लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने बाढ़ व अतिवृष्टि की स्थिति में बचाव और राहत कार्याें के लिए कार्य योजना बनाने तथा
उसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए हैं। जिन जनपदों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है, वहां राहत एवं बचाव की मुकम्मल व्यवस्था करने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसी भी परिस्थिति में जनहानि नहीं होनी चाहिए। उन्हांेने बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील जनपदों के वरिष्ठ अधिकारियों को विशेष सावधानी बरतने की हिदायत दी है। उन्होंने मानसून के कारण प्रदेश की कई नदियों में बढ़ते जलस्तर के फलस्वरूप बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने के मद्देनजर जिला प्रशासन को सतर्क रहकर लोगों को आवश्यक मदद उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील जनपदों तथा नदियों के बढ़ते जल स्तर की अद्यतन जानकारी प्राप्त की। इस मौके पर उन्हांेने प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव राजस्व, सभी मण्डलायुक्तों, जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किया कि बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने वाले जनपदों में राहत एवं बचाव कार्य में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।
इस क्रम में मुख्य सचिव श्री दीपक सिंघल ने प्रदेश के सभी मण्डलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि रिलीफ आॅपरेशन से सम्बन्धित पूर्व तैयारी कर ली जाए तथा बाढ़ के कारण प्रभावित व्यक्तियों को तत्काल राहत प्रदान की जाए। जनपद स्तर पर बाढ़ से बचाव कार्य के लिए स्थानीय स्तर पर गोताखोर एवं मल्लाहों की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से की जाए। जनपद स्तर पर हेलीकाॅप्टर को उतारे जाने हेतु उच्च धरातल पर हेलीपैड तत्काल प्रभाव से तैयार कर लिए जाएं। उन्होंने कहा कि निकटतम वायुसेना के अधिकारियों के सम्पर्क स्थापित कर लिया जाए, जिससे बाढ़ के समय वायुयान को उतारने में किसी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न न हो।
मुख्य सचिव ने निर्देशित किया है कि उनकी अनुमति के बिना बाढ़ की स्थिति वाले जनपदों के जिलाधिकारी मुख्यालय से बाहर नहीं जाएंगे। इसके अलावा, सिंचाई विभाग के सम्बन्धित अभियन्तागण सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बगैर मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे।
मुख्य सचिव ने प्रत्येक जनपद में बाढ़ कन्ट्रोल रूम स्थापित किए जाने के निर्देश दिए गए हैं, जो कि काॅल सेण्टरों की तरह कार्य करेंगे तथा बाढ़ के समय सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों से सामंजस्य स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रेस और मीडिया से सामंजस्य स्थापित कर प्रतिदिन बाढ़ की ब्रीफिंग की जाए, जिससे नागरिकों के बीच सही सूचना का प्रसारण हो सके। नगर निगम 10 दिनों के भीतर सभी नालों की सफाई कराना सुनिश्चित करें, जिससे जलभराव की समस्या कहीं भी उत्पन्न न हो सके। पी0ए0सी0 के मूवमेन्ट हेतु स्थानीय स्तर पर ट्रकों एवं डीजल की व्यवस्था भी सुनिश्चित करा ली जाए।
बाढ़ के समय स्नेक बाइट की घटनाएं होने की आशंका प्रायः बनी रहती है। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में दवा व इंजेक्शन की व्यवस्था करा ली जाए। जनपद स्तर पर जहां-जहां चिकित्सकों की कमी है, उनकी सूचना तत्काल उपलब्ध करा दी जाए, जिससे कि चिकित्सकों की कमी को यथा सम्भव दूर किया जा सके। साथ ही, स्थानीय स्तर पर जिलाधिकारियों द्वारा चिकित्सकों की व्यवस्था कराए जाने का प्रयास किया जाए।
यह भी निर्देश दिए गये हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जानवरों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा, भूसे की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए तथा पशुओं के टीकाकरण पूर्ण कराए जाने का प्रयास किया जाए। बाढ़ के समय पशुओं को उनके सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की व्यवस्था भी कराई जाए। जिलाधिकारी अपने-अपने जिलों में खाद्य सामग्री का प्रस्ताव तत्काल उपलब्ध कराएं। प्रभावित परिवारों को तात्कालिक राहत के रूप में पूड़ी एवं सब्जी का पर्याप्त मात्रा में वितरण कराया जाए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि नेपाल राष्ट्र, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश एवं मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश में आने वाली नदियों पर विशेष रूप से निगरानी रखी जाए। अतिसंवेदनशील जनपदों में स्थिति तटबन्धों पर पेट्रोलिंग की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए तथा सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बराबर सम्पर्क रखते हुए तटबन्धों को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जाए।
इस सम्बन्ध में प्रमुख सचिव राजस्व श्रीमती अनीता भटनागर जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ जनपदों में भारी वर्षा के कारण नदियों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे निचले क्षेत्रों में रहने वाली आबादी प्रभावित हुई है। प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित करने के लिए सुरक्षित स्थानों का चिन्हांकन जनपदों द्वारा पूर्व में किया जा चुका है।
