मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने नदी रेत और मोरम के स्थान पर ‘एम-सैंड’ (मैन्युफैक्चर्ड सैंड) को प्रोत्साहित करने पर बल दिया है। मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर राज्य सरकार अतिशीघ्र एम-सैंड नीति लागू करने जा रही है। इससे प्राकृतिक रेत/मोरम के एक नए विकल्प की उपलब्धता होगी।
मुख्यमंत्री जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के कार्यां की समीक्षा की। प्रस्तावित ‘एम-सैंड’ नीति पर विचार-विमर्श करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि पर्यावरण एवं नदियों के ईको-सिस्टम को बिना नुकसान पहुंचाए सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति दी जाए। इस दृष्टि से ‘एम-सैंड’ एक बेहतर माध्यम है। नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू की सीमित मात्रा और इसकी बढ़ती मांग के दृष्टिगत ‘एम-सैंड’ को नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू के विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे रोजगार के भी नए अवसर सृजित होंगे।
मुख्यमंत्री जी ने नई नीति पर चर्चा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि ‘एम-सैंड’ के गुणवत्ता मानकों को बनाये रखना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। क्योंकि इससे जीवन और सम्पत्ति की सुरक्षा जुड़ी है। यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी ‘एम-सैंड’ निर्माता अपने उत्पाद के लिये बी0आई0एस0 प्रमाणीकरण अनिवार्य रूप से प्राप्त करें। नोडल विभाग के रूप में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ‘एम-सैंड’ के शीघ्र उत्पादन हेतु राज्य/जिला स्तर पर अनुज्ञप्ति धारकों और हितधारकों से समन्वय स्थापित करे। आम जनता को ‘एम-सैंड’ सुविधाजनक रूप से उपलब्ध हो सके तथा ‘एम-सैंड’ की कीमत प्राकृतिक मोरम/बालू के सापेक्ष कम हो। इसके लिए प्रयास किया जाना चाहिए। इससे जुड़ी इकाइयों में पर्यावरणीय मानकों का कड़ाई से अनुपालन कराया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने खनन पट्टा धारकों की सुविधा के दृष्टिगत ई-अभिवहन प्रपत्र (ई0एम0एम0-11) जारी करने की व्यवस्था को और सरल बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा है कि प्रपत्र जारी करने की प्रक्रिया जनपद स्तर से ही होनी चाहिए। इसके लिए एक समय-सीमा तय होनी चाहिए। निदेशालय से इसकी मॉनीटरिंग की जाए।
मुख्यमंत्री जी ने वर्तमान में खनिज परिवहन से जुड़े वाहनों की ओवरलोडिंग को सफलतापूर्वक रोकने के लिए जनपदों में टास्क फोर्स को और प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। ओवरलोडिंग रोकने के लिए सबसे बेहतर है जीरो पॉइंट पर कार्रवाई की जाए। यानी खनन स्थल पर जहां से बालू, मोरम, गिट्टी आदि उपखनिज वाहन में लोड किया जाता है, वहीं पर कार्रवाई होनी चाहिए। जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, परिवहन और भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के स्थानीय अधिकारियों की सम्मिलित टीम एक टास्क फोर्स के रूप में प्रभावी कार्रवाई करे। साथ ही, बालू/मोरम के परिवहन की जांच करते समय व्यावहारिकता के साथ कार्य किया जाए। अनावश्यक रूप से आमजन का उत्पीड़न न हो।
मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि उपखनिजों के परिवहन करने वाले वाहनों की रियल टाइम ट्रैकिंग के लिए व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग किया जाये। यह सुनिश्चित किया जाए कि वाहन पर ई-अभिवहन प्रपत्र तब ही निर्गत हो जब वह वाहन खनन क्षेत्र के जियो फेंस एरिया में प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हो।
ईंट भट्ठे लगाए जाने के लिए उर्वर भूमि के स्थान पर बंजर भूमि का ही उपयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए इस क्षेत्र के उद्यमियों से संवाद करें। उन्हें उर्वर भूमि का उपयोग न करने के लिए जागरूक करें।
मुख्यमंत्री जी ने बरसात के मौसम में बालू/मोरम की कीमतों को नियंत्रित रखने और इनके भंडारण व्यवस्था को बेहतर करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि वर्ष 2023-24 में जहां 533 भंडारण स्थल थे वहीं इस सत्र में 645 भंडारण स्थल हैं। पिछले वर्ष के सापेक्ष भंडारण की मात्रा में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 2022-23 में 44,547 प्रवर्तन की कार्रवाई की गई थी, जबकि वर्ष 2023-24 में 57,539 कार्रवाई हुई। वहीं चालू वित्तीय वर्ष के मई माह तक 9,451 मामलों में प्रवर्तन की कार्रवाई हो चुकी है। लगातार हो रही इन कार्रवाइयों से अवैध गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगा है और राजस्व में वृद्धि भी हुई है।