देहरादून: एनएचएम व आईसीडीएस के संतुलित समन्वय से राज्य में मातृत्व मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। हमें संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना है। उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में नेशनल हेल्थ मिशन की महत्वपूर्ण भूमिका है।
नगर निगम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी संगठन के वार्षिक अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। उन्होंने कर्मचारी संगठनों से इसमें सहयोग करने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य सरकार कर्मचरियों की समस्याओं के प्रति गम्भीर है। वर्तमान में केंद्र की बदली परिस्थितियों व नीतियों के कारण राज्य को केंद्र से मिलने वाले बजट में बहुत कमी आई है। अनेेक केंद्र प्रवर्तीत योजनाओं के बारे में अभी स्पष्ट नहीं है कि इन्हें केंद्र सरकार द्वारा जारी रखा जाएगा या बंद कर दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में हम अपने संसाधनों को जुटाते हुए वित्तय सुदृढ़ता का प्रयास कर रहे हैं। एक-दो साल मे जैसे जैसे हमारी आर्थिक स्थिति सुधरती जाएगी हम कर्मचारियों की मांगों को पूरा करते जाएंगे।
एनएचएम द्वारा सौंपे गए मांग पत्र के एक-एक बिंदु को पढ़ते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मियों को नियमितीकरण के बारे में दूसरे राज्यों द्वारा क्या प्रक्रिया अपनाई गई और इसमें केंद्र सरकार का क्या रूख रहता है, इसका अध्ययन किया जाएगा। एनएचएम के कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति, दुर्घटना बीमा, ईपीएफ, ग्रेच्युटी का लाभ दिलाने के लिए प्रमुख सचिव चिकित्सा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी जो कि इस संबंध में एनएचएम कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से बातचीत करके इसका निस्तारण करेंगे। एनएचएम संविदा कर्मचारी संगठनों को उत्तराखण्ड सरकार से मान्यता प्रदान करने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार उनके काम को मान्यता देती है और उनकी समस्याओं पर गम्भीरता से संज्ञान में लेती है।
इस अवसर पर केबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष ठा0 प्रह्लाद सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे।