केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में आज यहां राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की 19वीं बैठक आयोजित की गई। माननीय संसद सदस्य श्रीमती दीया कुमारी, श्री राजीव प्रताप रूडी, और श्री हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर, सचिव श्रीमती लीना नादन और डीजीएफ श्री चंद्र प्रकाश गोयल समेत अन्य गणमान्य लोग इस बैठक में उपस्थित थे।
इस अवसर पर एनटीसीए की विभिन्न पहलों के बारे में बताते हुए एक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया गया। अपने संबोधन में श्री भूपेंद्र यादव ने हर साल अप्रैल, अगस्त और दिसंबर महीने के पहले सप्ताह में एनटीसीए की कम से कम तीन बैठकें करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बाघ एक लुप्तप्राय प्रजाति बना हुआ है। ऐसी स्थिति को देखते हुए बाघों को संरक्षण के लिए सक्रिय प्रबंधन की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बाघों की आबादी के प्रभावी प्रबंधन के लिए टाइगर रिजर्व और लैंडस्केप स्तर पर बाघों की संख्या का विश्वसनीय अनुमान होना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि देशभर में वर्तमान में चल रहे अखिल भारतीय बाघ अनुमान का 5वां चक्र सही नीतिगत निर्णय लेने में मदद करेगा। मंत्री ने कहा कि हमारे पास देश में 51 टाइगर रिजर्व हैं और अधिक क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व नेटवर्क के तहत लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मंत्री ने कहा कि टाइगर रिजर्व सिर्फ बाघों के लिए नहीं है क्योंकि इन क्षेत्रों से 35 से अधिक नदियां निकलती हैं जो जल सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
मंत्री ने अवैध शिकार का जिक्र करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में एयर गन की समस्या एक ऐसा मुद्दा है जिसे मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की सलाह दी है ताकि लोग अपने एयरगन को आत्मसमर्पण कर सकें।
टाइगर रिजर्व में पर्यटन गतिविधि के प्रभावी नियमन के हिस्से के रूप में मंत्री ने कहा कि एक कोर क्षेत्र होना चाहिए जो एक तरफ से अलंघनीय यानी जिसे पार नहीं किया जा सके और वाहनों की आवाजाही सुरक्षित तरीके से हो सके।
भारतीय संदर्भ में बाघ संरक्षण के प्रयासों के केंद्र बिंदु में समुदाय है। इसलिए संरक्षण और पारिस्थितिकी पर्यटन गतिविधियों में स्थानीय समुदायों की भागीदारी के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
मंत्री ने यह भी बताया कि आज 14 टाइगर रिजर्व को सीए| टीएस के तहत मान्यता दी गई है और एनटीसीए अन्य टाइगर रिजर्व को सीए|टीएस के तहत मान्यता प्राप्त करने के लिए काम कर रहा है। मंत्री ने यह भी कहा कि बाघों की बेहतरी और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए दूरदर्शी योजना की आवश्यकता है। उन्होंने इसके लिए सुझाव दिया कि छह समितियों का गठन किया जाए ताकि वे 2 टाइगर रिजर्व का दौरा कर सकें और बेहतर नीति तैयार करने में मदद करने के लिए विभिन्न पहलुओं और समस्याओं का अध्ययन कर सकें।
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री अगले 5 साल में 50 चीते सहित 7 बड़ी बड़ी बिल्लियों के संरक्षण और सुरक्षा के इच्छुक हैं, जिन्हें विभिन्न पार्कों में पुनर्वास के लिए रखा जाएगा।
बैठक में पर्यावरण मंत्री ने भारत में चीते के पुनर्वास के लिए कार्य योजना का अनावरण किया, जो स्वतंत्र भारत में विलुप्त हो गया है।
केंद्रीय मंत्री ने एक वाटर एटलस भी जारी की, जिसमें भारत के बाघों वाले क्षेत्रों में सभी जल निकायों का नक्शा तैयार किया गया है। इस वाटर एटलस में भू-दृश्यवार (किसी भूमि प्रदेश का चित्र) जानकारी को रेखांकित किया गया है जिसमें शिवालिक पहाड़ियां और गंगा का मैदानी परिदृश्य, मध्य भारतीय परिदृश्य और पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट परिदृश्य, उत्तर पूर्वी पहाड़ियां और ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदान और सुंदरबन शामिल हैं।
बैठक के दौरान श्री यादव ने यह भी बताया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तत्वावधान में आयोजित ‘इंडिया फॉर टाइगर्स: ए रैली ऑन व्हील्स’ को बड़ी सफलता मिली। रैली में विभिन्न हितधारकों जैसे वन अधिकारियों, स्कूल और कॉलेज के छात्रों, मीडियाकर्मियों, स्थानीय समुदायों और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों आदि की सक्रिय भागीदारी देखी गई।