नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने सार्वजनिक संपत्ति को क्षति की रोकथाम (पीडीपीपी) अधिनियम, 1984 में प्रस्तावित संशोधनों के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं। प्रस्तावित संशोधनों के पीछे मुख्य उद्देश्य आंदोलन एवं अन्य तरह के विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक/निजी संपत्ति को नष्ट करने से संभावित उल्लंघन करने वालों को रोकना है। प्रस्तावित संशोधन इन संगठनों के पदाधिकारियों पर भी लगाम लगाएंगे। उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति के.टी. थॉमस की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के.टी. थॉमस की अध्यक्षता वाली इस समिति को उन तौर-तरीकों पर गौर करने का जिम्मा सौंपा गया था जिन्हें अपनाकर सार्वजनिक संपत्ति को क्षति की रोकथाम (पीडीपीपी) अधिनियम, 1984 को और ज्यादा कारगर बनाया जा सकता है। इस समिति को कुछ उपयुक्त बदलाव सुझाने का भी जिम्मा सौंपा गया था, जिससे कि इस अधिनियम को और ज्यादा सार्थक बनाया जा सके।
समिति ने अपने निष्कर्ष में कहा था कि वर्तमान कानून सार्वजनिक संपत्ति को होने वाली क्षति के बढ़ते मामलों से निपटने के लिहाज से अपर्याप्त एवं अप्रभावी है। समिति ने सार्वजनिक संपत्ति को क्षति की रोकथाम (पीडीपीपी) अधिनियम, 1984 में संशोधन के लिए कुछ सिफारिशें की थीं। गृह मंत्रालय ने न्यायमूर्ति के.टी. थॉमस की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशें स्वीकार करने का फैसला किया था।
सार्वजनिक संपत्ति को क्षति की रोकथाम (पीडीपीपी) अधिनियम, 1984 के वर्तमान प्रावधान के साथ-साथ प्रस्तावित सार्वजनिक संपत्ति को क्षति की रोकथाम (पीडीपीपी) अधिनियम का मसौदा भी गृह मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.nic.in. पर उपलब्ध है।
पीडीपीपी अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2015 के प्रस्तावित मसौदे पर आम जनता और अन्य हितधारकों की ओर से 20 जुलाई, 2015 को अथवा उससे पहले सुझाव आमंत्रित हैं। ये सुझाव गृह मंत्रालय के सीएस प्रभाग, 5वीं मंजिल, एनडीसीसी बिल्डिंग, जय सिंह रोड, नई दिल्ली-110001 को भेजे जा सकते हैं। ये सुझाव ईमेल dircs1-mha@mha.gov.in पर भी भेजे जा सकते हैं।