नई दिल्ली: कराधान में निश्चितता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 3 अगस्त, 2015 को दो बहु-राष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के साथ दो एकपक्षीय अग्रिम मूल्य समझौतों (एडवांस प्राइसिंग एग्रीमेंट – एपीए) पर हस्ताक्षर किए। इसमें पहले एपीए में रोलबैक का प्रावधान शामिल है।
इस समझौते को मिलाकर सीबीडीटी अभी तक 14 एपीए पर हस्ताक्षर कर चुका है जिसमें से 13 एकपक्षीय एपीए हैं और एक द्विपक्षीय है। जिन 14 एपीए पर हस्ताक्षर किए गए, वह दूरसंचार, तेल की खोज, फार्मास्यूटिकल्स, वित्त / बैंकिंग, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सर्विसेज और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सर्विसेज (बीपीओ) से संबंधित हैं।
एकपक्षीय एपीए भारतीय करदाताओं और सीबीडीटी के बीच टैक्स अथॉरिटीज़ को शामिल किए बगैर सहमति है। द्विपक्षीय एपीए में टैक्स अथॉरिटीज़ और दो देशों के बीच समझौते शामिल हैं। एक एपीए में रोलबैक के प्रावधान के साथ पांच सालों की बजाय दस साल के लिए कर निश्चितता शामिल है।
ये एपीए अग्रिम रूप से ट्रांसफर प्राइसेज और अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन के मूल्यों को निर्धारित करता है। सरकार कर सहयोग और निश्चितता के माहौल के लिए प्रतिबद्ध है। वर्तमान में कई एकपक्षीय और द्विपक्षीय एपीए वार्ता के अग्रिम चरण में हैं।
हाल ही में यूएस के साथ भारत-अमेरिका दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएसी) के म्यूचुअल एग्रीमेंट प्रोसीजर (एमएपी) के तहत फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह एक अहम कदम है। इस समझौते से मौजूदा वर्ष में दोनों देशों के बीच इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट) सर्विसेज (आईटीएस) और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सर्विसेज सेगमेंट में करीब 200 ट्रांसफर प्राइसिंग विवाद सुलझने की उम्मीद है। अभी तक 35 विवाद सुलझ चुके हैं और 100 अन्य तीन महीनों के भीतर सुलझ जाएंगे।