इन स्थानों पर बाढ़ पीड़ित लोगों की सहायता के लिए बाढ़ राहत शिविर स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें वर्षा से बचाव हेतु त्रिपाल आदि के साथ सामुदायिक भोजनालय, बाढ़ पीड़ितों हेतु अन्य सुविधाएं एवं निःशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित जनपदों के लोगों को राहत पहुंचाने के लिए स्थापित किए जाने वाले बाढ़ राहत शिविरों की कार्य योजना शासन को तत्काल उपलब्ध कराए जाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील जनपदों तथा नदियों के बढ़ते जल स्तर की अद्यतन जानकारी प्राप्त की। इस मौके पर उन्हांेने प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव राजस्व, सभी मण्डलायुक्तों, जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किया कि बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने वाले जनपदों में राहत एवं बचाव कार्य में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।
इस क्रम में मुख्य सचिव श्री दीपक सिंघल ने प्रदेश के सभी मण्डलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि रिलीफ आॅपरेशन से सम्बन्धित पूर्व तैयारी कर ली जाए तथा बाढ़ के कारण प्रभावित व्यक्तियों को तत्काल राहत प्रदान की जाए। जनपद स्तर पर बाढ़ से बचाव कार्य के लिए स्थानीय स्तर पर गोताखोर एवं मल्लाहों की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से की जाए। जनपद स्तर पर हेलीकाॅप्टर को उतारे जाने हेतु उच्च धरातल पर हेलीपैड तत्काल प्रभाव से तैयार कर लिए जाएं। उन्होंने कहा कि निकटतम वायुसेना के अधिकारियों के सम्पर्क स्थापित कर लिया जाए, जिससे बाढ़ के समय वायुयान को उतारने में किसी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न न हो।
मुख्य सचिव ने निर्देशित किया है कि उनकी अनुमति के बिना बाढ़ की स्थिति वाले जनपदों के जिलाधिकारी मुख्यालय से बाहर नहीं जाएंगे। इसके अलावा, सिंचाई विभाग के सम्बन्धित अभियन्तागण सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बगैर मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे।
मुख्य सचिव ने प्रत्येक जनपद में बाढ़ कन्ट्रोल रूम स्थापित किए जाने के निर्देश दिए गए हैं, जो कि काॅल सेण्टरों की तरह कार्य करेंगे तथा बाढ़ के समय सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों से सामंजस्य स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रेस और मीडिया से सामंजस्य स्थापित कर प्रतिदिन बाढ़ की ब्रीफिंग की जाए, जिससे नागरिकों के बीच सही सूचना का प्रसारण हो सके। नगर निगम 10 दिनों के भीतर सभी नालों की सफाई कराना सुनिश्चित करें, जिससे जलभराव की समस्या कहीं भी उत्पन्न न हो सके। पी0ए0सी0 के मूवमेन्ट हेतु स्थानीय स्तर पर ट्रकों एवं डीजल की व्यवस्था भी सुनिश्चित करा ली जाए।
बाढ़ के समय स्नेक बाइट की घटनाएं होने की आशंका प्रायः बनी रहती है। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में दवा व इंजेक्शन की व्यवस्था करा ली जाए। जनपद स्तर पर जहां-जहां चिकित्सकों की कमी है, उनकी सूचना तत्काल उपलब्ध करा दी जाए, जिससे कि चिकित्सकों की कमी को यथा सम्भव दूर किया जा सके। साथ ही, स्थानीय स्तर पर जिलाधिकारियों द्वारा चिकित्सकों की व्यवस्था कराए जाने का प्रयास किया जाए।
यह भी निर्देश दिए गये हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जानवरों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा, भूसे की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए तथा पशुओं के टीकाकरण पूर्ण कराए जाने का प्रयास किया जाए। बाढ़ के समय पशुओं को उनके सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की व्यवस्था भी कराई जाए। जिलाधिकारी अपने-अपने जिलों में खाद्य सामग्री का प्रस्ताव तत्काल उपलब्ध कराएं। प्रभावित परिवारों को तात्कालिक राहत के रूप में पूड़ी एवं सब्जी का पर्याप्त मात्रा में वितरण कराया जाए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि नेपाल राष्ट्र, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश एवं मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश में आने वाली नदियों पर विशेष रूप से निगरानी रखी जाए। अतिसंवेदनशील जनपदों में स्थिति तटबन्धों पर पेट्रोलिंग की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए तथा सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बराबर सम्पर्क रखते हुए तटबन्धों को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जाए।
इस सम्बन्ध में प्रमुख सचिव राजस्व श्रीमती अनीता भटनागर जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ जनपदों में भारी वर्षा के कारण नदियों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे निचले क्षेत्रों में रहने वाली आबादी प्रभावित हुई है। प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित करने के लिए सुरक्षित स्थानों का चिन्हांकन जनपदों द्वारा पूर्व में किया जा चुका है।
इन स्थानों पर बाढ़ पीड़ित लोगों की सहायता के लिए बाढ़ राहत शिविर स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें वर्षा से बचाव हेतु त्रिपाल आदि के साथ सामुदायिक भोजनालय, बाढ़ पीड़ितों हेतु अन्य सुविधाएं एवं निःशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित जनपदों के लोगों को राहत पहुंचाने के लिए स्थापित किए जाने वाले बाढ़ राहत शिविरों की कार्य योजना शासन को तत्काल उपलब्ध कराए जाने के भी निर्देश दिए गए हैं।