नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वे आतंकी घटनाओं से जुड़े आरोपियों और दोषियों के लिए अलग से शहर से दूर उच्च सुरक्षा वाली जेल बनाए। केन्द्र सरकार ने आशंका जताई है कि अन्य कैदियों के आतंकियों के साथ रहने पर वे उन्हें भरमा सकते हैं। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की बैठक के बाद 28 अप्रेल को यह पत्र सभी राज्यों के प्रधान सचिवों को भेजा गया।
सूत्रों ने बताया कि, केन्द्र को डर है कि आतंकी मामलों के दोषी और संदिग्ध अन्य कैदियों को बातों से भरमाकर अपनी जिहादी विधारधारा का प्रचार कर सकते हैं। इसके चलते आतंकह मामले झेल रहे कैदियों के लिए अलग से उच्च सुरक्षा वाली जेलों की जरूरत है। अगर ऎसा करना संभव नहीं है तो फिर आतंकी और सुरक्षा मामलों से जुड़े कैदियों को सेंट्रल व जिला जेलों से लग रखा जाए। साथ ही जेलों में सीसीटीवी कैमरे व मोबाइल जैमर इंस्टॉल किए जाए और गंभीर खतरे वाले बंदियों पर 24 घंटे कड़ी नजर रखी जाए।
इंटेलीजेंस ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गांधीनगर में ऎसी ही जेल बनाना चाहते थे। 2010 में गुजरात सरकार ने ऎसे प्रस्ताव पर चर्चा भी की गई थी। इस दौरान गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अç मत शाह ने कहा था कि, यदि आतंकियों और साधारण बंदियों को साथ रखा जाएगा तो साधारण कैदियों के आतंकी संगठनों के लिए स्लीपर सेल बनने की संभावना है।
गौरतलब है कि 2013 के आंकड़ों के अनुसार 3.8 लाख बंदियों में से लगभग 66.2 प्रतिशत बंदी अंडर ट्रायल है। तिहाड़ जेल के रिटायर डीजी का कहना है कि कई बंदी तो ऎसे हैं जो ट्रायल के दौरान 8-10 साल से जेल में बंद है। वहीं बहुत से ऎसे हैं जिनको जमानत मिल चुकी हैं लेकिन वे पैसे नहीं सकते।