुच जाएगा। भारत में होम्योपैथी का उच्च स्तरीय ढांचा उपलब्ध है। लगभग 200 विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबद्ध शिक्षण संस्थान, होम्यापैथी की शिक्षा एवं चिकित्सा व्यवसाय को नियंत्रित करने के लिए केन्द्रीय होम्यापैथी परिषद, 28 संस्थानो के साथ केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसेधान परिषद, 3 लाख से अधिक चिकित्सक, 7,500 डिस्पेंसरियां, होम्योपैथिक औषधि सुरक्षा के लिए पर्याप्त नियम, होम्योपैथिक फार्मोकोपिया लेबोरेटरी एवं जी.एम.पी. आधारित औषधि निर्माण इकाइयां स्थापित है। देश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में होम्योपैथी को शामिल किया गया है।
केन्द्र सरकार राष्ट्रीय आयुष मिशन के द्वारा जनता को होम्योपैथी की सुविधाएं भी पहुचा रही है। केन्द्र सरकार आयुष पर राष्ट्रीय नीति – 2016 का निरुपण करने के लिए अग्रसर है। भारत का यह मॉडल अन्य देशों के लिए अनुकरणीय है जो अपने देश में सम्पूर्ण, समग्र एवं वहन करने योग्य लागत में स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा वैकिल्पक एवं पूरक चिकित्सा एवं परम्परागत औषधियों से विश्व स्वास्थ्य संगठन की रणनीति के अनुसार उपलब्ध कराना चाहते आज होम्योपैथी केवल बड़े शहरों मे ही नही अपनायी जा रही है बल्कि देष के छोटे-छोटे शहरों एवं कस्बों मे भी अपनायी जा रही है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार 75 प्रतिषत रोगियों ने स्वीकार किया कि होम्योपैथी रोग को जड़ से समाप्त करने की क्षमता, सुरक्षित उपचार एवं शरीर पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव न होने के गुण के कारण लोकप्रिय होती जा रही है। कुछ आपात स्थितियों को छोड़ कर एलोपैथी के बजाए लगभग 80 प्रतिषत रोगों के उपचार के लिये होम्योपैथी ही कारगर उपचार है। होम्योपैथिक दवाइयों से उपचार एलोपैथी की तुलना मे अपेक्षाकृत कम खर्चीला है और लोगों की पहुंच मे है। देष मे मंहगे एलोपैथिक इलाज़ के कारण लगभग 39 लॉख लोग प्रतिवर्ष गरीबी रेखा के नीचे पहुंच जाते है तथा गांव के 30 प्रतिशत लोग आर्थिक तंगी की वजह से इलाज नही करा पाते है तथा 40 प्रतिषत लोगों को इलाज के लिये जमीन, जायजाद एवं सम्पत्ति बेचने के लिये मजबूर होना पड़ता है।
ऐसी स्थितियों मे उपचार के लिये होम्योपैथी ही एक मात्र विकल्प है।होम्योपैथी पुराने एवं जीर्ण रोगो के साथ-साथ, नये रोगों, श्वसन तंत्र के रोगों, हड्डी एवं जोड़ो के रोगो, पाचन तंत्र के रोगो, शल्य क्रिया योग्य रोगों, बालों के रोगों, थाइराइड से सम्बन्धित रोगों, बच्चों, महिलाओं तथा वृद्धों के लगभग 80 प्रतिशत से अधिक रोगों के उपचार में सक्षम है। होम्योपैथी केवल रोगों का उपचार ही नही करती बल्कि रोगों से बचाव में भी पूरी तरह कारगर है। होम्योपैथी से उपचार कराने में सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त होता है। होम्योपैथी को महत्वपूर्ण स्थान दिलाने मे होम्यापैथिक चिकित्सकों द्वारा अपने रोगियों का सफलतापूर्वक उपचार किया जाना, षिक्षाविदों द्वारा होम्यापैथी की षिक्षा प्रदान करना, और शोध कर्ताओं द्वारा रोगों के उपचार के सांख्यकीय आंकड़े एकत्र कर तथ्य आधरित होम्योपैथी की स्थापना के स्तुत्य प्रयासो की सराहना की जानी चाहिये.
सरकार को होम्यापैथिक षिक्षा मे गुणात्मक सुधार कर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमो में होम्योपैथी को पर्याप्त अवसर प्रदान कर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मे पर्याप्त भागीदारी देकर, चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार कर, गांवो के स्वास्थ्य की कमान आयुष चिकित्सकों को सौपकर, होम्योपैथी के विकास के लिये स्थायी राष्ट्रीय एवं राज्य नीति बनाकर होम्यापैथी का मुख्यधारा में शामिल कर उसमे निहित जन स्वास्थ्य की सम्भावनाओं का पूरा-पूरा लाभ उठाकर देश की जनता को होम्योपैथी के माध्यम से सम्पूर्ण स्वास्थ्य की सुविधायें उपलब्ध कराना चाहिये क्योंकि भारत जैसे जनसंख्या बहुल, विकासषील देष में होम्योपैथी के माध्यम से ही कम खर्च एवं संसाधनों मे सभी को स्वास्थ्य की सुविधायें उपलब्ध करायी जा सकती हैं।
डा. अनुरुद्ध वर्मा
सदस्य, केन्द्रीय होम्यापैथी परिषद