लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि गंगा जी आदिकाल से हम सबकी आस्था और अर्थव्यवस्था का आधार रही है। हजारों वर्षाें से गंगा जी ने अपने निर्मल जल से धर्म, अर्थ आदि की पूर्ति के साथ मोक्ष प्रदान किया है। इस लिए पुरुषार्थ चतुष्टय का आधार रही गंगा जी के प्रति हम सबका भी दायित्व है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गंगा जी के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन किया है। उनके प्रति आभार प्रकट करने तथा गंगा जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गंगा यात्रा का आयोजन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद बिजनौर स्थित गंगा बैराज पर गंगा पूजन करने के पश्चात् गंगा यात्रा के शुभारम्भ अवसर पर आयोजित एक जनसभा में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में दो स्थानों से गंगा यात्रा का शुभारम्भ किया जा रहा है। जनपद बलिया में राज्यपाल महोदया द्वारा गंगा यात्रा की शुरुआत की जा रही है। 31 जनवरी, 2020 को दोनों यात्राओं का समागम जनपद कानपुर में होगा। क्योंकि कानपुर ‘नमामि गंगे’ योजना का क्रिटिकल प्वाइंट है। कानपुर के बाद गंगा जी अत्यन्त प्रदूषित हो जाती थीं। इससे हम सब की आस्था और अर्थव्यवस्था दोनों पर प्रभाव पड़ता था। कानपुर में गंगा यात्रा का समापन नदियों को प्रदूषणमुक्त करने के सम्बन्ध में एक नया संदेश देगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 03 वर्ष पूर्व कानपुर में गंगा जी के प्रदूषण की स्थिति भयावह थी। सीवर का गंदा एवं प्रदूषित पानी गंगा जी में गिरता था, इसे आज पूर्णतः बंद कर दिया गया है। कानपुर में 14 करोड़ लीटर सीवर का पानी सीसामऊ नाले में गिरता था, लेकिन ‘नमामि गंगे परियोजना’ के माध्यम से अब इसमें एक बंूद भी सीवर का पानी नहीं गिर रहा है। पूर्ववर्ती सरकारों की अनदेखी के परिणामस्वरूप जाजमऊ क्षेत्र में जलीय जीव विलुप्त होने लगे थे, वहीं वर्तमान सरकार के प्रयासों का परिणाम है कि यहां पुनः जलीय जीव पनपने लगे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने गंगा बैराज स्थित शीश महल से गंगा यात्रा रथ को रवाना करते हुए कहा कि गंगा यात्रा का मुख्य उद्ेदश्य गंगा जी को पूर्ण रूप से स्वच्छ, निर्मल एवं अविरल बनाना है तथा जन सामान्य में इसके प्रति जागरूकता उत्पन्न करना है ताकि लोग गंगा जी की स्वच्छता के प्रति स्वयं पे्ररित हो सकें। प्रदेश सरकार द्वारा गंगा यात्रा का आयोजन गंगा जी की अविरलता, निर्मलता और स्वच्छता के प्रति जन जागरुकता के साथ-साथ विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से जोड़ते हुए अर्थ-गंगा अभियान संचालित करने हेतु लिया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश, देश का प्रथम राज्य है, जहां इस प्रकार की गंगा यात्रा आयोजित की जा रही है। यह ऐतिहासिक यात्रा प्रदेश की 1038 ग्राम पंचायतों और 1638 राजस्व ग्रामों से गुजरेगी। वर्तमान में गंगा जी का बेसिन सर्वाधिक उर्वर क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि गंगा यात्रा के दौरान सभी आच्छादित 27 जनपदों में समस्त विभागों द्वारा जनकल्याणकारी कार्यक्रमों एवं उपलब्धियों के बारे में जनमानस को अवगत कराया जाएगा तथा विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को चिन्हित करते हुए उन्हें लाभान्वित भी किया जायेगा।
