भारत सरकार ने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हाल ही में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के प्रभावी प्रबंधन हेतु सामने आने वाले मुद्दों के समाधान के लिए अनेक कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार द्वारा समग्र रूप से उठाए गए इन सक्रिय उपायों की नियमित रूप से उच्चतम स्तर पर समीक्षा और निगरानी भी की जा रही है।
अस्पतालों में गंभीर कोविड-19 रोगियों की संख्या के बढ़ने से प्रभावी नैदानिक प्रबंधन के लिए रेमडेसिवीर की मांग में वृद्धि हुई है, जबकि राज्यों को सलाह दी गई है कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इस दवा के विवेकपूर्ण उपयोग को ही बढ़ावा दिया जाए, क्योंकि इसे एक जांच चिकित्सा के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। राज्यों को दवा की संभावित जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई करने की भी सलाह दी गई है।
कोविड-19 चिकित्सा के लिए आवश्यक रेमडेसिवीर इंजेक्शन की मांग में देश में अचानक हुई वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, घरेलू रेमडेसिवीर निर्माताओं की विनिर्माण क्षमता में वृद्धि की गई है। इस प्रयास में सरकार द्वारा निर्माताओं को सभी तरह की सहायता दी जा रही है। उत्पादन क्षमता के मौजूदा स्तर को प्रति माह 38 लाख शीशियों से बढ़ाकर 74 लाख शीशी प्रति माह किया जा रहा है और 20 अतिरिक्त विनिर्माण स्थलों को मंजूरी दी गई है। घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने के लिए 11 अप्रैल, 2021 को रेमडेसिवीर का निर्यात भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।
देश के कुछ क्षेत्रों में रेमडेसिवीर की कमी की रिपोर्ट और इसकी सुचारू अंतर-राज्यीय आपूर्ति की सुविधा हेतु, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा औषध विभाग के साथ समन्वय के माध्यम से 19 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए 30 अप्रैल, 2021 तक रेमडेसिवीर का अंतरिम आवंटन किया गया है।
चूँकि रेमडेसिवीर कोविड-19 के गंभीर मामलों में दी जाने वाली एक जांच चिकित्सा औषधि है, जिसमें ऑक्सीजन की सहायता होना आवश्यक है, इसलिए यह आवंटन उन 14 राज्यों के लिए किया गया है, जिन्हें चिकित्सा ऑक्सीजन भी आवंटित की गई है और 5 अन्य राज्यों में जहां इसकी आपूर्ति की उच्च आवश्यकता महसूस की जा रही है।
21 से 30 अप्रैल के लिए रेमेडिसवीर का राज्यवार आवंटन | ||||||||||
क्र.सं. | 02 के अंतर्गत आवंटन वाले राज्य | आवंटन पर मार्गदर्शन | ज़ाइडस कैडिला | हीतरो | माइलेन | सिपला | सिनजीन /सन | जुबिलैन्ट | डा.रेड्डी | कुल आवंटन |
1 | छत्तीसगढ | 48,250 | 16,000 | 20,000 | 9,000 | 2,000 | 1,250 | 48,250 | ||
2 | दिल्ली | 61,825 | 20,400 | 22,000 | 4,000 | 5,000 | 7,500 | 3,000 | 61,900 | |
3 | गुजरात | 163,559 | 120,000 | 14,500 | 15,000 | 8,000 | 5,000 | 1,000 | 163,500 | |
4 | हरियाणा | 29,441 | 20,000 | 4,000 | 3,000 | 2,500 | 29,500 | |||
5 | आंध्र प्रदेश | 58,881 | 18,000 | 30,000 | 5,000 | 6,000 | 59,000 | |||
6 | कर्नाटक | 25,352 | 17,400 | 1,000 | 6,000 | 1,000 | 25,400 | |||
7 | केरल | 16,192 | 1,000 | – | 11,100 | 1,000 | 3,000 | 16,100 | ||
8 | मध्य प्रदेश | 92,411 | 15,000 | 30,000 | 20,000 | 10,000 | 6,000 | 10,000 | 1,400 | 92,400 |
9 | महाराष्ट्र | 269,218 | 50,000 | 50,000 | 32,000 | 92,400 | 23,000 | 16,000 | 5,800 | 269,200 |
10 | पंजाब | 13,412 | 4,000 | 2,000 | 2,400 | 3,000 | 2,000 | 13,400 | ||
11 | राजस्थान | 26,169 | 10,000 | 1,000 | 10,000 | 3,000 | 2,500 | 26,500 | ||
