नई दिल्ली: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) निजी सुपर-स्पेशियलिटी अस्पतालों द्वारा अनुचित मूल्य निर्धारण करने से संबंधित प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 3 और 4 के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के एक मामले (2015 की मुकदमा संख्या 77) की जांच कर रहा है।
अधिनियम के प्रावधानों के प्रथम दृष्टया उल्लंघन का पता लगने पर आयोग ने जांच के लिए संबंधित मामला महानिदेशक (डीजी) को सौंप दिया। आयोग के इस आदेश पर अमल करते हुए डीजी ने जांच रिपोर्ट पेश कर दी।
उपलब्ध अधिकृत सूचनाओं पर गौर करने के बाद आयोग ने यह बात रेखांकित की कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाते हुए इन मरीजों को विभिन्न उत्पादों की बिक्री द्वारा भारी लाभ मार्जिन अर्जित किया जा रहा है। प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल असर डालने वाले तौर-तरीकों पर लगाम लगाने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए इस आयोग को हासिल अधिदेश को ध्यान में रखते हुए आयोग ने जांच का दायरा बढ़ाने का निर्णय लिया, ताकि भर्ती किए गए मरीजों को उपलब्ध कराए जा रहे स्वास्थ्य देखभाल से जुड़़े उत्पादों और सेवाओं के संबंध में पूरी दिल्ली में स्थित सुपर-स्पेशलिटी अस्पतालों द्वारा अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों को कवर किया जा सके। जांच के तहत सुपर-स्पेशियलिटी अस्पतालों द्वारा भर्ती किए गए मरीजों को बेचे जाने वाले उन उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जो किसी भी चिकित्सा प्रक्रिया/उपचार के लिए तत्काल आवश्यक नहीं हैं या जिसमें चिकित्सीय प्रक्रिया की दृष्टि से गुणवत्तापूर्ण उत्पादों का ही इस्तेमाल करना आवश्यक नहीं है तथा जिनकी खरीदारी अपनी पसंद के आधार पर खुले बाजार से करने के लिए मरीजों के पास पर्याप्त समय और गुंजाइश है, जहां ऐसे उत्पाद कम कीमतों पर उपलब्ध हो सकते हैं। आयोग ने जांच शीघ्र पूरी करने के लिए डीजी को निर्देश दिया है।
इस मामले में जांच का दायरा बढ़ाने के पीछे आयोग का मुख्य उद्देश्य तृतीयक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल असर डालने वाले तौर-तरीकों पर लगाम लगाना है।
2015 की मुकदमा संख्या 77 में आयोग द्वारा दिए गए ऑर्डर की एक प्रति आयोग की वेबसाइट www.cci.gov.in पर अपलोड कर दी गई है।