मुख्यमंत्री जी ने गंगा जी के किनारे खेती को प्रोत्साहित करने, खेती की लाभकारी मार्केटिंग तथा कृषि उत्पादों का निर्यात करने पर बल देते हुए कहा कि हर जिले में शासन द्वारा गंगा नर्सरी बनाये जाने की योजना प्रारम्भ की गई है। किसानों को निःशुल्क फलदार वृक्ष की पौध उपलब्ध करायी जाएगी। इन वृक्षों पर जब फल आएंगे तो उन्हें आॅर्गेनिक प्रोडक्ट के तौर पर बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा और इनका निर्यात भी किया जाएगा। उन्होंने आम जनता का आह्वान किया कि गंगा जी में शव प्रवाहित न किये जायें ताकि गंगा जी की निर्मलता और स्वच्छ पर्यावरण को सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि गंगा जी को स्वच्छ रखना सभी का दायित्व है, सरकार के साथ-साथ समाज का भी गंगा जी को स्वच्छ एवं निर्मल रखने में पूर्ण दायित्व है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में गंगा सुरक्षा समिति के माध्यम से गंगा जी के प्रति दायित्वों के निर्वहन के लिए आगे आएं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गंगा जी भारत की आध्यात्मिक एवं प्राचीन संस्कृति तथा प्रत्येक भारतीय की आस्था का प्रतीक हैं। ‘नमामि गंगे परियोजना’ के माध्यम से गंगा जी को स्वच्छ करने का जो संकल्प प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लिया था, वह धरातल पर दिखाई देने लगा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गंगा यात्रा को अर्थ-गंगा से जोड़ा जाएगा। इसको एक सतत् कल्याणकारी योजना बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि गंगा यात्रा के दौरान 1038 ग्राम पंचायतों और 21 नगर निकायों में आॅर्गेनिक खेती को प्रोत्साहित करते हुए गौ-आधारित खेती का विशेष प्रशिक्षण संचालित किया जा रहा है। गंगा जी के तटवर्ती क्षेत्रों के गांवों में गंगा मैदान व गंगा तालाब तथा नगर निकाय में गंगा पार्क विकसित किए जाएंगे। यात्रा के दौरान 27 जनपदों में सभी विभागों के जनकल्याणकारी कार्यक्रमों और उपलब्धियों के बारे में लोगों को अवगत कराया जाएगा एवं विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को चिन्हित करते हुए उन्हें लाभान्वित भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गंगा यात्रा में सभी विभागों की सहभागिता भी सुनिश्चित की गई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गंगा जी का देश के पांच राज्यों उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड तथा पश्चिम बंगाल में 2525 किमी0 का प्रवाह है, जिसमें सर्वाधिक प्रवाह उत्तर प्रदेश में है। इसलिए इसे स्वच्छ और निर्मल बनाने की सबसे अधिक जिम्मेदारी भी उत्तर प्रदेश की है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रथम चरण में गंगा जी के किनारे स्थित 1038 ग्राम पंचायतों में इसे लागू किया जाएगा। इसके लिए कार्य योजना तैयार हो चुकी है। गंगा जी के दोनों किनारों पर 5-5 किलोमीटर तक ‘प्राकृतिक खेती’ की जाएगी। इससे गंगा जी को रासायनिक प्रदूषण से बचाया जा सकेगा। अभी खेतों में प्रयुक्त होने वाला रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक आदि वर्षा के जल के साथ इन तटीय खेतों से निकलकर गंगा जी में मिलता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के उत्पादों के प्रमाणीकरण का कार्य मंडल स्तर पर मंडी विभाग द्वारा किया जाएगा। प्राकृतिक खेती को अपनाकर उत्तर प्रदेश पूरे देश व दुनिया को नई राह दिखा सकता है। ऐसा होने से लोगों को केमिकल मुक्त खाद्यान्न प्राप्त हो सकेगा। उन्होंने कहा कि 27 से 31 जनवरी, 2020 तक गंगा यात्रा के दौरान अभियान चलाकर गंगा जी के किनारे स्थित गांवों में किसानों को प्राकृतिक खेती को तैयार करने व प्रयोग करने की विधि बताई जाएगी।
इस अवसर पर केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेरी राज्य मंत्री श्री संजीव कुमार बालियान, केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी0के0 सिंह, प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री श्री सुरेश राणा, जल शक्ति राज्य मंत्री श्री बलदेव ओलख, व्यावसायिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री कपिल देव अग्रवाल, विधान परिषद सदस्य श्री स्वतंत्र देव सिंह, अन्य जनप्रतिनिधिगण, प्रमुख सचिव सिंचाई श्री टी0 वेंकटेश, प्रमुख सचिव कृषि श्री अमित मोहन प्रसाद, मुख्यमंत्री जी के सूचना सलाहकार श्री मृत्युंजय कुमार सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।