नई दिल्ली: महिला सुरक्षा, कुपोषण से लड़ाई, महिला एवं बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकना और महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण आगामी साल में
भी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में रहेगा। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 के बजट में ये प्राथमिकताएं स्पष्ट रूप से नजर आईं।
श्रीमती मेनका संजय गांधी आज नई दिल्ली में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के लिए बजट आवंटन के बारे में पत्रकारों को संबोधित कर रही थीं। श्री मेनका संजय गांधी ने लैंगिक बजट 2016-17 के बारे में कहा कि केंद्रीय बजट में महिलाओं के लिए 90,624 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, जबकि बीते वित्त वर्ष में आवंटित 81,249 करोड़ रुपये से 11 फीसदी ज्यादा है।
मंत्री ने आवंटन पर संतोष जाहिर करते हुए कहा, ‘हम बजट से खासे खुश हैं, हमने जो कहा था वह सब मिला है।’
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के लिए बजट 2016-17 की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:
1.वर्ष 2016-17 के लिए मंत्रालय को 17,300 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, जबकि 2015-16 में 8,355 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। जिसे बात में आरई चरण में संशोधित करते 17,257 करोड़ रुपये कर दिया गया। बजट 2016-17 में गैर योजनागत खर्च के लिए 108 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे वित्त वर्ष 2016-17 के लिए कुल बजटीय आवंटन 17,408 करोड़ रुपये रहा है।
2. इस आवंटन को केंद्र सरकार के कुल लैंगिक बजट के साथ देखा जाना चाहिए। लैंगिक बजट को दो भागों में बांटा गया है। भाग क में विभिन्न मंत्रालयों द्वारा चलाए जाने वाले सभी कार्यक्रम जो पूरी तरह से महिलाओं पर केंद्रित हैं, आते हैं। भाग ख में विभिन्न मंत्रालयों के वे कार्यक्रम आते हैं जिनमें विशेष रूप से महिलाओं को आवंटन किया जाता है या जिनसे महिलाओं को ही लाभ होता है।
3. 2016-17 के लैंगिक बजट में भाग क के लिए 17,412 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, जबकि 2015-16 में यह आवंटन 11,388 करोड़ रुपये था। इसी प्रकार 2016-17 के लिए भाग ख के अंतर्गत 73,212 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जबकि 2015-16 में 69,860 करोड़ रुपये आवंटन हुआ था। कुल मिलाकर केंद्रीय बजट में 90,624 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, जो बीते वित्त वर्ष के 81,249 करोड़ रुपये से 11 प्रतिशत ज्यादा है।
4.आवंटन में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी वाले क्षेत्रों में महिलाओं को समर्पित इंदिरा आवास योजना, किसान कल्याण, उच्च शिक्षा, मनरेगा आदि योजनाओं के भाग शामिल रहे।
5.मंत्रालय के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कुपोषण शामिल है। आर्थिक सर्वेक्षण के क्रम में महिलाओं और बच्चों के लिए पूरक पोषण सेवाएं देने के वास्ते मंत्रालय की क्षमता को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फायदा पहुंचाने के वास्ते आर्थिक सामाजिक निवेश का सबसे अच्छा तरीका मातृत्व और बाल पोषण में निवेश करना है।
6.मंत्रालय ने 2016-17 में मातृत्व सहयोग योजना के लिए 400 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जबकि बीते साल अंतिम आवंटन 233 करोड़ रुपये रहा था।
7.वित्त वर्ष 2016-17 में राष्ट्रीय कुपोषण मिशन के अंतर्गत 360 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि बीते वित्त वर्ष 65 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ था।
8. इसके साथ ही विश्व बैंक से सहायता प्राप्त आईसीडीएस स्ट्रेंथेनिंग प्रोजेक्ट के अंतर्गत 450 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, जबकि बीते वित्त वर्ष इसके लिए अंतिम तौर पर 35 करोड़ रुपये का ही आवंटन हुआ था।
9.देश में चार क्षेत्रीय स्थानों पर विशेष प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए खाद्य एवं कुपोषण को अतिरिक्त 15 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
10. एनआईपीसीसीडी के बजट को भी 2016-17 में बढ़ाकर 40 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो 2015-16 में 20 करोड़ रुपये था।
11. इसी प्रकार महिलाओं के प्रमुख कार्यक्रमों के लिए बजट बढ़ा दिया गया है।
12. 2016-17 में महिलाओं के लिए आश्रय स्थल की स्थापना के लिए आवंटन बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया गया, जबकि 2015-16 में 52 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इससे मंत्रालय विशेष रूप से विधवाओं को अतिरिक्त सुविधाएं देने में सक्षम होगा।
13. मंत्रालय ने ग्राम स्तर के सुविधा केंद्रों के एक नेटवर्क की स्थापना के वास्ते राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण मिशन (एनएमईडब्ल्यू) की पहुंच में विस्तार करने का प्रस्ताव किया है। इस क्रम में एनएमईडब्ल्यू के बजट को 2016-17 में बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दिया गया, जो 2015-16 में 26 करोड़ रुपये था।
14.मंत्रालय महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने पर खासा ध्यान दे रहा है और इस समस्या से निबटने के लिए एक व्यापक ढांचा स्थापित करने का फैसला किया है। एक नए कानून का मसौदा और इस उद्देश्य से एक संस्थागत ढांचा तैयार करने के लिए पहले ही एक समिति का गठन किया जा चुका है। इसके लिए 2016-17 में 35 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि 2015-16 में 20 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था।
15.मंत्रालय के कामकाज के प्रमुख तत्वों में एक व्यापक पहुंच कार्यक्रम है, जिससे आम आदमी की पहुंच को बदला जा सके। इसे मजबूती देने के लिए 2016-17 में बजट बढ़ाकर 60 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जबकि 2015-16 में यह बजट 40 करोड़ रुपये था।
16. हिंसा से पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा उपलब्ध कराने के वास्ते वन स्टॉप सेंटर्स की स्थापना का विस्तार किया जा रहा है। इस उद्देश्य से 2016-17 में बजट बढ़ाकर 75 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जबकि 2015-16 में इसके लिए 13 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था।
17.वित्त वर्ष 2016-17 में निर्भया फंड के लिए मंत्रालय को 500 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये गए हैं।