नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा है कि यदि विकास के लाभ को अंतिम व्यक्ति विशेषकर अल्पसंख्यकों तक पहुंचाना है, तो यह अत्यंत जरूरी है कि विकास दर ऊंची रहे। शिक्षा – ‘तालीम व तर्बियत’ के जरिये सशक्तिकरण पर आज मुंबई में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री जेटली ने कहा कि वर्ष 1991 में आर्थिक उदारीकरण को अपनाने के बाद विकास की रफ्तार बढ़ने से गरीबी में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने कहा कि सभी समुदायों के गरीबी स्तर में कमी देखने को मिली है, लेकिन यह असमान है। श्री जेटली ने कहा कि जहां एक ओर ऊंची विकास दर आर्थिक अवसर मुहैया कराते हुए सभी पर असर डालती है, वहीं दूसरी ओर कुछ विशेष अल्पसंख्यक इस मामले में पीछे रह गए हैं और इन क्षेत्रों को दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर मुस्लिम समुदाय में गरीबी दर वर्ष 1991 के 52 फीसदी से घटकर वर्ष 2011 में लगभग 27 फीसदी रह गई है, वहीं दूसरी ओर जैन एवं पारसी जैसे कुछ समुदाय गरीबी की चुनौती से पार पाने में कामयाब हो गए हैं।
श्री जेटली ने कहा कि शिक्षा ही लोगों की स्थितियों में तेजी से सुधार सुनिश्चित करने की कुंजी है, जिससे कौशल को अवसरों में तब्दील करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिहाज से मदरसा एक महत्वपूर्ण संस्थान है और उन्होंने प्रौद्योगिकी एवं परंपरागत शिक्षण के सम्मिश्रण के लिए जफर सारेशवाला जैसे नेताओं के प्रयासों की सराहना की।
वित्त मंत्री ने कहा कि विश्व दो तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है- राजनीतिक एवं आर्थिक। उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि भारत दोनों ही मोर्चों पर बेहतर स्थिति में है। उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी होने वाली झड़पों, जिन्हें मीडिया अक्सर बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है, को छोड़कर हमारे देश में कोई बड़ी घटना नहीं होती है। हमारा समाज निरंतर एक स्वर में बोलता है।’ श्री जेटली ने विशेष जोर देते हुए कहा कि संविधान के निर्माताओं ने भारत की विविधता को ध्यान में रखते हुए अल्पसंख्यकों को संरक्षण प्रदान किया था। उन्होंने कहा कि सरकार अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
आर्थिक चुनौतियों का उल्लेख करते हुए श्री जेटली ने कहा कि वैश्विक सुस्ती के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था 7 फीसदी से लेकर 7.5 फीसदी तक की विकास दर हासिल करने में कामयाब रही है, जो प्रशंसनीय है। उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों का आह्वान किया कि वे शिक्षा के जरिए खुद को सशक्त बनाएं, कौशल हासिल करें और मुद्रा योजना एवं अन्य कार्यक्रमों से लाभ उठाते हुए अवसरों का दोहन करें।
मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के कुलपति और ‘तालीम व तर्बियत’ के आयोजक श्री जफर सारेशवाला ने मुस्लिम समुदाय के युवाओं एवं महिलाओं से अपील की कि वे सरकार के साथ जुड़ें और विभिन्न कल्याण योजनाओं से लाभ उठाएं।
इस अवसर पर उपग्रह के जरिए अंग्रेजी, गणित एवं विज्ञान की शिक्षा प्रदान करने के लिए मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय और यूएफओ डिजिटल सिनेमा ने एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।