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15वें वित्त आयोग के अध्‍यक्ष एवं सदस्‍यों ने सिक्किम के व्‍यापार एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की

देश-विदेश

नई दिल्ली: 15वें वित्त आयोग के अध्‍यक्ष श्री एन. के. सिंह और इसके सदस्‍यों एवं वरिष्‍ठ अधिकारियों ने आज सिक्किम में व्‍यापार एवं उद्योग निकायों या संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।

वित्त आयोग ने यह पाया :

  • सिक्किम आय की अपेक्षाकृत उच्‍च वृद्धि दर को निरंतर बनाए रखने में सफल रहा है। वर्ष 2011 से वर्ष 2018 तक जीएसडीपी की सांकेतिक वृद्धि दर की प्रवृत्ति (ट्रेंड) बढ़त दर 13.5 प्रतिशत रही है। यह दर वर्ष 2005 से वर्ष 2018 तक अत्‍यंत ज्‍यादा 24.9 प्रतिशत आंकी गई थी। इतनी आकर्षक वृद्धि दर मुख्‍यत: पनबिजली सेक्‍टर और फार्मास्‍यूटिकल उद्योगों की बदौलत ही संभव हो पाई है।
  • राज्‍य में पर्यटन, बागवानी व पुष्‍पकृषि, जैविक उत्‍पादों, फार्मास्‍यूटिकल और विशिष्‍ट हथकरघा/हस्‍तशिल्‍प के क्षेत्रों में प्रचुर संभावनाएं हैं।
  • राज्‍य के जीएसवीए (सकल राज्‍य मूल्‍य वर्द्धित) 59 प्रतिशत योगदान द्वितीयक क्षेत्र का है। यह अन्‍य राज्‍यों की तुलना में अत्‍यंत ज्‍यादा है।
  • हालांकि, ‘कारोबार में सुगमता’ रैंकिंग : 2017-18 के अनुसार सिक्किम को मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के बाद तीसरी न्‍यूनतम रैंकिंग प्राप्‍त है। राज्‍य ने ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक में अपनी नीची रैंकिंग के लिए निम्‍नलिखित कारण गिनाए हैं:
  • सिक्किम में मौजूदा समय में कोई कंपनी अधिनियम नहीं है। इसका कारण यह है कि पुराने अधिनियम को निरस्‍त करने के बाद नए कंपनी अधिनियम को अधिसूचित नहीं किया गया है।
  • यह पर्यावरणीय दृष्टि से एक संवेदनशील जोन या क्षेत्र है, इसलिए इस बारे में स्‍वत: मंजूरी नहीं मिल सकती है। इसका कारण यह है कि प्रत्‍येक मुद्दे पर गंभीरता से गौर करने की जरूरत है।
  • भूमि संबंधी कानून जातीय समुदाय के हितों की रक्षा करते हैं और मालिकाना हक (टाइटिल) में किसी भी तब्‍दीली के लिए उच्‍चतम स्‍तर पर मंजूरी आवश्‍यक होती है।
  • श्रम ब्‍यूरो के पांचवें रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार सिक्किम में 18.1 प्रतिशत की दूसरी सर्वाधिक बेरोजगारी दर (त्रिपुरा के बाद) है। यह राज्‍य में रोजगारविहीन विकास को दर्शाता है।
  •  जीएसडीपी वृद्धि दर राज्‍य के राजस्‍व के अनुरूप नहीं रही है।

वित्त आयोग ने सिक्किम में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं से जुड़े मुद्दों और निम्‍नस्‍तरीय कनेक्‍टविटी के बारे में यह पाया है:

  • सी‍मित क्षमता वाला छोटा हवाई अड्डा चालू हो गया है। हालांकि, इस हवाई अड्डे पर आने वाली उड़ानों की संख्‍या सीमित ही है और उड़ानों की फ्रीक्‍वेंसी भी कोई खास नहीं है।
  • सिक्किम में रेल नेटवर्कों का भी अभाव है।
  • राज्‍य पूरी तरह से राष्‍ट्रीय राजमार्ग-10 (एनएच-10) पर निर्भर है जो भारत के शेष हिस्‍सों के साथ एकमात्र कनेक्‍टविटी है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण सिर्फ एक लेन वाली इस सड़क पर आवागमन अक्‍सर बाधित हो जाता है। इससे वस्‍तुओं की ढुलाई में काफी परेशानी होती है और इसके चलते आवश्‍यक वस्‍तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। इस वजह से राज्‍य में जीवनयापन की लागत काफी ज्‍यादा है।

दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र, बार-बार होने वाली तबाही और इस वजह से विभिन्‍न परिसंपत्तियों को बनाए रखने में होने वाली परेशानी भी सिक्किम में विनिर्माण उद्योगों के विकास में बाधक हैं।

राज्‍य के ज्ञापन में निम्‍नलिखित बातों का उल्‍लेख किया गया है-

  • जीएसटी व्‍यवस्‍था से पहले फार्मास्‍यूटिकल्‍स से जुड़े कुछ सहायक उद्योगों से एकत्रित टैक्‍स इनपुट टैक्‍स क्रेडिट के रूप में मुख्‍य उत्‍पादकों के हाथों में जाता रहा है।
  • सिक्किम को वर्ष 2018-19 में जीएसटी मुआवजे की जरूरत नहीं पड़ी।

सिक्किम वाणि‍ज्‍य मंडल, सिप्‍ला फार्मास्‍यूटिकल, जुवेंटस फार्मास्‍यूटिकल, इन्टास फार्मास्‍यूटिकल, मर्चैक मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्राइवेट लिमिटेड, कोरुगेटेड बॉक्‍सेज, सिक्किम डिस्‍टि‍लरीज लिमिटेड, सन फार्मास्‍यूटिकल्‍स, मैटो-पॉटर, डिजाइनर कैंडल्‍स, टेमी टी एस्‍टेट, टी बैग एंड फ्लैवर्ड टी, बैम्‍बू हैंडीक्राफ्टस, गवर्नमेंट फ्रूट प्रेजर्वेशन और सिमसार बेकरी के प्रतिनिधियों ने इस बैठक में भाग लिया।

वित्त आयोग ने सिक्किम के व्‍यापार एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधियों द्वारा व्‍यक्‍त की गई सभी चिंताओं को नोट किया और केन्‍द्र सरकार के समक्ष प्रस्‍तुत की जाने वाली अपनी सिफारिशों में इनका निराकरण करने का आश्‍वासन दिया।

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