12 | तमिलनाडु | 58,881 | 20,000 | 14,400 | 19,000 | 5,000 | 500 | 58,900 | ||
13 | उत्तर प्रदेश | 122,833 | 50,000 | 22,000 | 11,000 | 11,000 | 4,800 | 24,000 | 122,800 | |
14 | उत्तराखंड | 13,575 | 7,000 | – | 1,500 | 5,000 | 13,500 | |||
कुल | 1,000,000 | 292,400 | 212,900 | 184,400 | 163,500 | 55,700 | 67,000 | 24,450 | 1,000,350 | |
O2 के तहत आवंटन न होने वाले राज्य | – | – | ||||||||
15 | तेलंगाना | 21,551 | 9,000 | 9,000 | 500 | 3,000 | 21,500 | |||
16 | पश्चिम बंगाल | 27,321 | 10,000 | 7,500 | 1,000 | 3,500 | 2,400 | 1,000 | 2,000 | 27,400 |
17 | ओडिशा | 11,107 | 1,000 | 4,500 | 1,600 | 1,500 | 2,500 | 11,100 | ||
18 | बिहार | 24,604 | 14,000 | 6,500 | 1,000 | 2,000 | 1,000 | 24,500 | ||
19 | झारखंड | 15,417 | 10,000 | 1,650 | 500 | 2,000 | 1,000 | 15,150 | ||
कुल | 100,000 | 35,000 | 29,150 | 13,100 | 9,000 | 2,400 | 6,000 | 5,000 | 99,650 | |
कुल योग | 1,100,000 | 327,400 | 242,050 | 197,500 | 172,500 | 58,100 | 73,000 | 29,450 | 1,100,000 |
आवंटन में राज्यों द्वारा की गई थोक खरीद के साथ-साथ निजी वितरण चैनलों के माध्यम से आपूर्ति भी शामिल है। यह प्रारंभिक आवंटन गतिशील है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उपलब्ध आपूर्ति के भीतर सभी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके राज्यों के साथ परामर्श से इसकी निरंतर समीक्षा की जाएगी।
- उपर्युक्त उल्लेखित आवंटन में सभी राज्यों को शामिल नहीं किया गया है और निर्माताओं को मिलने वाले इनके आपूर्ति ऑर्डर के बाद ही इनके लिए आवंटन पर विचार किया जाएगा ।
- निर्माताओं को सलाह दी गई है कि वे पहले से किए गए आपूर्ति ऑर्डर पर विचार करें, राज्यों के लिए आवंटित मात्रा के संदर्भ में एक राज्य की भौगोलिक निकटता और आपूर्ति की शर्तों के साथ-साथ निर्माताओं को राज्यों के मानचित्रण की जानकारी भी दी गई हैं। परिणामी मानचित्रण इसके साथ संलग्न है।
- निर्माताओं को राज्य के आवंटन और मानचित्रण के अनुसार निर्माण और आपूर्ति करने हेतु निर्देशित किया गया है। उन्हें सरकार और वितरण चैनल के लिए आपूर्ति में संतुलित बनाए रखने के लिए भी कहा जा सकता है।
- उपर्युक्त राज्य-वार आवंटन और निर्माता-वार मानचित्रण के भीतर, सभी राज्य विनिर्माताओं को अपने आपूर्ति आदेश दे सकते हैं, यदि उन्होंने इसे सरकारी खरीद अथवा वितरण चैनल के माध्यम से पहले से नहीं किया हैं तो।
- यदि किसी राज्य को 30 अप्रैल से पहले अपने अपने आवंटन का पूरी तरह से उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है या वह इसका पूरी तरह से उपयोग करने में असमर्थ है, तो वह अन्य राज्यों की आवश्यकता के अनुसार इसे उन्हें उपलब्ध करा सकेगा।
- राज्य रेमडेसिवीर के लिए तुरंत राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं जो उपर्युक्त आवंटन और मानचित्रण के अनुसार रेमडेसिवीर की निर्बाध और समय पर उपलब्धता के लिए उत्तरदायी होंगे।
- नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) द्वारा स्थापित नियंत्रण कक्ष, आवंटन के अनुसार संचालन की निगरानी के लिए जिम्मेदार होगा। देश के भीतर रेमडेसिवीर की निर्बाध आपूर्ति को बनाए रखने में समन्व्यय के लिए राज्यों के नोडल अधिकारियों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जा रहा हैं। रेमडेसिवीर निर्माताओं के संपर्क अधिकारी और गृह मंत्रालय, फार्मास्युटिकल विभाग, नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) के अधिकारी भी दिन-प्रतिदिन की जाने वाली निगरानी और समन्वय के लिए इस ग्रुप में शामिल होंगे।