लखनऊ: भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को न्याय की शानदार विरासत बताते हुए कहा है कि यह उच्च न्यायालय ने
केवल भारत का अपितु दुनिया का सबसे विशालतम् न्याय का मन्दिर है। न्याय एवं विधि के क्षेत्र में इसकी शानदार उपलब्धियों पर देश को गर्व है।
राष्ट्रपति ने आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित भव्य समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कहा कि इस न्याय के मन्दिर से सम्बन्धित विधिवेत्ता और अधिवक्ताओं ने स्वतन्त्रता आन्दोलन में महती भूमिका का निर्वहन किया है। महामना मदन मोहन मालवीय, श्री कैलाश नाथ काटजू, श्री तेज बहादुर सप्रू, श्री पुरुषोतम् दास टण्डन, श्री मोतीलाल नेहरू और श्री जवाहरलाल नेहरू इसी उच्च न्यायालय से सम्बन्धित रहे हैं, जिनकी सेवाओं और न्याय के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान को पूरा देश सम्मान के साथ स्मरण करता है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय सहित देश के अन्य न्यायालयों में न्यायाधीशों और अन्य जूडीशियल स्टाफ की कमी पर राष्ट्रपति ने कहा कि भविष्य की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए और उच्च न्यायालयों में बड़ी संख्या में लम्बित वादों को देखते हुए, सरकार को स्टाफ की कमी को पूरा करना चाहिए। उन्होंने बार के सदस्यों का आह्वान भी किया कि बड़ी संख्या में न्यायालयों में लम्बित वादों की संख्या को कम करने के लिए बेंच के साथ उनका सक्रिय सहयोग आवश्यक है।
इलाहाबाद बार के सदस्यों की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि समय-समय पर उच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णयों में बार के सदस्यों की भूमिका सराहनीय रही है। किसी भी उच्च न्यायालय की तुलना में इलाहाबाद उच्च न्यायालय को यह गौरव प्राप्त है कि भारत के सर्वाधिक मुख्य न्यायाधीश इस न्यायालय से सम्बन्धित रहे हैं। राष्ट्रपति ने इस अवसर विशेष पर उच्च न्यायालय के गौरवशाली इतिहास पर डाक टिकट तथा सिक्का जारी किया और एक स्मारिका का विमोचन भी किया।
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री टी0एस0 ठाकुर ने इलाहाबाद को पवित्र नगरी बताते हुए कहा कि यहाँ पर कुम्भ के अवसर पर गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन त्रिवेणी तट पर दुनिया का सबसे बड़ा समागम कुम्भ का पर्व सम्पन्न होता है। यहीं सबसे बड़ा इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थापित है। इस उच्च न्यायालय की न्याय के क्षेत्र में महान उपलब्धियों को हर कोई जानता है और विधि के क्षेत्र में इलाहाबाद के योगदान पर पूरा देश गर्व करता है। यहाँ के न्यायविदों ने न्याय के क्षेत्र में जो सेवा की है, उसका उदाहरण कहीं और नहीं मिलता। उच्च न्यायालय के गौरवशाली अतीत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश के सामने अभी बहुत सारी चुनौतियां हैं। बाहरी चुनौतियों से तो हम लड़ सकते है, लेकिन जो हमारी आन्तरिक चुनौतियां हैं, उनसे निपटने के लिए न्यायविदों और अधिवक्ता बन्धुओं का सहयोग अत्यन्त जरूरी है। मुख्य न्यायाधीश ने इस अवसर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इंस्टीट्यूशन रिव्यू का विमोचन कर राष्ट्रपति को भंेट किया।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों व अधिवक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित इस भव्य आयोजन में सम्मिलित होकर मुझे गर्व का अनुभव हो रहा है। न्याय के क्षेत्र में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के गरिमामयी अतीत और वर्तमान का जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इतने बड़े प्रदेश में सबको जल्दी और सुलभ न्याय मिले, इसके लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की भूमिका बढ़ जाती है। उन्होंने कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका में बेहतर समन्वय पर बल दिया। उन्होंने कहा कि न्याय से आम आदमी को यह लगे कि उसे शीघ्र और सुलभ न्याय उपलब्ध हो रहा है इसमें सभी के सहयोग की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश की जनता की ओर से राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश, अन्य उच्च न्यायालयों से आये हुए मुख्य न्यायाधीशों, उच्चतम न्यायालय व अन्य उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, विशेष रुप से उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डाॅ0 डी0वाई चन्द्रचूड़ व बार के अन्य सदस्यों तथा अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के इस महान अनुष्ठान में सम्मिलित होकर और सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्हें अपार हर्ष हो रहा है।
अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि इलाहाबाद शहर का अपना एक प्राचीन और गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। भारद्वाज मुनि के समय से संगम तट पर माघ मेलों और कुम्भ मेलों में देश-विदेश से लाखों लोग अपनी आशाओं, आकांक्षाओं और सपनों को लेकर इलाहाबाद आते रहे हैं और संगम की इस नगरी से आशीर्वाद लेते रहे हैं। यह परम्परा आज भी यथावत जारी है। उन्होंने कहा कि कन्नौज के राजा हर्षवर्धन भी यहां आए और चीन से विद्वान ह्वेनसांग भी यहां आये। यहीं महान सम्राट अकबर ने संगम तट पर ऐतिहासिक किला बनाया तो चन्द्रशेखर आजाद ने जंगे आजादी में यहीं अपने प्राणों की आहूति दी।
मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के गौरवशाली इतिहास की गौरव गाथा का वर्णन करते हुए कहा कि न केवल यह देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है, बल्कि यहां के विद्वान न्यायाधीशों ने समय-समय पर ऐसे ऐतिहासिक फैसले दिये, जो न्याय और संविधान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुए हैं। इन फैसलों ने देश की दिशा और दशा, दोनों को बदलने का काम किया है।
मुख्यमंत्री ने अपने सम्बोधन में यह भी कहा कि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में सभी अंगों यानी विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के काम करने का उद्देश्य एक ही है और वह है जनहित, यानी आम जनता के हितों की रक्षा। उन्होंने कहा कि मेरे विचार से आजादी के इतने सालों बाद शायद यह समय आ गया है कि शासन और प्रशासन के साथ-साथ न्याय की भाषा भी जनता की भाषा हो, ताकि सत्ता और जनता की बीच की दूरी कम हो सके। उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने और लोगों की इन्साफ दिलाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने न्यायपालिका की सुविधाओं में बढ़़ोत्तरी का कार्य लगातार किया गया है। यही कारण है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में न्याय विभाग का बजट 1700 करोड़ रुपये से साल दर साल बढ़कर 3100 करोड़ रुपये हो गया है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सालों पहले प्रदेश के लगभग सभी जनपदों और तहसीलों में अधिवक्ताओं और वादकारियों की सुविधा के लिए अधिवक्ता चैम्बर्स के लिए पर्याप्त धनराशि मुहैय्या करायी थी। अधिवक्ता बन्धुओं के कल्याण से जुड़े कार्यक्रमों के लिए प्रदेश सरकार ने 200 करोड़ रुपये का काॅर्पस फण्ड बनाने का फैसला लिया है। इतना ही नहीं, नौजवान अधिवक्ताओं को वित्तीय मदद देने के लिए 10 करोड़ रुपये का एक अलग काॅर्पस फण्ड भी गठित किया जाएगा।
प्रारम्भ में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डाॅ0 डी0वाई0 चन्द्रचूड़ ने राष्ट्रपति व अन्य अभ्यागत न्यायाधीशों के साथ ही, बार के सदस्यों का स्वागत करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के गौरवमयी अतीत पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने न्याय के क्षेत्र में विधिवेत्ताओं और जंगे आजादी में यहां के अधिवक्ताओं और न्यायविदों की भूमिका की सराहना की और कहा कि इस उच्च न्यायालय से सम्बन्धित न्यायाधीशों और बार के सदस्यों से न्याय के क्षेत्र में देश का गौरव सदैव बढ़ा है। इस अवसर पर उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से सम्बन्धित सेन्टर आफ इन्फाॅरमेशन टेक्नोलाॅजी प्रकल्प की स्थापना की चर्चा करते हुए कहा कि 150 वर्ष के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसलों के डिजिटलाईजेशन के लिए एक ऐतिहासिक कदम है।
समारोह का संचालन रजिस्ट्रार श्री एम0 मेहदी और श्रीमती रचना दीक्षित ने किया। अन्त में धन्यवाद ज्ञापन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति श्री राकेश तिवारी द्वारा किया गया।
समारोह में केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री डी0वी0 सदानन्द गौड़ा सहित उच्चतम और उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति, अधिवक्ता, मीडियाकर्मी, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
पूर्व में मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद स्थित बमरौली हवाई अड्डे पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का गर्मजोशी से स्वागत किया। कार्यक्रम के उपरान्त मुख्यमंत्री ने बमरौली हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति को विदाई भी दी।